दागियों को पार्टी अध्यक्ष बनने से नहीं रोक सकता SC: केंद्र

Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Mar, 2018 07:19 PM

center told court court can not stop stoning from becoming party president

सुप्रीम कोर्ट में दायर एक जनहित याचिका को लेकर बुधवार को सुनवाई हुई। याचिका में दोषी करार दिए गए नेताओं को राजनीतिक दलों में अहम पद संभालने पर रोक लगाने की मांग की गई है। वहीं केंद्र सरकार ने राजनीतिक मामले में सुप्रीम कोर्ट के दखल के खिलाफ अपनी राय...

नेशलन डेस्कः सुप्रीम कोर्ट में दायर एक जनहित याचिका को लेकर बुधवार को सुनवाई हुई। याचिका में दोषी करार दिए गए नेताओं को राजनीतिक दलों में अहम पद संभालने पर रोक लगाने की मांग की गई है। वहीं केंद्र सरकार ने राजनीतिक मामले में सुप्रीम कोर्ट के दखल के खिलाफ अपनी राय वयक्त की है। सरकार का कहना है कि मौजूदा कानून में संशोधन के लिए सरकार को अदालत बाध्य नहीं कर सकती है।

केंद्र ने कहा न्यायपालिका विधायिका को नहीं दे सकती निर्देश
केंद्र सरकार के अनुसार न्यायपालिका विधायिका को निर्देश जारी नहीं कर सकती। केंद्र का यह भी कहना है कि चुनाव आयोग के पास ऐसी शक्तियां नहीं हैं कि वो किसी राजनीतिक दल का पंजीकरण रद्द कर सके। जिस दल के नेता प्रमुख दोषी साबित हो चुके हों। केंद्र की ओर से सुप्रीम कोर्ट में यह भी कहा गया है कि चुनाव सुधार लंबी और जटिल प्रक्रिया है. ऐसे में किसी भी संशोधन को लाने से पहले विधि आयोग की सिफारिश की जरूरत है। राजनीतिक दलों में पदाधिकारियों का चुने जाना उनके स्वायत्तता के अधिकार का हिस्सा है।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट पहले भी टिप्पणी कर चुका है कि किसी अपराधी या भ्रष्ट व्यक्ति किसी राजनीतिक दल की अगुआई नहीं कर सकता क्योंकि यह लोकतंत्र के बुनियादी सिद्धांत के खिलाफ है। ऐसे व्यक्ति के पास चुनाव के लिए उम्मीदवारों को चुनने की शक्ति होती है। वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की है। जिसमें मांग की गई है कि दोषी करार दिए जा चुके लोगों की ओर से राजनीतिक दलों के गठन पर रोक लगाई जानी चाहिए। इससे तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की सहयोगी रह चुकीं शशिकला जैसे नेताओं पर असर पड़ेगा।

दोषी व्यक्ति राजनीतिक पद पर कैसे
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने दोषी लोगों के राजनीतिक दलों के प्रमुख होने के औचित्य पर सवाल खड़ा किया था। उन्होंने सवाल किया कि कैसे एक दोषी साबित हो चुके व्यक्ति को किसी राजनीतिक दल का पदाधिकारी नियुक्त किया जा सकता है और चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवारों का चयन कर सकता है।

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