पुलिस का दावा, सेना द्वारा मानव ढाल बनाया गया व्यक्ति नहीं था पत्थरबाज

Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Sep, 2017 04:04 PM

man used as human shield in not a stone pelter

पुलिस ने दावा किया है कि 9 अप्रैल को जिस व्यक्ति को सेना ने मानव ढाल बनाया था वो वास्तव में पत्थरबाज नहीं है।

श्रीनगर: पुलिस ने दावा किया है कि 9 अप्रैल को जिस व्यक्ति को सेना ने मानव ढाल बनाया था वो वास्तव में पत्थरबाज नहीं है। पुलिस ने जांच में पाया है कि फारूक अहमद डार को मानव ढाल बनाना सेना का गलत निर्णय था और उसने कोई पत्थराव नहीं किया है। बडगाम जिले के चिल बरास गांव के निवासी फारूक को पत्थराव से बचने के लिए सेना ने गाड़ी के बोनट के आगे बांधा था वो मासूम है। मानवाधिकार संगठन एमनिस्टी इंटरनेशनल ने इस मामले में जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग के साथ ही राज्य सरकार से मांग की है कि फारूक को मुआवजे के तौर पर एक लाख रु पये दिए जाएं।


वहीं फारूक अहमद को गाड़ी के आगे बांधने वाले मेजर गोगोई का कहना है कि उन्होंने यह निर्णय बहुत सोच समझ कर लिया था और अगर वो यह फैसला नहीं लेते तो कई लोगों की जान जाती। मेजर गोगोई ने कहा है, कम से कम 12 लोग मारे जाते। अगर भीड़ को हटाने के लिए फायर किया जाता तो कई जानें जाती। उन्होंने दावा किया है कि डार भी पत्थरबाज है और इसलिए उसे मानव ढाल बनाया गया। मेजर गोगोई को इस मामले में पुरस्कृत किए जाने के बाद से मामले ने तूल पकड़ लिया था।


पुलिस ने की है जांच
पुलिस ने अपनी जांच की रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। इसमें मेजर गोगोई के दावे को खारिज किया गया है। कहा गया है कि डार ने वोट डाला था। उसके बाद उसे मानव ढाल बना लिया गया। जब उसे मानव ढाल बनाया गया तो वो नजदीक के गांव में अपने एक रिश्तेदार से मिलने जा रहा था और वो पत्थरबाज नहीं है। दो पन्नों की रिपोर्ट है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 9 अप्रैल को उपचुनाव के नि बीरवाह पुलिस थानाक्षेत्र के अंतर्गत आने वाले इलाके में पत्थराव हो रहा था। डार गमपोरा अपने रिश्तेदार से मिलने गया हुआ था और जब वो गमपोरा से उल्टीगाम क्रासिंग पर पहुंचा तो उसे उठा लिया गया।

 

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