Edited By ,Updated: 16 Mar, 2017 11:12 AM
दिल्ली उच्च न्यायालय ने जापान की दूरसंचार कंपनी एनटीटी डोकोमो की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा।
नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने जापान की दूरसंचार कंपनी एनटीटी डोकोमो की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा। याचिका में कंपनी ने टाटा समूह के साथ अपने संयुक्त उद्यम टीटीएसएल के संदर्भ में टाटा संस द्वारा अनुबंध की शर्तें तोड़े जाने के एवज में नुकसान की भरपाई के लिए 1.17 अरब डॉलर देने के अंतरराष्ट्रीय अदालत के आदेश को अनुपालन में लाने का अनुरोध किया गया है। न्यायाधीश एस मुरलीधर को इस मुद्दे पर भी फैसला सुनना है कि क्या रिजर्व बैंक की इस मामले में हस्तक्षेप करने की अर्जी सुनवाई योग्य है। आरबीआई पंच निर्णय अदालत के निर्णय के साथ साथ टाटा तथा डोकोमो के बीच हुए समझौते का भी विरोध कर रहा है। अदालत और दोनों कंपनियों की राय है कि पंचनिर्णय में पक्ष रही पार्टियां ही पंचनिर्णय के फैसले पर आपत्ति उठा सकती हैं।
नहीं मिला कोई खरीदार
अदालत ने मामले में हस्तक्षेप के अनुरोध वाली रिजर्व बैंक की याचिका की स्वीकार्यता पर इसको लेकर सवाल उठाया कि वह टाटा तथा डोकोमो के बीच मध्यस्थता में कोई पक्ष नहीं है। डोकोमो तथा टाटा को मध्यस्थता के लिए जाना पड़ा क्योंकि भारतीय कंपनी जापान की दूरसंचार इकाई की संयुक्त उद्यम कंपनी के टाटा टेलीसर्विसेज लि. (टीटीएसएल) से निकलने की स्थिति में उसकी 26.5 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिए कोई खरीदार नहीं तलाश पाई। दोनों कंपनियों के बीच शेयरहोल्डिंग समझौते के तहत डोकोमो के पांच साल के भीतर उद्यम से बाहर निकलने पर टाटा को खरीदार तलाशना था जो जापानी कंपनी की हिस्सेदारी अधिग्रहण के समय की दर के कम से कम 50 प्रतिशत मूल्य पर शेयर खरीद सके। यह 58.45 रुपए प्रति शेयर बैठता है।
लंदन कोर्ट ने सुनाया था यह फैसला
दूसरा विकल्प यह था कि टाटा बाजार मूल्य पर शेयर खरीदे जो 23.44 रुपए प्रति इकाई बैठता है। हालांकि डोकोमो को यह मंजूर नहीं था और उसे मध्यस्थता का सहारा लिया। उसके बाद लंदन कोर्ट आफ आर्बिट्रेशन (एलसीआईए) ने जून 2016 में शेयरधारिता समझौते के तहत टाटा की खरीदार तलाशने में नकामी को लेकर डोकोमो को हुए नुकसान के एवज में 1.17 अरब डॉलर के भुगतान का फैसला सुनाया। टाटा ने जब भुगतान के लिए रिजर्व बैंक से मंजूरी नहीं मिलने की बात कही तो डोकोमो दिल्ली उच्च न्यायालय गई।
आज की सुनवाई में लिया गया यह फैसला
रिजर्व बैंक ने आज की सुनवाई के दौरान कहा कि जब एक बार उसने विदेश में धन हस्तांरित करने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया, मुद्दा समाप्त हो गया था। उसने कहा कि अबतक उसके निर्णय को चुनौती नहीं दी गई। डोकोमो के वकील ने कहा कि जो राशि विदेशी भेजी जानी है, वह नुकसान के एवज में है न कि बिक्री के जरिए शेयर का हस्तांतरण है। टाटा के वकील ने दलील दी कि पूर्व में रिजर्व बैंक धन के हस्तांतरण को लेकर विशेष मंजूरी देने का विरोध नहीं किया और बाद में बैंक ने कहा कि निर्णय विदेशी विनिमय प्रबंधन कानून (फेमा) नियमन के खिलाफ है। टाटा ने कहा कि डोकोमो को अपने निवेश का 50 प्रतिशत हिस्सा वापस लेने की अनुमति से विदेशी कंपनियों को भारत में निवेश को लेकर अच्छा संकेत जाएगा।