Edited By Mahima,Updated: 18 May, 2024 04:38 PM
कोरोना महामारी के वक्त पूरी दुनिया मानो जैसे थम सी गई थी। इससे बचाव के लिए देश में बड़े पैमाने पर लोगों ने कोविशील्ड और कोवैक्सीन टीके लगवाए थे। लेकिन अब इन दोनो टीकों के साइड इफेक्ट सामने आने लग गए हैं।
नेशनल डेस्क: कोरोना महामारी के वक्त पूरी दुनिया मानो जैसे थम सी गई थी। इससे बचाव के लिए देश में बड़े पैमाने पर लोगों ने कोविशील्ड और कोवैक्सीन टीके लगवाए थे। लेकिन अब इन दोनो टीकों के साइड इफेक्ट सामने आने लग गए हैं। कोविशील्ड बनने वाली ब्रिटिश कंपनी एस्ट्राजेनिका ने पिछले दिनों वहां की एक अदालत में स्वीकार किया था कि उसके टीके से कुछ लोगों में गंभीर बीमारी हो सकती है। वहीं दूसरी तरफ बात करें कोवैक्सीन की तो अब उसके भी साइड इफेक्ट सबके सामने आने लग गए हैं।
किशोर लड़कियों पर पड़ा सबसे ज्यादा प्रभाव
एक रीप्रोट के मुताबिक एक साल बाद तक काफी लोंगो में इसके साइड इफेक्ट देखने को मिल रहे हैं। इनता ही नहीं इसका सबसे ज्यादा प्रभाव किशोर लड़कियों पर पड़ा है। जिसमें कुछ साइड इफेक्ट बेहद गंभीर किस्म के थे। इन वैक्सीन को लेकर एक ‘ऑब्जर्वेशनल स्टडी’ की गई थी जिसमें टीका लगवाने वाले एक तिहाई लोगों में ‘एडवर्स इवेंट्स ऑफ स्पेशल इंट्रेस्ट’ यानी एईएसआई पाया गया। यह स्टडी रिपोर्ट स्प्रिंगर लिंक जर्नल में प्रकाशित हुई है। बता दें कि ये स्टडी बनारस हिंदू विश्वविद्याल की संखा शुभ्रा चक्रबर्ती और उनकी टीम ने किया है। इस रिपोर्ट के अनुसार टीका लगवाने वाले अधिकतर लोगों में एक साल तक साइड इफेक्ट देखा गया। हालांकि, इस स्टडी में 1024 लोगों को शामिल किया गया। इन सभी लोगो से फॉलोअफ चेकअप के लिए संपर्क किया गया था।
युवा लोगों में दिखी ये आम परेशानी
स्टडी में 304 किशोरों यानी करीब 48 प्रतिशत में ‘वायरल अपर रेस्पेरेट्री ट्रैक इंफेक्शन्स’ देखा गया। इसके अलावा 10.5 फीसदी किशोरों में ‘न्यू-ऑनसेट स्कीन एंड सबकुटैनियस डिसऑर्डर’, 10.2 जनरल डिसऑर्डर यानी आम परेशानी, 4.7 फीसदी में नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर यानी नसों से जुड़ी परेशानी पाई गई। इसी तरह 8.9 फीसदी युवा लोगों में आम परेशानी, 5.8 फीसदी में मुस्कुलोस्केलेटल डिसऑर्डर यानी मांसपेशियों, नसों, जोड़ों से जुड़ी परेशानी और 5.5 में नर्वस सिस्टम से जुड़ी परेशानी देखी गई। रिपोर्ट के मुताबिक कोवैक्सीन का साइड इफेक्ट युवा महिलाओं में भी देखा गया। 4.6 फीसदी महिलाओं में पीरियड से जुड़ी परेशानी सामने आई। 2.7 फीसदी में ओकुलर यानी आंख से जुड़ी दिक्कत दिखी। 0.6 फीसदी में हाइपोथारोइडिज्म पाया गया।
इसके अलावा गंभीर साइड इफेक्ट की बात करें तो करीब एक फीसदी लोगों में ये पाया गया है। वहीं 300 में से एक व्यक्ति में स्ट्रॉक की दिक्कत और 100 में से एक व्यक्ति में गुईलैइन-बैरे सिंड्रोम पाया गया है। इस स्टडी से भी पता चला है कि इस वैक्सीन को लगाने के कारण युवा-किशोर महिलाओं में थायरायड जैसी बीमारी का प्रभाव काफी देखने को मिला है। इसके साथ ही कई किशोरियों में थायरायड का लेवल भी कई गुना बढ़ गया। चिंता करने वाली बात ये थी कि इस वैक्सीन को लगवाने के एक साल बाद इन लोगों से संपर्क किया गया तो इनमें से अधिकतर लोगों में ये बीमारियां मौजूद थीं। इसमें यह भी कहा गया है कि कोवैक्सीन के साइड इफेक्ट का पैटर्न कोरोना की अन्य वैक्सीन के साइड इफेक्ट के पैटर्न से अलग है। ऐसे में उनका सुझाव है कि वैक्सीन के प्रभाव को गहराई से समझने के लिए और अधिक दिनों तक नजर रखने की जरूरत है।