जानें, आपकी कुंडली में कब बनेंगे योग अपने ‘आशियाने’ के

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 05 Jun, 2021 08:07 AM

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कुछ लोग जीवन भर मकान की समस्याओं से ग्रस्त रहते हैं। यहां तक कि किराए के मकान में जीवन व्यतीत करने वालों में से भी कइयों की अपना भवन बनाने की इच्छा पूरी नहीं होती है। कुछ

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Planetary Combination for Buying Own House: कुछ लोग जीवन भर मकान की समस्याओं से ग्रस्त रहते हैं। यहां तक कि किराए के मकान में जीवन व्यतीत करने वालों में से भी कइयों की अपना भवन बनाने की इच्छा पूरी नहीं होती है। कुछ व्यक्ति ऐसे होते हैं जो मकान तो बना लेते हैं परन्तु समस्याओं के कारण उनमें निवास नहीं कर पाते हैं। कभी-कभी कुछ के साथ ऐसी प्राकृतिक घटनाएं घट जाती हैं जिनका सामना करना स्वयं मनुष्य के हाथ में नहीं होता- जैसे भूकम्प या बाढ़ आना अथवा अग्रि द्वारा भवन का जल जाना आदि।

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Which Graha is responsible for own house: कुछ व्यक्ति ऐसे होते हैं जिनके पास पर्याप्त मात्रा में धन तो होता है परन्तु भवन बनाने का योग ही नहीं होता तथा उनके जीवन में भवन का सुख होता ही नहीं। इसके लिए हमें जन्म कुंडली में देखना चाहिए कि भूमि, भवन का सुख एवं दुख कितना है। भूमि का कारक ग्रह मंगल है। जन्मकुंडली का चतुर्थ स्थान भूमि एवं भवन से जुड़ा हुआ है। अच्छे मकान की प्राप्ति के लिए चतुर्थेश की केंद्र त्रिकोण में मजबूत स्थिति होना सबसे अहम बात है। चतुर्थेश उच्च का, मूल त्रिकोण, स्वगृही, उच्चाभिलाषी, मित्रक्षेत्री, शुभ ग्रहों से युक्त या दुष्ट हो तो निश्चय ही मकान का सुख जातक को प्राप्त होता है। यह दूसरी अहम बात है।

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Which planet owns which house: जन्म कुंडली में भूमि के कारण ग्रह मंगल की स्थिति सुदृढ़ होनी चाहिए, यह तीसरी बात है। ये तीनों जिसकी कुंडली में मजबूत हैं, उसके भाग्य में निश्चित ही स्वयं का मकान होता है। स्वयं का मकान होने के लिए चतुर्थ भाव एवं चतुर्थेश तथा मंगल का मजबूत होना अनिवार्य है। साथ ही भवन सुख का आनंद लूटने का सौभाग्य भी प्राप्त है या नहीं, यह निश्चित करने के लिए लग्न एवं लग्नेश का बलवान होना आवश्यक है, अन्यथा मकान आप बनाएंगे और रहेगा उसमें कोई और। लग्न एवं लग्नेश बलवान होने के साथ ही दशमेश, नवमेश व लाभेश का सहयोग भी अनिवार्य है अत: इन पर भी विचार करना चाहिए। ध्यान देने वाले कुछ योग निम्न हैं :

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Astrology Yoga of House

प्रथम भाव का स्वामी यदि चतुर्थ भाव में हो तथा उस पर ग्रहों की दृष्टि हो तो व्यक्ति अपने बलबूते पर सुविधापूर्ण, सुखदायी भवन बनाता है तथा उसमें निवास करता है।

द्वितीयेश यदि चतुर्थ भाव में हो तो व्यक्ति अपने निकट संबंधी, परिजन एवं अपने कुटुम्ब के व्यक्ति की सहायता से मकान बनाकर उसमें सुखपूर्वक रहता है।

तृतीयेश चतुर्थ भाव में हो तो व्यक्ति अपने भाई-बहन की सहायता से मकान बनाता है। 

चतुर्थेश यदि चतुर्थ भाव में हो तो उस पर मंगल की दृष्टि हो तो ऐसे व्यक्ति को अपने विरासत में ही मकान मिल जाता है।

पंचमेश यदि चतुर्थ भाव में हो तो व्यक्ति अपने ही पुत्रों द्वारा निर्मित मकान में रहता है।

षष्ठेश यदि चतुर्थ भाव में हो तो ऐसा व्यक्ति कर्ज लेकर भवन निर्माण करता है। यदि उस पर शुभ ग्रह की दृष्टि हो तो।

सप्तमेश यदि चतुर्थ भाव में हो तो ऐसे व्यक्ति को अपने ससुराल पक्ष से मकान बनाने में मदद मिलती है।

अष्टमेश यदि चतुर्थ भाव में हो तो व्यक्ति को आकस्मिक मकान मिलता है तथा ऐसा व्यक्ति प्राचीन भवन में निवास करता है।

नवमेश यदि चतुर्थ भाव में हो तो ऐसा व्यक्ति स्वयं द्वारा निर्मित मकान बनाता है तथा ऐसे व्यक्ति के एक के अलावा अधिक मकान भी होते हैं।

दशमेश यदि चतुर्थ भाव में हो तो ऐसे व्यक्ति को अपनी विरासत में ही मकान मिल जाता है।

एकादशेश यदि चतुर्थ भाव में हो तो ऐसा व्यक्ति अपने निकट मित्रों की सहायता से मकान बनाता है।

द्वादशेश यदि चतुर्थ भाव में हो तो ऐसे व्यक्ति के बहुत अधिक धन व्यय करने के पश्चात मकान का योग बनता है। 

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