Edited By Niyati Bhandari,Updated: 02 Apr, 2024 12:49 PM
हिंदू धर्म में शीतला अष्टमी व्रत का विशेष महत्व है। ये व्रत सप्तमी तिथि के साथ शुरू हो जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल चैत्र माह के
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Sheetla Ashtami Vrat Vidhi Niyam- हिंदू धर्म में शीतला अष्टमी व्रत का विशेष महत्व है। ये व्रत सप्तमी तिथि के साथ शुरू हो जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी मनाई जाती है। इसे बसौड़ा अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, होली के आठवें दिन शीतला अष्टमी का व्रत रखा जाता है। बता दें, साल 2024 में शीतला अष्टमी 02 अप्रैल को पड़ रही है। इस दिन मां शीतला की विधिवत पूजा करने के साथ व्रत रखने का विधान है। माना जाता है कि ऐसा करने से रोग-दोष से छुटकारा मिलने के साथ लंबी आयु का वरदान मिलता है लेकिन इस दिन व्रत करने के खास नियम भी हैं। जिसका पालन करना बहेद ज़रूरी है। इस दिन छोटी सी गलती भी मां शीतला को रुष्ट कर सकती है। अगर आप भी इस व्रत का पूरा फायदा लेना चाहते हैं तो शीतला अष्टमी व्रत व पूजा के खास नियम, जानते हैं-
सबसे पहले आपको बता दें शीतला अष्टमी पर मां शीतला को मुख्य रूप से चावल और घी का भोग ही लगाया जाता है मगर चावल को शीतलाष्टमी के दिन नहीं पकाया जाता है, बल्कि आज सप्तमी तिथि के दिन ही बनाकर रख लिया जाता है। मान्यता है कि शीतला अष्टमी के दिन घर का चूल्हा नहीं जलाना चाहिए और न ही घर में खाना बनाना चाहिए इसलिए आज सप्तमी तिथि पर ही सारा खाना पका लिया जाता है। दरअसल, शीतला अष्टमी के दिन बासी खाना ही खाया जाता है। साल 2024 में सप्तमी तिथि 01 अप्रैल दिन सोमवार की रात 09 बजकर 08 मिनट तक है और अष्टमी तिथि 1 अप्रैल रात 09 बजकर 09 मिनट से लग रही है। ऐसे में इससे पहले ही भोजन तैयार कर लें और चूल्हा साफ कर दें। इसके बाद चूल्हे का इस्तेमाल न करें।
अब अगले दिन यानि अष्टमी तिथि 02 अप्रैल 2024 को प्रात:काल उठकर स्नान कर साफ वस्त्र पहन लें।
इसके बाद मंदिर को साफ कर गंगा जल छिड़क शुद्ध कर लें, फिर माता शीतला की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीपक जलाएं फूल, अक्षत, जल और दक्षिणा लेकर व्रत का संकल्प लें। शीतला मां को लाल फूल, रोली, लाल फूल और अक्षत अर्पित कर धूप-दीप जलाएं। शीतला स्त्रोत का पाठ जरूर पढ़ें। इसके बाद शीताल मां की आरती करें, फिर सप्तमी तिथि में तैयार किए गए भोग को माता रानी को चढ़ाएं। शीतला अष्टमी व्रत की कथा का श्रवण करें। परिवार के सभी सदस्य बासी भोजन प्रसाद स्वरुप ग्रहण करें।
इस दिन प्रसाद के साथ नीम के कुछ पत्ते भी खाते हैं, इससे रोग मिटते हैं।