इंडस्ट्रियल अल्कोहल पर राज्यों का अधिकार नहीं छीना जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

Edited By Updated: 23 Oct, 2024 03:04 PM

states  rights over industrial alcohol cannot be taken away supreme court

आज सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिसमें कहा गया है कि औद्योगिक शराब के बारे में कानून बनाने की शक्ति राज्य सरकारों के पास है। इस फैसले में नौ जजों की संविधान पीठ ने 8:1 के बहुमत से यह निर्णय लिया।

नेशनल डेस्क: आज सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिसमें कहा गया है कि औद्योगिक शराब के बारे में कानून बनाने की शक्ति राज्य सरकारों के पास है। इस फैसले में नौ जजों की संविधान पीठ ने 8:1 के बहुमत से यह निर्णय लिया।

1990 के फैसले को पलटा गया
सुप्रीम कोर्ट ने 1990 में दिए गए एक पुराने फैसले को पलट दिया। उस समय की 7 जजों की पीठ ने कहा था कि औद्योगिक अल्कोहल को राज्य सरकारें नियंत्रित नहीं कर सकतीं। लेकिन अब की पीठ ने यह स्पष्ट किया कि औद्योगिक अल्कोहल, भले ही नशे के लिए न हो, फिर भी इसे नशीले पदार्थों की श्रेणी में रखा गया है।

राज्यों का अधिकार
सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि राज्यों को औद्योगिक शराब को रेग्यूलेट करने और उस पर टैक्स लगाने का अधिकार है। जस्टिस बी.वी. नागरत्न ने इस बहुमत के फैसले से असहमति जताते हुए कहा कि यह अधिकार केवल केंद्र सरकार को होना चाहिए।

संविधान के प्रावधान
संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार, राज्यों को 'नशीली शराब' के उत्पादन, कब्जे, परिवहन, खरीद और बिक्री पर कानून बनाने का अधिकार है। जबकि कुछ उद्योगों पर नियंत्रण केंद्र सरकार द्वारा किया जा सकता है।

पहले के फैसले का संदर्भ
1990 में हुए सिंथेटिक्स एंड केमिकल्स लिमिटेड बनाम उत्तर प्रदेश मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया था कि "मादक शराब" केवल उन अल्कोहल का संदर्भ देती है, जो नशे के लिए उपयोग किए जाते हैं। इस निर्णय में कहा गया था कि औद्योगिक अल्कोहल, जिसे रेक्टिफाइड या डिनेचर्ड स्पिरिट कहा जाता है, को राज्यों द्वारा नियंत्रित नहीं किया जा सकता है। इस फैसले के परिणामस्वरूप, औद्योगिक शराब के उत्पादन और वितरण का नियंत्रण केंद्र सरकार के पास रहा। हालांकि, हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस निर्णय को पलटते हुए यह स्पष्ट किया है कि राज्य सरकारों को औद्योगिक शराब के रेग्यूलेशन का अधिकार है, जिससे उनके नियंत्रण का दायरा बढ़ गया है।

अंतिम विचार
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने यह सुनिश्चित किया है कि राज्यों की शक्ति को औद्योगिक शराब के नियंत्रण में नहीं छीना जा सकता। अब राज्यों को यह अधिकार है कि वे औद्योगिक अल्कोहल को सही तरीके से रेग्यूलेट करें और उस पर टैक्स भी लगा सकें।

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