Economics में MA करने वाली यह टीचर झाडू बेचने पर मजबूर

Edited By ,Updated: 05 Sep, 2015 05:57 PM

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किस्मत कब किसको कहां ले जाएं यह किसी को नहीं मालूम, ऐसी ही एक मामला देखने को मिला। इंदौर के एरोड्रम रोड के सुखदेव नगर में रहने वाली एक बुजुर्ग महिला जिन्होंने इकनोमिक्स में एम.ए की पढ़ाई कर रखी है वो आज गली-गली झाड़ू बेचने पर मजबूर है।

इंदौर: किस्मत कब किसको कहां ले जाएं यह किसी को नहीं मालूम, ऐसी ही एक मामला देखने को मिला। इंदौर के एरोड्रम रोड के सुखदेव नगर में रहने वाली एक बुजुर्ग महिला जिन्होंने इकनोमिक्स में एम.ए की पढ़ाई कर रखी है वो आज गली-गली झाड़ू बेचने पर मजबूर है। 

इस महिला का नाम लीला वर्मा है। वे इंदौर जिले में वर्ष 1982 में आयोजित शिक्षक चयन परीक्षा में पास हुईं और 4 सितंबर 1982 को नौकरी जॉइन की थी। अर्थशास्त्र में एमए करने के बाद बीएड भी नौकरी में आने के पूर्व ही पास कर ली थी। जिले की सांवेर तहसील के धरमपुरी गांव में उन्होंने एक दशक तक सरकारी नौकरी की। 1995 में उन्हें परीक्षा कार्यालय में अटैच्ड कर दिया गया।

यह सब उस समय हुआ जब सरकार पांचवीं और आठवीं बोर्ड खत्म करने की तैयारी कर रही थी। अचानक इन कार्यालयों का स्टाफ सीमित कर दिया गया, लेकिन लीला को न तो स्कूल के लिए रिलीव किया गया और न ही बोर्ड कार्यालय से उपस्थिति दी गई। इस तरह बेवजह उनकी नौकरी ही खत्म हो गई। 

लीला का कहना है कि न मैं विधवा हूं और न ही परित्यक्ता। मैंने शादी नहीं की है। जब से होश संभाला, किसी पर बोझ नहीं बनी।  दिनभर में पचास-साठ झाड़ू बेच लेती हूं, जिससे मेरा गुजारा हो जाता है। 

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