सोमनाथ मंदिरः कई आक्रमण झेले, लेकिन कायम रहा वैभव, अब भगवान शिव के साथ विराजेंगी मां गौरी

Edited By Seema Sharma,Updated: 20 Aug, 2021 10:28 AM

story of somnath mandir

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज गुजरात में सोमनाथ से जुड़ी तीन अहम परियोजनाओं का लोकार्पण करेंगे। प्रधानमंत्री इसके साथ ही मां पार्वती मंदिर का शिलान्यास भी करेंगे। सोमनाथ मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से पहला माना जाता है। इस मंदिर ने कई...

नेशनल डेस्क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज गुजरात में सोमनाथ से जुड़ी तीन अहम परियोजनाओं का लोकार्पण करेंगे। प्रधानमंत्री इसके साथ ही मां पार्वती मंदिर का शिलान्यास भी करेंगे। सोमनाथ मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से पहला माना जाता है। इस मंदिर ने कई आक्रमण झेले हैं लेकिन इसकी शोभा और वैभव कम नहीं हुआ है। कहते हैं कि इसका निर्माण स्वयं चंद्रदेव सोमराज ने किया था लेकिन जब गजनवी भारत आया तो उसने इस मंदिर को काफी क्षति पहुंचाई। सोमनाथ मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने 11 मई 1951 को की थी।

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सोमनाथ मंदिर पर गजनवी का हमला
महमूद गजनवी ने सन् 1025 में मंदिर पर हमला किया। उसने मंदिर की सम्पत्ति लूटी और उसे तकरीबन नष्ट कर दिया। बताया जाता है कि करीब 5 हजार लोगों के साथ मिलकर गजनवी ने सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण किया था। उस समय मंदिर की रक्षा करते-करते कई निहत्थे लोग गजनवी के हाथों मारे गए। ऐतिहासिक त्थ्यों के मुताबिक इस हमले के कई सालों बाद  गुजरात के राजा भीम और मालवा के राजा भोज ने फिर से मंदिर का निर्माण करवाया। लेकिन सन 1297 में जब दिल्ली सल्तनत ने गुजरात पर कब्जा किया तो एक बार फिर से मंदिर आहत हुआ।

 

दिल्ली सल्तनत के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी के सेनापति नुसरत खां ने गुजरात पर हमला किया किया और मंदिर में एक बार फिर से तोड़फोड़ की। फिर से मंदिर की सारी संपत्ति लूट ली गई। नुसरत खां के आक्रमण के बाद मंदिर को फिर से हिन्दू राजाओं ने बनवाया। तीसरी बार 1395 में गुजरात के सुल्तान मुजफ्‍फर शाह ने मंदिर को फिर तुड़वां दिया और यहां लूटपात की। एक बार फिर से हिंदुओं ने मंदिर को खड़ा किया और इसे सजाया संवारा गया। 1412 में मुजफ्फर शाह के बेटे अहमद शाह ने फिर से मंदिर पर आक्रमण कर इसमें तोड़फोड़ की लेकिन श्रद्धालुओं का भक्त‍िभाव मंदिर से कम नहीं हुआ और इसे पुन: बनवाया गया।

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औरंगजेब के समय सोमनाथ मंदिर को दो बार तोड़ा गया। सन 1665 में मंदिर तुड़वाने के बाद जब औरंगजेब ने देखा कि हिन्दू वहां से पूजा करने से नहीं हटे तो उसने एक सैन्य टुकड़ी भेजकर लूटपाट और कत्लेआम करवाया। लेकिन लोगों की आस्था वहां कम नहीं हुई और वहां पर लोग पूजा करने आते रहे। साल 1950 में भारत के गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने मंदिर का दोबारा निर्माण करवाया और 1 दिसंबर 1995 को भारत के राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया। सातवीं बार इस मंदिर को कैलाश महामेरू प्रासाद शैली में बनवाया गया था जिसमें निर्माण कार्य से सरदार वल्लभभाई पटेल जुड़े रहे थे। हालांकि तब मां गौरी के मंदिर का निर्माण नहीं करवाया गया था। अब पीएम मोदी पार्वती मंदिर का निर्माण की आधारशिला रखेंगे। इस मंदिर का निर्माण 30 करोड़ रुपए के लागत से किया जाना प्रस्तावित है।

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