Edited By pooja verma,Updated: 10 Sep, 2019 12:57 PM
पटियाला निवासी 36 वर्षीय नरेंद्र आहूजा के लिए यह एक नई जिंदगी पाने जैसा अनुभव था। फायरिंग की एक घटना में उन्हें किडनी, लीवर, दाएं फेफड़े, रीढ़, गर्दन और आस-पास के अंगों में गंभीर जख्मों के कारण जान का खतरा हो गया था।
चंडीगढ़ (साजन) : पटियाला निवासी 36 वर्षीय नरेंद्र आहूजा के लिए यह एक नई जिंदगी पाने जैसा अनुभव था। फायरिंग की एक घटना में उन्हें किडनी, लीवर, दाएं फेफड़े, रीढ़, गर्दन और आस-पास के अंगों में गंभीर जख्मों के कारण जान का खतरा हो गया था। उन्हें काफी गंभीर हालत में फोर्टिस अस्पताल मोहाली में लाया गया था। जांच के बाद डॉक्टरों की टीम ने करीब 4 घंटे तक उनकी सफल सर्जरी की और उनको लगी तीन गोलियां शरीर से बाहर निकाल ली गई, जिससे उनकी जान बचा ली गई।
चंडीगढ़ प्रैस क्लब में पत्रकार वार्ता के दौरान डॉ. अतुल एस. जोशी ने बताया कि मरीज को सांस लेने में कठिनाई हो रही थी, क्योंकि गर्दन में लगी एक गोली विंड पाइप या एयरवे के पास काफी मुश्किल पैदा कर रही थी, जिससे नरेंद्र की सांस उखड़ रही थी। सबसे पहले उनके एयरवे को नियंत्रित किया गया।
ऑपरेशन थियेटर के रास्ते में ही उनका शुरुआती सीटी स्कैन किया गया और किडनी, लीवर, दाहिने फेफड़े, रीढ़, गर्दन और आस-पास के इलाकों में गंभीर चोटों का आकलन किया गया व देखा गया कि किसकी क्या हालत है। इंटेसिव केयर में उनकी थोरैसिक सर्जरी, यूरोलॉजी, वास्कु लर सर्जरी, ई.एन.टी., स्पाइन सर्जरी के लिए तैयारी की गई।