Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Dec, 2017 06:22 PM
भारत को अगर वर्ल्ड लीडर बनना है तो उसे अपने कामकाज के तरीकों को सुधारने की जरूरत है। मैन्युफैक्चरिंग सैक्टर की कंपनियों को विदेशी टेक्नोलॉजी को अडॉप्ट करना होगा इसलिए कंपनियां अब ऑटोमेशन को अडॉप्ट कर रही हैं जिससे मुनाफा तो बढ़ेगा साथ ही नए रोजगार...
नई दिल्लीः भारत को अगर वर्ल्ड लीडर बनना है तो उसे अपने कामकाज के तरीकों को सुधारने की जरूरत है। मैन्युफैक्चरिंग सैक्टर की कंपनियों को विदेशी टेक्नोलॉजी को अडॉप्ट करना होगा इसलिए कंपनियां अब ऑटोमेशन को अडॉप्ट कर रही हैं जिससे मुनाफा तो बढ़ेगा साथ ही नए रोजगार भी पैदा होंगे। टेक्नोलॉजी रोजगार के लिए खतरा नहीं है ब्लकि ये नई नौकरियों के लिए मौके लाने में मददगार भी है। इसलिए देश में सबसे ज्यादा नौकरियां देने वाली मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने ऑटोमेशन को तेजी से अपना लिया है।
एक आंकड़े के मुताबिक मैन्युफैक्चरिंग में ऑटोमेशन 15 फीसदी की दर से बढ रहा है जो अगले 5 साल में 20 फीसदी तक हो जाएगी। फ्रॉस्ट एंड सुलिवन की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020 तक इंडियन ऑटोमेशन इंडस्ट्री करीब 19,700 करोड़ रुपए की हो जाएगी। टेक्नोलॉजी की इस बैंडवैगन में छोटी-बड़ी हर तरह की कंपनी जुड़ना चाहती है। अब तो ह्युमोनॉइड जैसी एडवांस रोबोटिक्स तकनीक भी आ गई है।
ये तकनीक दूरदराज के इलाकों में काम को आसान बनाने को लेकर एक बढ़िया विकल्प बनकर उभरी है। साथ ही उन इलाकों जहां जान को ज्यादा खतरा है वहां भी इनका इस्तेमाल अच्छे से हो सकती है। टेक्नोलॉजी की मदद से देश का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर स्किल और रेवेन्यू बढ़ा रहा है, ऐसे में उम्मीद है कि दूसरे सेक्टर्स भी ज्यादा से ज्यादा स्मार्ट टेक्नोलॉजी को अपनाएंगी।