Edited By jyoti choudhary,Updated: 16 Nov, 2020 06:14 PM
वैश्विक वित्तीय परामर्श कंपनी फिच सॉल्युशंस ने सोमवार को कहा कि सरकार के तीसरे प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा आने वाली तिमाहियों में अर्थव्यवस्था को फिर से खड़ा करने में सहायक होनी चाहिए लेकिन इसके राजकोष पर पड़ने वाले प्रभाव का अंदाजा लगाना मुश्किल है।
नई दिल्लीः वैश्विक वित्तीय परामर्श कंपनी फिच सॉल्युशंस ने सोमवार को कहा कि सरकार के तीसरे प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा आने वाली तिमाहियों में अर्थव्यवस्था को फिर से खड़ा करने में सहायक होनी चाहिए लेकिन इसके राजकोष पर पड़ने वाले प्रभाव का अंदाजा लगाना मुश्किल है। सरकार ने 12 नवंबर को 2.65 लाख करोड़ रुपए के एक और आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की। इसे आत्मनिर्भर भारत अभियान 3.0 नाम दिया गया है।
इस पैकेज में संगठित क्षेत्र में रोजगार निर्माण को गति देना, उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना (पीएलआई), उर्वरक सब्सिडी और ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम मनरेगा में बढ़ोत्तरी करना शामिल है। फिच सॉल्युशंस ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि चालू वित्त वर्ष में देश का राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद के 7.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है। फिच ने कहा, ‘‘तीसरे प्रोत्साहन पैकेज की कई योजनाएं आने वाली तिमाहियों में अर्थव्यवस्था को फिर से खड़ा करने में सहायक हो सकती हैं लेकिन सार्वजनिक वित्त प्रणाली पर इसके वास्तविक असर का आकलन करना मुश्किल है।''
अन्य परामर्श कंपनी मोतीलाल ओसवाल ने एक अलग रिपोर्ट में कहा कि उसके आकलन के हिसाब से वित्त वर्ष 2020-21 में वास्तविक राजकोषीय असर जीडीपी के 0.5 प्रतिशत या अधिकतम 1.1 लाख करोड़ रुपए हो सकता है। पिछले दो प्रोत्साहन पैकेज के दौरान की गई घोषणाएं जीडीपी के 8.7 प्रतिशत के बराबर यानी 17.7 लाख करोड रुपए की है।