'इस साल और मेहनत करनी होगी...', UNSC की सदस्‍यता को लेकर विदेश मंत्री जयशंकर का बड़ा बयान

Edited By Yaspal,Updated: 02 Apr, 2024 06:00 PM

jaishankar s big statement regarding unsc membership

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की स्थायी सदस्यता निश्चित रूप से मिलेगी क्योंकि दुनिया में इस तरह की भावना है कि उसे यह जगह मिलनी चाहिए

नेशनल डेस्कः विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की स्थायी सदस्यता निश्चित रूप से मिलेगी क्योंकि दुनिया में इस तरह की भावना है कि उसे यह जगह मिलनी चाहिए, लेकिन देश को इसके लिए इस बार कड़ी मेहनत करनी होगी। वह गुजरात के राजकोट शहर में बुद्धिजीवियों के साथ बातचीत के दौरान बोल रहे थे। जब श्रोताओं में से किसी ने उनसे यूएनएससी का स्थायी सदस्य बनने की भारत की संभावनाओं के बारे में पूछा तो उन्होंने यह उत्तर दिया।

जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की स्थापना लगभग 80 वर्ष पहले हुई थी और पांच देशों- चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका ने आपस में सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने का फैसला कर लिया था। उन्होंने कहा कि उस समय दुनिया में करीब 50 स्वतंत्र देश थे जो अब बढ़कर 193 हो गए हैं। विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘लेकिन इन पांच देशों ने उनका नियंत्रण रखा और अजीब बात है कि आपको उनसे कहना पड़ता है कि बदलाव के लिए मंजूरी दें। कुछ सहमत होते हैं, कुछ अन्य ईमानदारी से अपना रुख रखते हैं, वहीं अन्य पीछे से कुछ करते हैं।''

मंत्री ने कहा कि कई सालों से यह चल रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन अब पूरी दुनिया में इस तरह की भावना है कि यह बदलना चाहिए और भारत को स्थायी सदस्यता मिलनी चाहिए। मुझे लगता है कि यह भावना हर साल बढ़ रही है।'' जयशंकर ने कहा, ‘‘हम निश्चित रूप से इसे हासिल करेंगे। लेकिन बिना परिश्रम के कुछ बड़ा हासिल नहीं किया जाता।'' उन्होंने कहा, ‘‘हमें कठिन परिश्रम करना होगा और इस बार हमें और कड़ी मेहनत करनी होगी।''

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत, जापान, जर्मनी और मिस्र ने संयुक्त राष्ट्र के सामने मिलकर एक प्रस्ताव रखा है और उन्हें लगता है कि इससे मामला थोड़ा आगे बढ़ेगा। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन हमें दबाव बनाना चाहिए, और जब यह दबाव बढ़ता है... तो दुनिया में यह भावना पैदा होती है कि संयुक्त राष्ट्र कमजोर हो गया है। यूक्रेन युद्ध पर संयुक्त राष्ट्र में गतिरोध था और गाजा के संबंध में संयुक्त राष्ट्र में कोई आम सहमति नहीं बन पाई थी। मुझे लगता है कि जैसे-जैसे यह भावना बढ़ेगी, हमें स्थायी सीट मिलने की संभावना भी बढ़ेगी।''

जर्मनी में रहने वाले एक भारतीय जोड़े से उनकी बेटी अरिहा शाह को अधिकारियों द्वारा ले जाये जाने और देखभाल केंद्र में रखे जाने के मामले में जयशंकर ने कहा कि वह इस मामले से अवगत हैं और इस पर नजर रख रहे हैं। मंत्री ने कहा, ‘‘बच्ची को बालक देखभाल सेवाओं को सौंप दिया गया है। हम इससे असंतुष्ट हैं। हम नहीं चाहते कि बच्ची जर्मन संस्कृति के अनुसार पले-बढ़े। उसके माता-पिता अदालत गए हैं और मामले में सुनवाई हो रही है।'' उन्होंने कहा, ‘‘अपने स्तर पर मैंने मेरे समकक्ष के साथ इस मुद्दे को उठाया है। हमारा प्रयास किसी तरह का समाधान निकालने का है।''

जयशंकर ने समारोह में अपने भाषण में कहा कि दुनिया इस बात से हैरान है कि कोविड-19 महामारी के बावजूद भारत सात प्रतिशत की विकास दर से बढ़ रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘दुनिया को लगता है कि सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में भारत वैश्विक विकास का इंजन बन सकता है।'' जयशंकर ने कहा कि दुनिया समझती है कि भारत में प्रौद्योगिकी प्रतिभा है।

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