Edited By Mahima,Updated: 06 Jun, 2024 05:13 PM

लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद अब बुधवार यानी 5 जून को इस्तीफा देने के बाद, नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह की तैयारी अब जोरों शोरों से चल रही है, जो की आब 9 जून को होने की संभावना है।
नेशनल डेस्क: लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद अब बुधवार यानी 5 जून को इस्तीफा देने के बाद, नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह की तैयारी अब जोरों शोरों से चल रही है, जो की आब 9 जून को होने की संभावना है। मोदी भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) द्वारा लोकसभा चुनावों में 293 सीटें जीतने के साथ ऐतिहासिक तीसरी बार लगातार प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
मोदी के शपथ ग्रहण समारोह से जुड़े घटनाक्रम से परिचित लोगों ने बताया कि श्रीलंका और बांग्लादेश सहित भारत के पड़ोसी देशों के कई विश्व नेताओं को निमंत्रण भेजा गया है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके लिए फॉर्मल निमंत्रण गुरुवार यानी की आज भेजें जाएंगे को भेजे जाएंगे। लेकिन अब सवाल ये उठता है कि मोदी ने अपने इस खास दिन के लिए किसे आमंत्रित किया है? और निमंत्रण के पीछे का उनका क्या महत्व है?

किसे-किसे आमंत्रित किया गया है?
कई रिपोर्टों में कहा गया है कि कार्यवाहक प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी 'नेबरहुड फर्स्ट' नीति को ध्यान में रखते हुए, श्रीलंका, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल और मॉरीशस जैसे पड़ोसी देशों के नेताओं को अपने तीसरे कार्यकाल के शपथ ग्रहण समारोह के लिए निमंत्रण भेजा है। श्रीलंका और बांग्लादेश ने भी इसकी पुष्टि कर दी है, जबकि रानिल विक्रमसिंघे और शेख हसीना ने भी अपनी उपस्थिति की पुष्टि कर दी है। श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के मीडिया कार्यालय ने पुष्टि की कि मोदी ने उन्हें शपथ ग्रहण समारोह के लिए निमंत्रण दिया गया है और उनहोंने निमंत्रण को स्वीकार कर लिया है।
खबर है कि मोदी ने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना से फोन पर बातचीत की और फोन पर बातचीत में उन्होंने हसीना को अपने शपथ ग्रहण समारोह में आने का निमंत्रण दिया जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। यह भी कहा गया है कि नेपाल के पुष्प कमल दहल 'प्रचंड', भूटान के शेरिंग तोबगे और मॉरीशस के प्रविंद जगन्नाथ को मोदी के शपथ ग्रहण समारोह के लिए आमंत्रित किया जाएगा।
क्या है 'नेबरहुड फर्स्ट' नीति ?
विशेषज्ञों के अनुसार, शपथ ग्रहण समारोह के लिए मोदी द्वारा चुने गए नेता, 'नेबरहुड फर्स्ट' नीति के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। लेकिन आखिर यह नीति क्या है? 2008 में संकल्पित भारत की 'नेबरहुड फर्स्ट' नीति भारत की विदेश नीति का एक मुख्य घटक है। पहली बार सत्ता में आने से पहले, मोदी ने कहा था कि वे इसे अपनी विदेश नीति का मुख्य हिस्सा बनाएंगे। यह 'नेबरहुड फर्स्ट' नीति भारत के अपने निकटतम पड़ोसी देशों - अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, म्यांमार, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका के साथ संबंधों के प्रबंधन के प्रति भारत के दृष्टिकोण को निर्देशित करती है।

सरल शब्दों में कहें तो इसका उद्देश्य पूरे क्षेत्र में भौतिक, डिजिटल और लोगों के बीच संपर्क को बेहतर बनाना है, साथ ही व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा देना है। ओआरएफ की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 'नेबरहुड फर्स्ट' दृष्टिकोण क्षेत्रीय स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देने का मोदी का प्रयास है, जो भारत के समग्र विकास और सुरक्षा के लिए एक सुरक्षित और सहयोगी पड़ोस के महत्व को पहचानता है। कई पूर्व -राजनीतिक विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि 'नेबरहुड फर्स्ट' दृष्टिकोण क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने का भारत का एक प्रयास है।
अपने कार्यकाल के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ने इस दृष्टिकोण के प्रति अपना वायदा दोहराया है। उदाहरण के लिए, जब श्रीलंका को 2022 में भारी आर्थिक उथल-पुथल का सामना करना पड़ा, तो भारत ने 4 बिलियन डॉलर की वित्तीय और मानवीय सहायता के रूप में उनकी अर्थव्यवस्था को जीवनदान देकर IMF को भी पीछे छोड़ दिया। इसके कारण कोलंबो चीन से दूर हो गया है।भारत की 'नेबरहुड फर्स्ट' नीति का एक और उदाहरण है जब भारत ने बांग्लादेश को 22.5928 मिलियन रुपये के कोविड-19 टीके भेजे, उसके बाद नेपाल को 9.499 मिलियन रुपये के टीके भेजे। इस दृष्टिकोण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का एक और उदाहरण यह था कि कोविड-19 के बाद उनकी पहली विदेश यात्रा बांग्लादेश की थी। इसके अलावा, दोनों पड़ोसी ऐतिहासिक भूमि सीमा समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए एक साथ आए हैं।
मोदी के पिछले शपथ ग्रहण समारोहों में क्या हुआ था?
नरेंद्र मोदी के तीसरे शपथ ग्रहण समारोह के लिए निमंत्रण पुरानी परंपरा के अनुसार है। 2014 में जब मोदी ने अपने पहले कार्यकाल के लिए शपथ ली थी, तो तत्कालीन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ सहित SAARC (दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन) के नेताओं को आमंत्रित किया गया था और वे समारोह में शामिल भी हुए थे। उस समय मोदी ने इस कार्यक्रम में भाजपा और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के साथ-साथ बॉलीवुड अभिनेताओं और शीर्ष उद्योगपतियों को भी आमंत्रित किया था। मोदी के साथ सात महिलाओं समेत 45 सांसदों ने भी मंत्री पद की शपथ ली थी।

फिर 2019 में, मोदी ने अपने दूसरे शपथ ग्रहण समारोह के लिए बिम्सटेक देशों: बांग्लादेश, भूटान, भारत, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका और थाईलैंड के नेताओं को आमंत्रित किया था। इस समारोह में किर्गिज़ राष्ट्रपति और शंघाई सहयोग संगठन के तत्कालीन अध्यक्ष सूरोनबे जीनबेकोव और मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ भी मौजूद थे। राष्ट्रपति भवन में आयोजित इस समारोह में मोदी के साथ 24 केंद्रीय मंत्रियों और नौ राज्य मंत्रियों ने भी शपथ ली थी। यह अभी भी देखा जाना बाकी है कि 8 जून को मोदी के साथ कौन शपथ लेगा, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि चुनावों में भाजपा के खराब प्रदर्शन के कारण सहयोगी दलों का प्रतिनिधित्व अधिक होगा।