PG संचालक, बीट ऑफिसर और एस्टेट ऑफिस के इंस्पैक्टर हादसे के जिम्मेदार

Edited By Priyanka rana,Updated: 18 Mar, 2020 11:25 AM

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शहर के सैक्टर-32 स्थित एक पी.जी. में फरवरी माह में आग लगने से तीन लड़कियों की मौत के मामले की जांच के लिए उपायुक्त मंदीप सिंह बराड़ की ओर से एरिया एस.डी.एम. साऊथ एस.के. जैन के नेतृत्व में जांच कमेटी का गठन किया गया था।

चंडीगढ़(साजन) : शहर के सैक्टर-32 स्थित एक पी.जी. में फरवरी माह में आग लगने से तीन लड़कियों की मौत के मामले की जांच के लिए उपायुक्त मंदीप सिंह बराड़ की ओर से एरिया एस.डी.एम. साऊथ एस.के. जैन के नेतृत्व में जांच कमेटी का गठन किया गया था। उक्त जांच कमेटी को 15 दिन में अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया था लेकिन इसे पूरा करने में देरी हो गई। उक्त मामले की जांच कमेटी ने मंगलवार को रिपोर्ट उपायुक्त को सौंप दी। 

रिपोर्ट में आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट बताया गया है। मकान में प्लास्टिक से पार्टिशन किया गया था, जिसकी वजह से आग तेजी से भड़की और पूरे मकान को अपने चपेट में ले लिया। रिपोर्ट में कहा गया है कि मकान मालिक और पी.जी. संचालक ने नियमों को दरकिनार कर छात्राओं की जान से खिलवाड़ कर पी.जी. को चला रहा था। 

इसमें पी.जी. के संचालक ने पैसे कमाने के चक्कर में छोटे-छोटे कैबिन बनाकर छात्रों को अलॉट किए हुए थे, जो नियमों के खिलाफ थे। इसके अलावा स्थानीय बीट ऑफिसर ने चैकिंग नहीं की। मकान में कई तरह के अवैध निर्माण किए गए थे, जिसकी बिल्डिंग इंस्पैक्टर ने कभी जांच नहीं की। अगर यह सभी अपना काम सही से करते तो किसी की जान नहीं जाती। 

रिपोर्ट में कई सुझाव भी दिए :
उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कई सुझाव भी दिए हैं। इसमें कहा है कि सभी मकानों के लिए फायर सेफ्टी क्लीयरैंस अनिवार्य किया जाना चाहिए। इसे प्रशासन ने बीते दिनों अनिवार्य कर दिया है। इसके अलावा किसी भी पी.जी. में लकड़ी या प्लास्टिक की दीवार नहीं होनी चाहिए। कंक्रीट की दीवार बनाई जा सकती है। 

पी.जी. में रहने वालों की संख्या, मकान की जगह के अनुसार तय होनी चाहिए। रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया गया है कि हर पी.जी. के बाहर एक नोटिस बोर्ड लगा होना चाहिए। इसमें पी.जी. संचालक और सभी तरह की जानकारियां होनी चाहिए। उस पर एक हैल्पलाइन नंबर भी लिखा होना चाहिए। 

अभी तक शहर के मात्र 48 पी.जी. मालिकों ने पंजीकरण करवाया :
शहर में अवैध रूप से चल रहे पी.जी. के मालिकों की ओर से संपदा विभाग की ओर से स्वयं का पंजीकरण करवाने का समय दिया था लेकिन अभी तक मात्र 48 के करीब पी.जी. के मालिकों ने पंजीकरण करवाया है। ऐसे में कुछ ने तो पी.जी. में रहने वाले छात्रों को मकानों रैंट डीड पर देकर काम कर रहे हैं। सूचना विभाग के अधिकारियों की मिल चुकी है और नगर प्रशासक ने साफ कर दिया है कि ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त एक्शन लिए जाए ताकि दोबारा ऐसी घटना न हो।

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