Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Oct, 2017 02:52 PM
केंद्र सरकार एक बार फिर प्रमुख मंत्रालयों में हिंदी के प्रयोग पर खरे नहीं उतरे हैं। प्रमुख मंत्रालय जैसे गृह मंत्राल....
नई दिल्लीः केंद्र सरकार एक बार फिर प्रमुख मंत्रालयों में हिंदी के प्रयोग पर खरी नहीं उतरी हैं। प्रमुख मंत्रालय जैसे गृह मंत्रालय, नीति आयोग और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालयों ने सरकारी कामकाज में हिंदी का बहुत कम प्रयोग किया है। एकमात्र मंत्रालय जिसने अच्छा प्रदर्शन किया वो है उमा भारती के पहले जल संसाधन, नदी के विकास और गंगा कायाकल्प मंत्रालय जिसमें 58 फीसदी सरकारी कामकाज हिंदी में हुआ। 44 में से 40 अधिकारी एेसे थे जिन्होंने 70 फीसदी या उससे अधिक काम हिंदी में किया। मंत्रिमंडल के फेरबदल से पहले की गई समीक्षा में मंत्रालय के आधिकारिक प्रतिनिधि ने उमा भारती को अच्छे प्रदर्शन का श्रेय देते हुए कहा था कि "चूंकि हमारे मंत्री खुद ही हिंदी बोल रहे हैं, मंत्रालय के अन्य अधिकारी भी हिंदी में काम करने की रुचि दिखा रहे हैं।"
गृह मंत्रालय में पाई गई यह खामी
गृह मंत्रालय, जोकि सरकारी भाषा विभाग के लिए प्रशासनिक मंत्रालय है और हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देता है, खुद समीक्षा के दौरान विडंबना में पाया गया। गृह मंत्रालय के 112 वरिष्ठ अधिकारियों में से (जो हिंदी जानने का दावा करते हैं) 49 अधिकारी एेसे थे जो हिंदी में 30 फीसदी से भी कम काम करते थे जबकि हिंदी का अन्य 38 अधिकारियों ने सरकारी कामकाज में 30 फीसदी -70 फीसदी तक इस्तेमाल किया। समीक्षा से पता चला है कि गृह मंत्रालय में लगभग 55 फीसदी काम ही हिंदी में हो रहा था। समीक्षा में यह भी पता चला कि 254 आधिकारिक पत्रों जो हिंदी में प्राप्त किए गए थे उनका उत्तर अंग्रेजी में दिया गया था। गृह मंत्रालय की वेबसाइट की भी आलोचना की गई क्योंकि वेबसाइट पर अधिकतर जानकारी अंग्रेजी में थी।
खराब प्रदर्शन के लिए बताए अलग अलग कारण
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की स्थिति भी इससे अलग नहीं थी। मंत्रालय में केवल 35 फीसदी काम ही हिंदी में हो रहा था और 98 अधिकारियों में से 36 अधिकारी हिंदी में अपना काम 70 फीसदी से भी ज्यादा कर रहे थे। इसी तरह पर्यटन मंत्रालय में भी सिर्फ 24 फीसदी काम ही हिंदी में हो रहा था। यहां तक कि ग्रामीण विकास मंत्रालय का प्रदर्शन भी फीका ही रहा। मंत्रालयों ने उनके खराब प्रदर्शन के लिए पेचीदा कारणों का हवाला दिया।