Edited By Prachi Sharma,Updated: 16 Mar, 2024 12:42 PM
एक गरीब आदमी बड़ी मेहनत से एक एक-एक रुपया जोड़ कर मकान बनवाता है। उस मकान को बनवाने के लिए वह पिछले 20 वर्षों से एक-एक पैसे की बचत करता है
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Inspirational Context: एक गरीब आदमी बड़ी मेहनत से एक एक-एक रुपया जोड़ कर मकान बनवाता है। उस मकान को बनवाने के लिए वह पिछले 20 वर्षों से एक-एक पैसे की बचत करता है, ताकि उसका परिवार छोटे से झोंपड़े से निकल कर पक्के मकान में सुखी से रह सके।
आखिरकार एक दिन उसकी मेहनत और बचत रंग लाती है और मकान बन कर तैयार हो जाता है। तत्पश्चात पंडित जी से मुहूर्त निकलवा कर गृह प्रवेश के लिए शुभ दिन निश्चित किया जाता है लेकिन गृहप्रवेश के केवल 2 दिन पहले ही जबरदस्त भूकंप आता है और उसका मकान पूरी तरह ध्वस्त हो जाता है।
यह खबर जब उस आदमी को पता चलती है तो वह दौड़ा-दौड़ा बाजार जाता है और मिठाई खरीद कर ले आता है। मिठाई लेकर वह घटनास्थल पर पहुंचता है, जहां पर काफी लोग इकट्ठे होकर उसके मकान गिरने पर अफसोस जाहिर कर रहे थे - ओह बेचारे के साथ बहुत बुरा हुआ। कितनी मुश्किल से एक-एक पैसा जोड़कर मकान बनवाया था।
इसी प्रकार लोग आपस में तरह-तरह की बातें कर रहे थे। वह आदमी वहां पहुंचता है और झोले से मिठाई निकाल कर सबको बांटने लगता है। यह देखकर सभी लोग हैरान हो जाते हैं। तभी उसका एक मित्र उससे कहता है, कहीं तुम पागल तो नहीं हो गए हो, तु हारा घर गिर गया, तु हारी जीवन भर की कमाई बर्बाद हो गई और तुम खुश होकर मिठाई बांट रहे हो।
वह आदमी मुस्कुराते हुए कहता है, तुम इस घटना का सिर्फ नकारात्मक पक्ष देख रहे हो, इसलिए इसका सकारात्मक पक्ष तु हें दिखाई नहीं दे रहा। यह तो बहुत अच्छा हुआ कि मकान आज ही गिर गया। वरना तु हीं सोचो अगर यह मकान 2 दिनों के बाद गिरता तो मैं, मेरी पत्नी और बच्चे सभी मारे जा सकते थे। तब कितना बड़ा नुकसान होता!
शिक्षा: यही सकारात्मक और नकारात्मक सोच में अंतर है, यदि वह व्यक्ति नकारात्मक दृष्टिकोण से सोचता तो शायद वह नकारात्मकता का शिकार हो जाता, लेकिन केवल एक सोच के फर्क ने उसके दुख को सुख में परिवर्तित कर दिया। सुखी रहने के लिए सही सोच जरूरी है।