पंचकूला डेरा हिंसा : हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा, धारा-144 लगाने के आदेशों में क्या लिखा था?

Edited By Priyanka rana,Updated: 05 Feb, 2020 09:35 AM

panchkula violence

डेरा प्रमुख को सजा सुनाए जाने के बाद पंचकूला में हिंसा के मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई दौरान सामने आया कि राज्य सरकार ने डेरा समर्थकों को नियंत्रित करने के लिए जारी धारा 144 के आदेश में संविधान के तहत शामिल दिशा-निर्देशों का पूरी तरह शामिल नहीं...

चंडीगढ़(रमेश) : डेरा प्रमुख को सजा सुनाए जाने के बाद पंचकूला में हिंसा के मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई दौरान सामने आया कि राज्य सरकार ने डेरा समर्थकों को नियंत्रित करने के लिए जारी धारा 144 के आदेश में संविधान के तहत शामिल दिशा-निर्देशों का पूरी तरह शामिल नहीं किया गया। इसके चलते डेरा समर्थक एकत्रित होते रहे और हिंसक रूप धारण कर लिया। 

कोर्ट मित्र द्वारा प्रस्तुत तथ्यों को सुनने के बाद फुल बैंच ने हरियाणा सरकार को धारा 144 की प्रति दाखिल करने को कहा है। कोर्ट को बताया गया कि धारा 144 को गंभीरता से लागू करवाया जाता तो हिंसा न होती, क्योंकि इसके तहत 5 या अधिक लोग एक साथ एकत्रित नहीं हो सकते। धारा 144 के जारी आदेश में 5 या अधिक लोगों के एकत्रित नहीं होने का जिक्र ही नहीं था। 

हाईकोर्ट ने पहले भी इस संबंध में हरियाणा सरकार को तलब किया था और तब सरकार ने जवाब में कहा था कि क्लैरिकल मिस्टेक के कारण उक्त शब्द छूट गए। इस पर कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई थी और कुछ अधिकारियों पर गाज भी गिरी थी। कोर्ट मित्र एडवोकेट अनुपम गुप्ता ने धारा 144 के कई उदाहरण दिए जिसे लगाने के बाद बड़े आंदोलन नियंत्रित हुए और बड़े धरनास्थल जैसे दिल्ली का रामलीला मैदान व जंतर मंतर में 5 या अधिक लोग एकत्रित नहीं होते। 

कोर्ट में यह बात भी सामने आई थी कि उक्त शब्द जानबूझकर धारा 144 के आदेशों में शामिल नहीं किए गए थे, क्योंकि सरकार और प्रशासन नहीं चाहता था कि डेरा समर्थकों को पंचकूला से हटाया जाए या एकत्रित होने से रोका जाए। बैंच ने निर्धारित करना है कि हिंसा के वक्त जान व माल के नुकसान की जिम्मेदारी किसकी है और संपत्ति के नुकसान की भरपाई किससे की जाए। 

240 एफ.आई.आर. में शामिल हो डेरा प्रमुख का नाम :
एक अन्य याचिका में याचिकाकर्ता ने कहा है कि हरियाणा और पंजाब में डेरा समर्थकों के खिलाफ दर्ज 240 एफ.आई.आर. में डेरा प्रमुख का नाम भी जोड़ा जाए जिसके खिलाफ सारे सबूत हैं कि हिंसा की साजिश उन्हीं के दिशा-निर्देशों पर रची गई थी। 

याची ने ऑग्र्युमैंट की बात कही जिस पर कोर्ट का कहना था कि ‘आप नहीं चाहते कि मामला का निपटारा हो’ इतना कहते हुए कोर्ट ने अपना पक्ष रखने का मौका देने की हामी भर दी। सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल मौजूद रहे जिन्हें अगली सुनवाई से पहले धारा 144 के आदेशों की प्रति दाखिल करने को कहा है। अगली सुनवाई 18 फरवरी को होगी।

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