Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Jan, 2018 03:04 PM
तीन तलाक विधेयक सियासत की भेंट चढ़ गया। भारी हंगामे के बीच लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गई।आज चालू सत्र का आखिरी दिन था। मगर विपक्ष अपनी मांग पर अड़ा रहा और सरकार भी पीछे हटने के मूड में नहीं दिखी। ऐसे में यह बिल...
नई दिल्ली: तीन तलाक विधेयक सियासत की भेंट चढ़ गया। भारी हंगामे के बीच लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गई।आज चालू सत्र का आखिरी दिन था। मगर विपक्ष अपनी मांग पर अड़ा रहा और सरकार भी पीछे हटने के मूड में नहीं दिखी। ऐसे में यह बिल फिलहाल के लिए अटक गया है। शुरुआत में ही आशंका जताई जा रही थी कि आज बिल पर चर्चा नहीं होगी। विपक्ष ने इसके लिए पूरी तैयारी कर ली थी।
खास तौर से कांग्रेस ने अपने सांसदों को आज सुबह व्हिप जारी कर राज्यसभा में मौजूद रहने के निर्देश दिया था। आज सरकार के पास बिल को पास करवाने का आखिरी मौका था अब बजट सत्र में इस पर चर्चा की संभावना है। यह बिल लोकसभा में पास हो चुका है। तब कांग्रेस ने भी इस पर भाजपा का साथ दिया था लेकिन उच्च सदन में अड़ंगा डाल रहा था। राज्यसभा में अल्पमत में सरकार है, इस कारण बहुमत के लिए विपक्ष का साथ बेहद जरूरी था, इसका पूरा लाभ कांग्रेस ने उठाया और बिल को प्रवर समिति के पास भेजे जाने की मांग पर अड़ी रही। राज्यसभा का गत वर्ष 15 दिसंबर से शुरू हुआ शीतकालीन सत्र आज अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया और इस दौरान उच्च सदन में हंगामे के कारण कामकाज के 34 घंटों का नुकसान हुआ तथा सभापति एम वेंकैया नायडू ने इस पर चिंता जताते हुए कहा कि बाधायें लोकतंत्र का हिस्सा नहीं हैं।
नायडू ने सदन में कामकाज के घंटों में इजाफे पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए काम की गति को आगे भी जारी रखने का भरोसा जताया। उन्होंने कहा ‘‘हम सभी के लिए यह समीक्षा, स्मरण और आत्मावलोकन करने का विषय है कि हमने सदन की कार्यवाही का संचालन कैसे किया।’’ उन्होंने सभी सदस्यों को राजनीतिक प्रक्रिया का हिस्सा बताते हुये कहा ‘‘आप मुझसे इस बात से सहमत होंगे कि भले ही संसद राजनीति का एक महत्वपूर्ण संस्थान है, किन्तु यह विशिष्ट अर्थों में राजनीति का विस्तार नहीं हो सकता, जो गहरे विभाजन और विद्वेष से भरी होती है।’’