कंपनियों का बड़ा रसूख, सेबी भी दृढ: सिन्हा

Edited By ,Updated: 27 Jul, 2015 09:24 AM

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अपनी सख्त कार्रवाई व कठोर नियमों के कारण प्राय: कॉरपोरेट जगत की आलोचना का सामना करने वाले बाजार नियामक सेबी ने कहा है

मुंबई: अपनी सख्त कार्रवाई व कठोर नियमों के कारण प्राय: कॉरपोरेट जगत की आलोचना का सामना करने वाले बाजार नियामक सेबी ने कहा है कि कंपनियों की पहुंच ऊंची होती है और वे अक्सर उसके (सेबी के) संकल्प की परीक्षा लेती हैं लेकिन वह भी अपने संकल्प पर कायम है।  

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के प्रमुख यू के सिन्हा ने कहा कि उनकी संस्था कंपनियों की आेर से किसी भी तार्किक सुझाव पर गौर करने के लिए हमेशा तैयार है। हालांकि उन्होंने इस बात पर अफसोस जाहिर किया कि अक्सर कंपनियां कोई कानून तय हो जाने के बाद ही अपना सुझाव लेकर आती हैं। कंपनियों में न्यूनतम सार्वजनिक हिस्सेदारी और महिला निदेशकों की नियुक्ति की अनिवार्यता का नियम इसके कुछ उदाहरण हैं।   

बायोकान की प्रमुख किरण मजूमदार शॉ ने पिछले दिनों सेबी के भेदिया कारोबार संबंधी नियमों को ‘काला कानून’ बताते हुए आलोचना की थी। इससे पहले कुछ उद्योगपतियों ने सेबी को ‘ड्रेगन’ बताया था। सेबी प्रमुख ने कहा, "आप जानते हैं, होता यही है कि कंपनियां सामान्यत: आपकी परीक्षा लेती हैंं। वे आपकी दृढता को परखती हैं। वे यह देखती हैं कि आप कितने गंभीर व दृढ हैं और जाहिर है कि देश में उनका एक वर्ग के रूप में बड़ा रसूख है।" उन्होंने कहा कि बाजार नियामक पिछले कई वर्षाें से नियमों के निर्माण में एक कारगर परामर्श की प्रक्रिया अपनाता है। 

सिन्हा ने कहा कि कोई व्यवस्था बनने के बाद यदि आवाज उठाई जाती है तो यह हमारे लिए ‘समस्या’ बन जाती है कि उसे कैसे बदला जाए। उन्होंने कहा कि सेबी अब भी ‘काफी उदारता रखता है और उचित मांग को मानने की मंशा रखा है।

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