Edited By Surinder Kumar,Updated: 13 Dec, 2020 12:11 PM
हिमाचल प्रदेश में विलुप्त होने की कगार पर पहुंची लाल चावल की फसल अब फिर से लहलहाने लगी है। इस बारे जानकारी देते हुए कृषि मंत्री वीरेन्द्र कंवर ने बताया कि मानव जाति द्वारा अपनी उत्पति के आरंभिक काल के दौरान खाद्यान्न के रूप में उपभोग की जाने वाली...
बडूही(अनिल): हिमाचल प्रदेश में विलुप्त होने की कगार पर पहुंची लाल चावल की फसल अब फिर से लहलहाने लगी है। इस बारे जानकारी देते हुए कृषि मंत्री वीरेन्द्र कंवर ने बताया कि मानव जाति द्वारा अपनी उत्पति के आरंभिक काल के दौरान खाद्यान्न के रूप में उपभोग की जाने वाली लाल चावल की फसल लगभग दस हजार वर्ष पुरानी आंकी जाती है। उन्होंने बताया कि पिछले वर्षों के दौरान हरित क्रांति के दौर में किसानों द्वारा नकदी फसलों तथा उच्च उत्पादन प्रदान करने वाली फसलों की प्रजातियों को अपनाने से सदियों से उगाई जाने वाली पारंपरिक फसलें हाशिए पर चली गईं तथा जनवितरण प्रणाली के माध्यम से अनाज के वितरण के कारण किसानों ने इन फसलों से किनारा कर लिया। लेकिन अब स्वास्थ्य के प्रति संजीदगी, पर्यावरण परिवर्तन तथा जलवायु परिवर्तन की वजह से किसानों ने लाल चावल की फसल को फिर से उगाना शुरु कर दिया है।
कृषि मंत्री वीरेन्द्र कंवर ने बताया कि सुगंधित लाल चावल की फसल में विशेष पौषाहार तथा औषधीय तत्व विद्यमान होते हैं जिन्हें परंपरागत रुप में ब्लड प्रेशर, कब्ज, महिला रोग, ल्यूकोरिया जैसे रोगों के उपचार में प्रयोग किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस समय लाल चावल की फसल को पानी की बहुतायत वाले चिडग़ांव, रोहड़ू, रामपुर, कुल्लू घाटी, सिरमौर तथा कांगड़ा जिला के ऊपरी क्षेत्रों में किया जाता है। राज्य में लोकप्रिय लाल चावल की किस्मों में रोहड़ू में छोहारटू, चंबा में सुकारा तियान, कांगड़ा में लाल झिन्नी तथा कुल्लू में जतू व मटाली किस्में किसानों द्वारा उगाई जाती हैं।
कंवर ने बताया कि लाल चावल की फसल मध्य हिमालय के पानी की बहुतायत वाले क्षेत्रों में मोटी मिट्टी में गर्म तथा आर्द्रता भरे वातावरण में उगाई जाती है। इस समय यह फसल 213 हैक्टेयर भूमि में शिमला जिला के सुरु कूट, कुथरु, गानवी, जांगल, नाडाला, कलोटी, देवीधार आदि क्षेत्रों में उगाई जाती है। उन्होंने बताया कि चंबा जिला में लाल चावल की फसल 107 हैक्टेयर में मानी, पुखरी, साहो, कीड़ी, लाग, सलूणी व तीसा क्षेत्रों में उगाई जाती है जबकि कांगड़ा जिला में 416 हैक्टेयर भूमि पर बैजनाथ, धर्मशाला व बंदला आदि क्षेत्रों में उगाई जाती है। मंडी जिला में 278 हैक्टेयर भूमि पर जंजैहली, चुराग, थुनाग क्षेत्रों में तथा कुल्लू जिला में 89 हैक्टेयर भूमि चावल की फसल उगाई जाती है।
मंत्री वीरेन्द्र कंवर ने बताया कि वर्तमान में लाल चावल की फसल राज्य के लगभग 1100 हैक्टेयर भूमि क्षेत्र में उगाई जाती है तथा पिछले वर्षों में लाल चावल की फसल के अधीन क्षेत्रों में हलकी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। उन्होंने बताया कि राज्य में गत वर्ष के दौरान 8 से 10 क्विंटल प्रति हैक्टेयर औसतन पैदावार दर्ज की गई जिसके परिणामस्वरुप राज्य में 9926 क्विंटल लाल चावल की फसल का उत्पादन दर्ज हुआ है। उन्होंने बताया राज्य में आगामी पांच वर्षों में लाल चावल की फसल के तहत 4000 हैक्टेयर क्षेत्र तथा 40000 क्विंटल फसल की पैदावार का लक्ष्य रखा गया है।