हरियाणा में पंचकूला बना पहला ऐसा अस्पताल जहां गर्भवती महिलाओं के लिए शुरू हुई ये सुविधा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Jan, 2018 12:45 PM

panhckula hospital facility

पंचकूला के सैक्टर-6 जनरल अस्पताल में अब महिलाओं की बच्चादानी रिमूव करने के लिए 20 सैंटीमीटर का चीरा नहीं लगाया जाएगा और पी.जी.आई. भी रैफर नहीं किया जाएगा। अब ऐसे मरीजों की जनरल अस्पताल में ही बिना चीरे के महज 15 मिनट से करीब आधे घंटे के अंदर ही...

पंचकूला, (आशीष) : पंचकूला के सैक्टर-6 जनरल अस्पताल में अब महिलाओं की बच्चादानी रिमूव करने के लिए 20 सैंटीमीटर का चीरा नहीं लगाया जाएगा और पी.जी.आई. भी रैफर नहीं किया जाएगा। अब ऐसे मरीजों की जनरल अस्पताल में ही बिना चीरे के महज 15 मिनट से करीब आधे घंटे के अंदर ही बच्चादानी को रिमूव कर दिया जाएगा। पंचकूला का जनरल अस्पताल हरियाणा में ऐसा पहला अस्पताल बन गया है, जहां महिलाओं की बच्चादानी रिमूव करने के लिए बिना चीरे के टी.एल.एच., यानी टोटल लेप्रोस्कॉपिक स्टिरेक्टमी सर्जरी शुरू कर दी गई है। गत दिनों सीनियर लेप्रोस्कॉपिक सर्जन डा. विवेक भादू ने हिसार की 36 साल की महिला की टोटल लेप्रोस्कॉपिक स्टिरेक्टमी सर्जरी की। इसके बाद महिला को एडमिट कर लिया गया और सर्जरी के बाद दिया जाने वाला ट्रीटमैंट शुरू कर दिया गया।


सुशीला को प्राइवेट अस्पताल ने पी.जी.आई. किया था रैफर :
हिसार के ढाना खुर्द गांव की रहने वाली 36 साल की सुशीला पिछले चार साल से बच्चादानी की समस्या से ग्रस्त थी। सुशीला के पति उमेद सिंह पंचकूला के कालका एरिया में रोडवेज डिपार्टमैंट में तैनात हैं। उमेद सिंह ने बताया कि अभी तक उनका ट्रीटमैंट प्राइवेट अस्पताल में चल रहा था। इसके अलावा उन्होंने कालका के प्राइवेट अस्पताल में भी ट्रीटमैंट करवाया, जहां से उन्हें चंडीगढ़ के पी.जी.आई. में सर्जरी के लिए रैफर कर दिया गया, लेकिन अब उन्होंने जनरल अस्पताल में इलाज शुरू करवाया। इलाज के दौरान जहां पर उनकी पत्नी का दूरबीन से बच्चादानी का ऑप्रेशन किया गया।


रिकवरी में भी नहीं लगेगा समय :
एस.एम.ओ. डा. विवेक भादू ने बताया कि अस्पताल लेवल पर इस सर्जरी को नहीं किया जाता था, लेकिन अब इस सर्जरी को शुरू कर दिया गया है। अस्पताल के इतिहास में टोटल लेप्रोस्कॉपिक स्टिरेक्टमी सर्जरी पहली बार की गई है। अब तक ऐसी सर्जरी पी.जी.आई. लैवल पर की जाती थी। इस सर्जरी में मरीज को न तो चीरा लगाया जाता है और न ही उसे रिकवरी के लिए ज्यादा समय लगता है। इस सर्जरी के मरीज को चीरा लगाने वाली सर्जरी के मरीजों की तरह चार दिन नहीं, बल्कि दो दिन ही एडमिट किया जाता है और दूरबीन की मदद से सर्जरी की जाती है।

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