नेपाल के PM केपी शर्मा ओली ने ‘RAW’ प्रमुख से मुलाकात, नेताओं ने उठाए सवाल

Edited By Yaspal,Updated: 23 Oct, 2020 06:09 PM

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नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली द्वारा कूटनीतिक नियमों की अनदेखी कर भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालायसिस विंग (रॉ) के प्रमुख सामंत कुमार गोयल के साथ भेंट करने के कारण वह सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी समेत विभिन्न नेताओं की आलोचना के...

काठमांडूः नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली द्वारा कूटनीतिक नियमों की अनदेखी कर भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालायसिस विंग (रॉ) के प्रमुख सामंत कुमार गोयल के साथ भेंट करने के कारण वह सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी समेत विभिन्न नेताओं की आलोचना के केन्द्र में आ गये हैं। गोयल ने बुधवार शाम को यहां ओली से उनके सरकारी निवास पर भेंट की थी। हालांकि भारतीय खुफिया एजेंसी के प्रमुख की यात्रा सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) समेत कुछ राजनीतिक नेताओं को रास नहीं आयी।

सत्तारूढ़ दल के नेता भीम रावल ने कहा कि रॉ प्रमुख गोयल और प्रधानमंत्री ओली के बीच जो बैठक हुई, वह कूटनीतिक नियमों के विरूद्ध है और इससे नेपाल के राष्ट्रहितों की पूर्ति नहीं हुई। उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि यह बैठक विदेश मंत्रालय के संबंधित संभाग के साथ बिना परामर्श के गैर पारदर्शी तरीके से हुई, ऐसे में इससे हमारी राजकीय प्रणाली कमजोर भी होगी।'' एनसीपी के विदेश मामलों के प्रकोष्ठ के उपप्रमुख विष्णु रिजाल ने कहा, ‘‘कूटनीति नेताओं के द्वारा नहीं बल्कि राजनयिकों द्वारा संभाली जानी चाहिए। रॉ प्रमुख की यात्रा पर वर्तमान संशय कूटनीति राजनेताओं द्वारा संभाले जाने का परिणाम है।''

नेपाली कांग्रेस के केंद्रीय नेता गगन थापा ने ट्वीट किया, ‘‘ यह बैठक न केवल कूटनीतिक नियमों का उल्लंघन है बल्कि हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा पर खतरा भी पैदा करती है। इसकी जांच की जानी चाहिए।'' नेपाल के तीन पूर्व प्रधानमंत्री-- प्रचंड पुष्प कमल दहल प्रचंड, माधव कुमार नेपाल (दोनों एनसीपी के नेता) और नेपाली कांग्रेस के शेर बहादुर देउबा ने मीडिया की इन खबरों का खंडन किया कि उनकी भी रॉ प्रमुख के साथ बैठक हुई। गोयल की यात्रा भारतीय सेना के प्रमुख जनरल एम एम नरवणे की नवंबर के पहले सप्ताह में होने वाली नेपाल यात्रा से पहले हुई है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा आठ मई को उत्तराखंड में लिपुलेख और धारचूला को जोड़ने वाले 80 किलोमीटर लंबे रणनीतिक रूप से अहम मार्ग का उद्घाटन किये जाने के बाद दोनों देशों के बीच तनाव पैदा हो गया था। नेपाल ने यह दावा करते हुए इस उद्घाटन का विरोध किया था कि यह सड़क उसके क्षेत्र से गुजरती है। कुछ दिनों बाद उसने नया मानचित्र जारी किया और लिपुलेख, कालापानी एवं लिंपियाधुरा को अपनी सीमा के अंदर दिखाया। भारत ने भी नवंबर, 2019 में नया मानचित्र जारी किया था जिसमें इन क्षेत्रों केा अपनी सीमा के अंदर दिखायाथा। नेपाल के मानचित्र जारी करने पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया जारी की और इसे ‘एकतरफा कृत्य ' करार दिया। उसने कहा कि ‘क्षेत्रीय दावे का कृत्रिम विस्तार उसे स्वीकार्य नहीं है।

 

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