Ashadha Purnima 2025: आषाढ़ पूर्णिमा कब ? जानें, तिथि और पूजा का सही समय

Edited By Updated: 29 Jun, 2025 06:35 AM

ashadha purnima 2025

Ashadha Purnima 2025: हिंदू पंचांग में हर माह की पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व होता है लेकिन आषाढ़ पूर्णिमा का धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से विशेष महत्व है।

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Ashadha Purnima 2025: हिंदू पंचांग में हर माह की पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व होता है लेकिन आषाढ़ पूर्णिमा का धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से विशेष महत्व है। आषाढ़ मास की पूर्णिमा को ही गुरु पूर्णिमा भी कहते हैं, जो गुरु के प्रति आस्था, श्रद्धा और कृतज्ञता प्रकट करने का विशेष दिन होता है।  यह तिथि गुरु पूर्णिमा, वेद व्यास जयंती और चंद्र पूजन जैसे अनेक पर्वों से जुड़ी होती है। वर्ष 2025 में आषाढ़ पूर्णिमा का यह शुभ पर्व कई आध्यात्मिक अवसरों का संगम लेकर आएगा। आइए विस्तार से जानें आषाढ़ पूर्णिमा 2025 की तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त, चंद्रोदय का समय और इसका धार्मिक महत्व।

आषाढ़ पूर्णिमा 2025 कब है ?
पंचांग के अनुसार वर्ष 2025 में पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 10 जलाई को देर रात 01:36 पर होगी और अगले दिन 11 जुलाई देर रात 2:06 पर इसका समापन होगा। इसके अनुसार आषाढ़ पूर्णिमा का पर्व 10 जुलाई को मनाया जाएगा। 

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Ashadha Purnima Shubh Muhurat 2025 आषाढ़ पूर्णिमा मुहूर्त 

ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 4:10 से 4:50
अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11:59 से 12:54
विजय मुहूर्त- दोपहर 12:45 से 03:40

गोधूलि मुहूर्त- शाम 07:21 से 07:41

चंद्रोदय का समय
चंद्रोदय शाम- 7 बजकर 20 मिनट पर होगा। 

Puja Vidhi पूजा विधि:
प्रातःकाल स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें।

घर के मंदिर में दीपक जलाएं और भगवान विष्णु, वेदव्यास जी और अपने गुरु को नमस्कार करें।

यदि गुरु साक्षात् उपस्थित हैं, तो उनका चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लें।

चंद्रमा के दर्शन के बाद दूध, चावल और जल से अर्घ्य दें।

इस दिन गुरु मंत्र या गायत्री मंत्र का जाप करें।

व्रत रखने वाले दिन भर फलाहार कर सकते हैं और अगले दिन व्रत का पारण करें।

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Ashadha Purnima Importance आषाढ़ पूर्णिमा का महत्व 
आषाढ़ पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है, जो अपने जीवन के आध्यात्मिक और सांसारिक गुरुओं के प्रति कृतज्ञता जताने का दिन होता है। मान्यता है कि इसी दिन महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था, जिन्होंने वेदों का विभाजन कर उन्हें व्यवस्थित किया और महाभारत जैसे ग्रंथ की रचना की। शिष्य इस दिन अपने गुरुओं की पूजा करते हैं, उनका आशीर्वाद लेते हैं और ज्ञान के पथ पर आगे बढ़ने का संकल्प लेते हैं।

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