independence day special-खुद नेहरू ने की थी लता की तारीफ,कहा-आपने आंखों में आंसू ला दिए

Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Aug, 2017 03:36 PM

nehru himself had praised lata

इस बार देश आजादी का 70वां दिवस मनाने जा रहा है। स्वतंत्रता दिवस की पूरी तैयारियां हो चुकी हैं। यह दिन लोगों में जोश भर देता है। वहीं एक दिन ऐसा भी था जब साल 1962 में चीन से युद्ध हारने के बाद देश निराशा में डूबा था।

नई दिल्‍ली: इस बार देश आजादी का 70वां दिवस मनाने जा रहा है। स्वतंत्रता दिवस की पूरी तैयारियां हो चुकी हैं। यह दिन लोगों में जोश भर देता है। वहीं एक दिन ऐसा भी था जब साल 1962 में चीन से युद्ध हारने के बाद देश निराशा में डूबा था। हार से राष्ट्र का मनोबल पूरी तरह टूट चुका था। सभी के मन में एक सवाल था कि हम कैसे हार गए लेकिन वहीं कवि प्रदीप इस सोच में थे कि कैसे देशवासियों के मनोबल और जोश को फिर से कायम किया जाए।

युद्ध के नतीजे से बेहद दुखी थे। तभी एक शाम वे मुंबई के माहिम बीच पर टहल रहे थे तो उनके मन में कुछ शब्द उठे। उन्होंने अपने साथी से कलम और कागज मांगा, एक सिगरेट सुलगाई और उसके कश लेते हुए तत्काल उन शब्दों को कागज पर उतार दिया। आज वो शब्द गीत बनकर लोगों के दिलों में जिंदा हैं। यह गीत है ‘ऐ मेरे वतन के लोगों…’ ये गाना राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत के बाद सबसे अधिक लोकप्रिय बना हुआ है। स्कूल-कॉलेज या फिर काई भी राष्ट्र प्रोग्राम हो, इस गाने के बिना अधूरा ही रहता है।
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आशा ने किया गाने से मना
प्रदीप ने लता मंगेशकर से यह गाना गवाया था। ‘ऐ मेरे वतन के लोगो…’ की पहली प्रस्तुति दिल्ली में 1963 में गणतंत्र दिवस समारोह को होनी थी। लता जी चाहती थीं कि उनकी बहन आशा भी इस गाने को गाए, दोनों ने एक साथ इसकी रिहर्सल भी की लेकिन ऐन मौके पर आशा ने दिल्ली जाने से इंकार कर दिया जिससे लता को अकेले ही दिल्ली जाना पड़ा। इस गाने के कंपोजर सी. रामचंद्र ने किया था। उन्होंने गाने को टैप करके दे दिया जिसे लता जी जहाज में रास्तेभर सुनती गईं।

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रातों-रात लोगों की जुबानी चढ़ा गाना
जिस स्टेडियम में यह समारोह होना था, वहां राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णनन, प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और उनकी बेटी इंदिरा गांधी भी थीं। इसके अलावा दिलीप कुमार, राज कपूर, महबूब खान, शंकर-जयकिशन, मदन मोहन सहित तमाम बड़ी शख्सियतें आमंत्रित थीं। बकौल प्रदीप की बेटी मितुल प्रदीप के अनुसार जिसने यह गाना लिखा दुर्भाग्य से उसे ही नहीं बुलाया गया।

लता ने स्टेडियम में भजन अल्लाह तेरो नाम और फिर ऐ मेरे वतन के लोगों…गाया। कुछ देर बाद महबूब खान उनके पास बैक स्टेज पर आए और कहा कि चलो आपको पंडित जी ने बुलाया है जब मैं उनके पास गई तो पंडितजी सहित सभी लोगों ने खड़े होकर मेरा अभिवादन किया। उन्होंने कहा, ‘बहुत अच्छा मेरी आंखों में पानी आ गया’। अगले दिन यह गीत इतना लोकप्रिय हो गया था कि बच्चे-बच्चे की जुबान पर था। कवि प्रदीप ने गाने की प्रस्तुति से पहले ही लता जी से कहा था कि देखना लता ये गाना बहुत चलेगा, लोग हमेशा के लिए इसे याद रखेंगे। हालांकि यह गाना किसी भी फिल्म का हिस्सा नहीं है लेकिन आज भी हर हिन्दुस्तानी के जुबां पर है।

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