Edited By ,Updated: 26 May, 2015 08:06 AM
एक नए अध्ययन में पाया गया है कि अंटार्कटिका के पहले स्थिर रहे क्षेत्र में बर्फ के एक बड़े हिस्से के पिघलने से पृथ्वी के गुरुत्व क्षेत्र में थोड़ा-सा बदलाव हुआ है।
लंदन: एक नए अध्ययन में पाया गया है कि अंटार्कटिका के पहले स्थिर रहे क्षेत्र में बर्फ के एक बड़े हिस्से के पिघलने से पृथ्वी के गुरुत्व क्षेत्र में थोड़ा-सा बदलाव हुआ है। अंटार्कटिक की बर्फ की चादरों की मोटाई की माप करते हुए शोधार्थियों ने पाया कि दक्षिणी अंटार्कटिक द्वीप ने 2009 तक बदलाव का कोई संकेत नहीं दिया था।
शोधार्थियों ने बताया कि वर्ष 2009 के आसपास करीब 750 किलोमीटर की लंबाई वाले ग्लेशियर से अचानक ही समुद्र में बर्फ पिघल कर घुलनी शुरू हो गई। यह अंटार्कटिका में समुद्र स्तर की वृद्धि में दूसरा सबसे बड़ा योगदानकर्त्ता बन गया। इन बदलावों का पता क्रायोसैट 2 उपग्रह के जरिए लगाया गया। यह यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी का एक मिशन है जो बर्फ के रिमोट सेंसिंग को समर्पित है।
डेटा का पांच साल विश्लेषण करने पर शोधार्थियों ने पाया कि कुछ ग्लेशियरों की बर्फ की सतह हर साल चार मीटर घट रही है। क्षेत्र में यह प्रक्रिया इतनी तेजी से हो रही है कि इससे पृथ्वी के गुरुत्व क्षेत्र में छोटा-सा बदलाव हो गया है। शोधार्थियों ने बताया कि जलवायु परिवर्तन और ओजोन परत के क्षरण के चलते पछुआ हवाएं हाल के दशकों में वहां अधिक प्रबल हो गई हैं।
प्रबल हवाएं दक्षिणी सागर से गर्म जल को धुव्रों की ओर धकेलती है, जिसका ग्लेशियरों पर असर पड़ रहा है। पिछले दो दशक में क्षेत्र में बर्फ की चादर की मोटाई करीब 20 फीसदी कम हो गई है जिससे ग्लेशियरों पर प्रतिरोधी बल घट गया।