जयशंकर ने अमेरिकी चेतावनी का दिया जवाब, कहा- "छोटी सोच छोड़ो, चाबहार बंदरगाह से सबको होगा लाभ"

Edited By Tanuja,Updated: 16 May, 2024 02:14 PM

jaishankar to us chabahar port deal for everyone s benefit don t think narrow

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि चाबहार बंदरगाह से पूरे क्षेत्र को लाभ होगा और इसे लेकर संकीर्ण सोच नहीं रखनी चाहिए। इससे पहले...

इंटरनेशनल डेस्कः  विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि चाबहार बंदरगाह से पूरे क्षेत्र को लाभ होगा और इसे लेकर संकीर्ण सोच नहीं रखनी चाहिए। इससे पहले अमेरिका ने चेतावनी दी थी कि ईरान के साथ व्यापारिक समझौते करने वाले किसी भी देश पर प्रतिबंधों का खतरा है। जयशंकर ने मंगलवार रात कोलकाता में एक कार्यक्रम में कहा कि अतीत में अमेरिका भी इस बात को मान चुका है कि चाबहार बंदरगाह की व्यापक प्रासंगिकता है। भारत ने सोमवार को सामरिक रूप से महत्वपूर्ण ईरान के चाबहार बंदरगाह को संचालित करने के लिए 10 साल के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए है, जिससे नयी दिल्ली को मध्य एशिया के साथ व्यापार बढ़ाने में मदद मिलेगी।

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जयशंकर ने कहा, ‘‘चाबहार बंदरगाह से हमारा लंबा नाता रहा है लेकिन हम कभी दीर्घकालिक समझौते पर हस्ताक्षर नहीं कर सके। इसकी वजह है कि कई समस्याएं थीं। अंतत: हम इन्हें सुलझाने में सफल रहे हैं और दीर्घकालिक समझौता कर पाए हैं। दीर्घकालिक समझौता जरूरी है क्योंकि इसके बिना हम बंदरगाह पर परिचालन नहीं सुधार सकते। और हमारा मानना है कि बंदरगाह परिचालन से पूरे क्षेत्र को लाभ होगा।'' उन्होंने कहा, ‘‘मैंने कुछ बयान देखे हैं, लेकिन मेरा मानना है कि यह लोगों को बताने और समझाने का सवाल है कि यह वास्तव में सभी के फायदे के लिए है। मुझे नहीं लगता कि इस पर लोगों को संकीर्ण विचार रखने चाहिए। और उन्होंने अतीत में ऐसा नहीं किया है।''

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जयशंकर ने कहा, ‘‘अगर आप अतीत में चाहबहार को लेकर अमेरिका के खुद के रवैये को देखें तो वह इस तथ्य का प्रशंसक रहा है कि चाबहार की व्यापक प्रासंगिकता है। हम इस पर काम करेंगे।'' भारत ने 2003 में ऊर्जा संपन्न ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित चाबहार बंदरगाह को विकसित करने का प्रस्ताव रखा था। इसके जरिए अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (आईएनएसटीसी) का इस्तेमाल कर भारत से सामान अफगानिस्तान और मध्य एशिया भेजा जा सकेगा। अमेरिका ने संदिग्ध परमाणु कार्यक्रम को लेकर ईरान पर प्रतिबंध लगा दिए थे, जिसके चलते बंदरगाह के विकास का काम धीमा पड़ गया था।

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अमेरिकी विदेश विभाग के उप प्रवक्ता वेदांत पटेल ने अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा था, “हम इन खबरों से अवगत हैं कि ईरान और भारत ने चाबहार बंदरगाह से संबंधित एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। मैं चाहूंगा कि भारत सरकार चाबहार बंदरगाह और ईरान के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों के संदर्भ में अपनी विदेश नीति के लक्ष्यों पर बात करे।” सामरिक रूप से महत्वपूर्ण चाबहार बंदरगाह को लेकर ईरान के साथ भारत के समझौते के बारे में एक सवाल पर उन्होंने कहा, “मैं सिर्फ इतना कहना चाहूंगा कि चूंकि यह अमेरिका से संबंधित है, ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध लागू हैं और हम उन्हें बरकरार रखेंगे।” पटेल ने कहा, “आपने हमें कई मामलों में यह कहते हुए सुना है कि कोई भी इकाई, कोई भी व्यक्ति जो ईरान के साथ व्यापारिक समझौते पर विचार कर रहा है, उन्हें संभावित जोखिम और प्रतिबंधों के बारे में पता होना चाहिए।” 

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