Edited By Radhika,Updated: 10 Jul, 2024 11:55 AM
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को योग गुरु रामदेव द्वारा स्थापित पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को एक हलफनामा दायर कर यह बताने का निर्देश दिया कि क्या उसके 14 उत्पादों के विज्ञापन वापस ले लिए गए हैं, जिनके विनिर्माण लाइसेंस पहले निलंबित कर दिए गए थे, लेकिन बाद...
नेशनल डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को योग गुरु रामदेव द्वारा स्थापित पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को एक हलफनामा दायर कर यह बताने का निर्देश दिया कि क्या उसके 14 उत्पादों के विज्ञापन वापस ले लिए गए हैं, जिनके विनिर्माण लाइसेंस पहले निलंबित कर दिए गए थे, लेकिन बाद में बहाल कर दिए गए। उत्तराखंड राज्य लाइसेंस प्राधिकरण ने 15 अप्रैल को एक आदेश जारी कर पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड और दिव्य फार्मेसी के 14 उत्पादों के विनिर्माण लाइसेंस निलंबित कर दिए थे। एक ताजा घटनाक्रम में लाइसेंस प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया है। इसमें कहा गया है कि पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड की शिकायतों की जांच करने वाली एक उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट के बाद निलंबन आदेश रद कर दिया गया है।
मंगलवार को सुनवाई के दौरान जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने पतंजलि के 16 मई के हलफनामे पर गौर किया, जिसमें कंपनी ने कहा था कि 15 अप्रैल के निलंबन आदेश के मद्देनजर इन 14 उत्पादों की बिक्री रोक दी गई है। हलफनामे में कहा गया है कि कंपनी ने अपने आधिकारिक इंटरनेट मीडिया अकाउंट से संबंधित विज्ञापनों को हटाने के लिए भी कदम उठाए हैं। शीर्ष अदालत भारतीय चिकित्सा संघ (आइएमए) द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें पतंजलि द्वारा कोरोना टीकाकरण अभियान और आधुनिक चिकित्सा पद्धति को बदनाम करने का आरोप लगाया गया था। अदालत ने पतंजलि को दो सप्ताह के भीतर अपना हलफनामा दायर करने को कहा।
सुप्रीम कोर्ट से माफी व्यापक रूप से प्रकाशित हुई: आइएमए अध्यक्ष
भारतीय चिकित्सा संघ के अध्यक्ष आरवी अशोकन ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि प्रेद्र को दिए गए एक साक्षात्कार में उनके "अपमानजनक बयानों पर शीर्ष अदालत से उनकी बिना शर्त माफी विभिन्न प्रकाशनों में प्रकाशित हुई है। इस साक्षात्कार में उन्होंने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के भ्रामक विज्ञापन मामले को लेकर सवालों के जवाब दिए थे। आइएमए के वकील पीएस पटवालिया ने जस्टिस हिमा कोहली और संदीप मेहता की पीठ को बताया कि उनकी बिना शर्त माफी आइएमए के मासिक प्रकाशन, इसकी वेबसाइट और प्रेद्र द्वारा भी प्रकाशित की गई है। पटवालिया ने पीठ से कहा, पिछली बार मैंने (अशोकन की ओर से) माफी का हलफनामा दिया था। न्यायाधीशों की राय थी कि माफी को साक्षात्कार की तरह उचित प्रचार मिलना चाहिए।