कलयुगी बेटे-बहू की करतूत, प्रॉपर्टी नाम हुई तो बुजुर्ग मां-बाप से किया ऐसा

Edited By ,Updated: 30 Mar, 2017 01:28 PM

son daughter in law name of the property was done by the elderly parents

मां-बाप अपने बच्चों को पाल-पोस बड़ा करते हैं बच्चों के लिए मेहनत मजदूरी कर पढ़ा लिखा इस काबिल बनाते हैं कि वे अपने पैरों पर खड़ा हो सकें। माता-पिता बच्चे के पैदा होने से लेकर उसके शादी व्याह तक का खर्च न जाने कैसे-कैसे पूरा करते हैं और उनके लिए बड़े...

डेराबस्सी: मां-बाप अपने बच्चों को पाल-पोस बड़ा करते हैं बच्चों के लिए मेहनत मजदूरी कर पढ़ा लिखा इस काबिल बनाते हैं कि वे अपने पैरों पर खड़ा हो सकें। माता-पिता बच्चे के पैदा होने से लेकर उसके शादी व्याह तक का खर्च न जाने कैसे-कैसे पूरा करते हैं और उनके लिए बड़े ख्वाब देखते हैं ताकि बच्चे उनके बुड़ापे में उनका सहारा बने। लेकिन इस कलयुगी समाज में इसका उल्टा हो रहा है। जी हां हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि डेराबस्सी में एक बुजुर्ग दंपती ने अपनी पूरी प्रॉपर्टी यह सोचकर बेटों के नाम कर दी कि वे उनकी सेवा करेंगे। लेकिन जब ऐसा नहीं हुआ तो बुजुर्ग दंपती ने अपने बहू-बेटे के खिलाफ ही हाईकोर्ट में याचिका दी और घर उन्हें वापस देने की मांग की। कोर्ट के आदेश के बाद अफसरों ने बहू-बेटे को घर से निकाल कोठी की चाबी बुजुर्ग को सौंप दी। 

प्रॉपर्टी नाम हुई तो बदल गए बेटे-बहू...

80 वर्षीय बुजुर्ग जय सिंह ने सीनियर सिटीजन वेलफेयर एक्ट 2007 के तहत हाईकोर्ट में बीते साल याचिका दायर की थी। इसमें कहा कि उसने अपनी तमाम प्रॉपर्टी अपने दो लड़कों के नाम कर दी थी, ताकि बुढ़ापे में बेटा-बहू सेवा करेंगे। लेकिन प्रॉपर्टी मिलने के बाद बड़े बेटे सर्बजीत सिंह उसकी पत्नी ने मां-बाप की सेवा करनी बंद कर दी। उन्हें परेशान भी करने लगे। 


बहू निकालने लगी गालियां...

उसकी अपाहिज पत्नी को मानसिक तौर पर परेशान किया। कोर्ट ने मंगलवार को आदेश दिए कि 31 मार्च तक बड़े बेटे से घर खाली करा कब्जा बुजुर्ग को सौंप दिया जाए। इसके बाद पुलिस प्रशासन ने एक घंटे के भीतर कब्जा छुड़ाकर मकान की चाबी पिता को दिला दी। इस दौरान सर्बजीत सिंह की पत्नी बलजिंदर कौर रोते हुए बुजुर्गों से बहस कर उन्हें बुरा-भला कहने लगी। पति सर्बजीत ने पत्नी को रोका और कहा कि पुलिसवालों से बहस मत कर, ये कोर्ट के ऑर्डर हैं और यह मानने ही होंगे। 

पिता बोले- गलती मन्न लो, कब्जा मुड़ दवांगा...

कब्जे की कार्रवाई के दौरान मौके पर जमा हुए ग्रामीणों ने बुजुर्ग से कहा कि बेटे-बहू को माफ कर दो लेकिन बुजुर्ग नहीं माने। थोड़ी देर के बाद पिता का मन पसीजा और कहा फर्ज निभोण दी गलती मन्न लो, कब्जा मुड़ दवांगा। लेकिन इसके लिए बेटा-बहू तैयार नहीं हुए।

बीमार मां से मिलने तक नहीं आते थे...


इसके बाद सर्बजीत ने अपना जरूरी कीमती सामान उठाया और बाकि वहीं छोड़ दिया। पिता जय सिंह ने आरोप लगाया कि उनकी पत्नी बीमार थी और कई दिन अस्पताल में रही, लेकिन बेटे-बहू ने सेवा तो दूर उनकी कोई खबर तक नहीं ली।

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