Edited By ,Updated: 10 Dec, 2016 01:19 PM
कुल्लू जिला की सैंज घाटी के शांघड़ में शुक्रवार को इतिहास बना है।
कुल्लू (मनमिंदर अरोड़ा): कुल्लू जिला की सैंज घाटी के शांघड़ में शुक्रवार को इतिहास बना है। यहां, पत्थर के एक खास सिंहासन में राज्या के मुख्यमंत्री विराजमान हुए। सैंकड़ों वर्ष बाद बुशहर राज परिवार का कोई सदस्य यहां पहुंचा। इस धार्मिक रिवायत में वीरभद्र सिंह को इस सिंहासन पर इस वजह से शंगचूल देवता ने बैठने की अनुमति दी है, क्योंकि वह बुशहर राजघराने के सदस्य हैं। यह थड़ा आज भी मंदिर के पास मैदान के एक छोर में स्थित है। जिसमें बुशहर राज परिवार के लोग ही बैठ सकते हैं।
इतिहास के मुताबिक सैंकड़ों साल पहले शंगचूल महादेव के दर्शन के लिए स्वयं राजा भाद्र सिंह यहां आए थे। यह इत्तफाक ही है कि बुशहर राजघराने से ताल्लुक रखने वाले वीरभद्र सिंह इस वक्त सूबे के मुख्यमंत्री भी हैं। इसी के नाते उनका आगमन इलाके में काफी चर्चा में रहा है। शांघड़ में देवता शंगचूल के नाम पर सैंकड़ों बीघा में फैला मैदान भी है। लोगों में ऐसी भी धारणा है कि शंगचूल देवता किन्नौर घाटी से यहां आए थे। गत वर्ष 6 अप्रैल यहां स्थित देवता शंगचूल का प्राचीन मंदिर आग की भेंट चढ़ गया था। जिसमे देवता के स्वर्ण रथ को बचा लिया गया था। इसके जीर्णोद्धार में वीरभद्र सिंह ने खासी दिलचस्पी दिखाई, जो फिर से नए रूप में तैयार हो चुका है इसकी प्रतिष्ठा में मुख्यमंत्री को भाग लेने पहुंचे। क्योकिं इस इलाके में पहली मर्तबा कोई मुख्यमंत्री आए , लिहाजा लोगों का जोश भी था।
वीरभद्र सिंह ने कहा कि यह मंदिर सदियों बुशहर राजपरिवार से जुदा हुआ है। लिहाजा राजपरिवार ने यह सारी ज़मीन मंदिर को दे दी थी और अपने लिए यहां मैदान के किनारे बैठने के लिए छोटी सी जगह थी जिसे स्थानीय भाषा में राय री थाल कहा जाता है। स्थानीय निवासी व् मंदिर के पुजारी राम लाल के अनुसार पत्थर के थड़े पर केवल बुशहरी राजघराने के सदस्य को ही बैठने की अनुमति मिली है। उनके मुताबिक उन्हें इस राजाओं द्वारा दी हुई ज़मीन और इस थड़े का पता देवता के माध्यम से ही पता चला है। जिसके चलते मुख्यमंत्री यहां आए और उन्हें इस थड़े में बिठाया गया।