समंदर में चीन से युद्ध की तैयारी ! जर्मनी- फ्रांस और ब्रिटेन ने द. चीन सागर में भेजे वारशिप्स

Edited By Tanuja,Updated: 20 Mar, 2021 11:41 AM

european nations united with quad against china

चीन को समंदर में टक्कर देने के लिए क्वाड के साथ यूरोपीय देशों ने भी हाथ मिला लिया है जिससे आने वाले वक्त में चीन की मुसीबत बढ़ने वाली हैं। चीन के खिलाफ अब फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन भी क्वाड के साथ आ गए ...

इंटरनेशनल डेस्कः चीन को समंदर में टक्कर देने के लिए क्वाड के साथ यूरोपीय देशों ने भी हाथ मिला लिया है जिससे आने वाले वक्त में चीन की मुसीबत बढ़ने वाली हैं। चीन के खिलाफ अब फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन भी क्वाड के साथ आ गए हैं इससे समंदर में जंग के आसार बढ़ गए हैं।  ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी ने चीन से मुकाबला करने के लिए दक्षिण चीन सागर में अमेरिका की मदद करने के लिए अपने वारशिप्स भी भेज दिए हैं। यूरोपीय देशों का चीन के खिलाफ आना चीन के लिए बहुत बड़ा झटका है क्योंकि फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन के एयरक्राफ्ट कैरियर और वारशिप्स बेहद खतरनाक हैं।

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यूरोपीय देशों के वारक्राफ्ट्स अत्याधुनिक, लड़ाई करने में बेहद घातक और अमेरिकन नैवी उसे आसानी से ऑपरेट कर सकें, इसे ध्यान में रखकर बनाया गया है। वहीं, यूरोपीयन नेवी के जवान साल भर दुनिया के अलग अलग हिस्सों में युद्धाभ्यास करते रहते हैं लिहाजा उनके पास लड़ाई का अनुभव भी काफी ज्यादा है। जिसकी वजह से माना जा रहा है चीन को साउथ चायना सी में पीछे धकेलनें में ये शक्तियां कामयाब हो जाएंगी। दरअसल विस्तारवादी सोच रखने वाला चीन दक्षिण चीन सागर पर सिर्फ अपना अधिकार समझता है जबकि अमेरिका समेत विश्व के कई बड़े देश और साउथ चाइना सी में आने वाले छोटे छोटे देश अंतर्राष्ट्रीय समुन्द्री कानून के तहत साउथ चायना सी में स्वतंत्र समुन्द्री कानून लागू करने के पक्ष में हैं। लिहाजा अब दक्षिण चीन सागर में लड़ाई के हालात बनने लगे हैं।

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एक ऑस्ट्रेलियाई वेबसाइट न्यूज.कॉम.एयू की रिपोर्ट के अनुसार ‘साउथ चायना सी मेंराजनीतिक प्रयासों के साथ साथ लड़ाई की सुगबुगाहट हो रही है जिसके लिए अंतर्राष्ट्रीय फोरम एक साथ आ चुका है। यही नहीं चीन की आक्रामकता के खिलाफ यूरोपीय देशों ने भी प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी है। जापान इंटरनेशन सिक्योरिटी कॉमेंटेटर हिरोकी अकीता ने कहा है कि ‘इंडो-पैसिफिक रीजन के लिए ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के वारशिप्स रवाना हो चुके हैं, जिसकी वजह से इंडो-पैसिफिक में चीन की तरफ से प्रतिक्रिया दी जा सकती है, और नये टेंशन की शुरूआत हो सकती । लेकिन, इसका एक पॉजिटिव पक्ष ये है कि ताइवर स्ट्रेट और दक्षिण चीन सागर में चीन की विस्तारवादी नीति को इससे नुकसान होगा। उन्होंने कहा है कि इस लड़ाई में यूरोपीय देशों के जुड़ने का अर्थ है कि चीन के के खिलाफ एक्शन शुरू हो चुका है।

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गौरतलब है कि इसी हफ्ते चीन नेशनल असेंबली में चीनी कम्यूनिस्ट पार्टी के चेयरमैन शी जिनपिंग ने कहा है कि उनका मकसद ऐसी सेना को तैयार करना है जो दुनिया की किसी भी ताकत को हरा दे। उन्होंने कहा कि ‘ चीन की वर्तमान सेन्य स्थिति काफी हद तक अस्थिर और अनिश्चित है'। वहीं, चीन के रक्षामंत्री ने ऐलान किया है कि चीन एक हाईरिस्क फेज में पहुंच चुका है। यानि, इसके साथ ही ये तय हो गया है कि चीन आने वाले वक्त में काफी तेजी से अपनी शक्ति बढ़ाएगा। वहीं, इस बार चीन ने डिफेंस बजट में भी काफी ज्यादा इजाफा किया है। वहीं, अमेरिकन नेवी ने दावा किया है कि चीन की नेवी विश्व की सबसे बड़ी नेवी बन चुकी है, जिसके पास 360 पानी के लड़ाकू जहाज है।

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