विधायकों की कंपनियों को सलाह- महिलाओं से न करवाएं नाइट शिफ्ट

Edited By ,Updated: 30 Mar, 2017 12:52 PM

mla of the legislation do not get women off the night shift

कर्नाटक में विधायकों की एक समीति ने प्रस्ताव जारी किया है कि महिलाओं को नाइट शिफ्ट पर ना बुलाया जाए और कंपनियों को सलाह दी ।

नई दिल्ली: कर्नाटक में विधायकों की एक समीति ने प्रस्ताव जारी किया है कि महिलाओं को नाइट शिफ्ट पर ना बुलाया जाए और कंपनियों को सलाह दी गई है कि जितना हो सके महिलाओं को नाइट शिफ्ट से दूर ही रखा जाए। इस प्रस्ताव का महिला कर्मचारियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने विरोध किया। उनका कहना है कि यह प्रस्ताव राज्य को पीछे ले जाने वाला है और अगर इसे मान लिया जाएगा तो कार्यस्थल पर महिलाओं की जगह कम होती चली जाएगी। आलोचकों ने यह भी कहा कि 26 हफ्तों की मातृत्व छुट्टी देने का नियम भी कामकाजी महिलाओं को हतोस्ताहित करने वाला है।

महिलाओं पर अनेक जिम्मेदारी 
विधानसभा में अपनी 32 रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए वधायिका की ओर से निर्मित महिला और बाल कल्याण समिति ने कहा कि वो आईटी और बीटी कंपनियों में महिला के रात की शिफ्ट में काम करने की पक्षधर नहीं है। समिति का कहना है कि महिलाओं को सुबह या दोपहर की शिफ्ट दी जानी चाहिए। विधायिका पैनल ने चेयरमैन एनए हैरिस ने दावा किया कि महिलाओं के पास और भी कई काम होते हैं जैसे घर और बच्चों की देखभाल। उन्होंने कहा कि एक महिला के पास हर किसी से ज्यादा सामाजिक जिम्मेदारियां होती हैं। वह अगली पीढ़ी को तैयार करती हैं और उनपर मातृक जिम्मेदारी भी होती है।

सुरक्षा भी चिंता का विषय
अगर एक महिला रात को काम करती है तो यह मां के रूप में बच्चे की अनदेखी होगी और बच्चे की सही देखभाल नहीं हो सकेगी। कमेटी ने कहा कि नाइट शिफ्ट में महिलाओं की सुरक्षा भी एक चिंता का विषय है। चेयरमैन ने कहा कि पुरुष होने के नाते महिलाओं की सुरक्षा हमारी ज्यादा जिम्मेदारी है। यह कोई नई-सोच या पुरानी-सोच का मुद्दा नहीं है।

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