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‘यह करें, या न करें या कब करें’ ‘संसार अब कुदरत के रहमो करम पर’

Edited By ,Updated: 06 Oct, 2020 02:25 AM

do it or not or when to do it the world is now on the mercy of nature

लगभग प्रत्येक 100 वर्ष में विश्व एक महामारी झेलता है। वर्ष 1918-19 में भी इसी तरह के हालात पैदा हो गए थे जब स्पैनिश फ्लू महामारी बन कर उभरा था और कहा जाता है कि उस महामारी ने लगभग 50 करोड़ लोगों को अपनी चपेट में ले लिया

लगभग प्रत्येक 100 वर्ष में विश्व एक महामारी झेलता है। वर्ष 1918-19 में भी इसी तरह के हालात पैदा हो गए थे जब स्पैनिश फ्लू महामारी बन कर उभरा था और कहा जाता है कि उस महामारी ने लगभग 50 करोड़ लोगों को अपनी चपेट में ले लिया था। आज विश्व में ‘कोरोना’ महामारी ने कुछ ऐसी ही हालत पैदा कर दी है जिसने दुनिया को हिला कर रख दिया है। इसके परिणामस्वरूप विश्व आर्थिक-सामाजिक अनिश्चितता की चपेट में आ गया है। एक सर्वे के अनुसार भारत में 90 प्रतिशत लोग अपने खर्च को लेकर सतर्क हो गए हैं जबकि वैश्विक स्तर पर ऐसा सोचने वालों की संख्या 62 प्रतिशत है। 

विश्व भर में ‘कोरोना’ महामारी के चलते आर्थिक गतिविधियों की रफ्तार अत्यंत धीमी हो गई है और बड़ी संख्या में लोगों की नौकरियां चली गई हैं। यही नहीं कोरोना की वैक्सीन को लेकर भी अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है तथा अलग-अलग दावे किए जा रहे हैं। अमरीका में कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना वैक्सीन के लिए अभी लम्बा इंतजार करना पड़ेगा और इसके लिए प्रभावी टीका आम लोगों को 2021 में सितम्बर से पहले उपलब्ध होने की संभावना नहीं है। दूसरी ओर अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प एक नवम्बर से कोरोना वैक्सीन के वितरण की घोषणा कर चुके हैं। एक अन्य समाचार के अनुसार अगले वर्ष जुलाई तक भारत में कोरोना वैक्सीन की 40 से 50 करोड़ खुराक आने और 20 से 25 करोड़ लोगों का टीकाकरण हो जाने का भी अनुमान है। इस बीच लॉकडाऊन में स्कूल, कालेज तथा अन्य शिक्षा संस्थान खोलने को लेकर भी दुविधापूर्ण स्थिति बनी हुई है। देश में कुछ स्थानों पर स्कूल, कालेज प्रयोगात्मक आधार पर खोले जा रहे हैं और कई जगह बंद कर दिए गए हैं। 

ऑनलाइन और डिस्टैंस लॄनग जिस प्रकार चल रही थी उसी प्रकार चलती रहेगी और जिन स्कूलों को खोलने की अनुमति है उन्हें राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों के शिक्षा विभागों द्वारा जारी नियमों का पालन करना होगा। बच्चों को स्कूल जाने के लिए अभिभावकों की लिखित स्वीकृति लेनी होगी। उन पर हाजिरी का दबाव नहीं डाला जाएगा और बच्चों को स्कूल भेजना पूरी तरह माता-पिता पर निर्भर करेगा। दूसरी ओर दिल्ली के सभी स्कूल 31 अक्तूबर तक बंद रखने का निर्णय लिया गया है जिसके संबंध में दिल्ली सरकार का कहना है कि अभी जोखिम लेना ठीक नहीं है। इससे पहले के आदेश में दिल्ली सरकार ने 5 अक्तूबर तक स्कूलों को बंद करने का निर्णय किया था परंतु अब इस अवधि को इस महीने के अंत तक बढ़ा दिया गया है। 

केंद्र सरकार द्वारा जारी अनलॉक-5 के निर्देशों के अंतर्गत कोरोना के प्रतिबंधों में और रियायतें दी गई हैं। इसके अनुसार कन्टेनमैंट जोन के बाहर सिनेमा हाल, मल्टीप्लैक्स और थिएटर 15 अक्तूबर से 50 प्रतिशत क्षमता के अनुसार खुल सकेंगे (परंतु दिल्ली में प्रतिबंध 31 अक्तूबर तक लागू रहेंगे)। इसी प्रकार दिल्ली मैट्रो तो चला दी गई है लेकिन संक्रमण के खतरे के बीच लोगों की भीड़ को नियंत्रित कर पाना आसान काम नहीं है। इसलिए अधिकांश स्टेशनों पर सिंगल एंट्री गेट ही खोले गए हैं ताकि यात्रियों के प्रवाह को नियंत्रित किया जा सके। एक ही गेट खुला होने की वजह से यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जहां केंद्र सरकार अनलॉक-5 के दिशा-निर्देशों के अंतर्गत प्रतिबंधों में ढील दे रही है वहीं तमिलनाडु सरकार ने राज्य में ‘कोरोना’ महामारी के चलते लाकडाऊन 31 अक्तूबर तक के लिए बढ़ा दिया है। इस दौरान सभी शिक्षा संस्थान बंद रहेंगे। रेलगाडिय़ां चलाने को लेकर भी अनिश्चितता बनी हुई है। कभी गाडिय़ां चलाने की घोषणा की जाती है तो कभी उन्हें रद्द कर दिया जाता है। 

यही नहीं ‘कोरोना’ संक्रमित होने के कारण ट्रम्प की लोकप्रियता में भी गिरावट आई है और उनके प्रतिद्वंद्वी ‘जो बाइडेन’ ने ट्रम्प पर 10 अंकों की बढ़त बना ली है। लोगों का मानना है कि ट्रम्प यदि संक्रमण को गंभीरता से लेते तो वह इस बीमारी से बच जाते। जो बाइडेन के साथ पहली प्रैजीडैंशियल बहस के दौरान ट्रम्प बिना मास्क लगाए ही आ गए और सोशल डिस्टैंसिंग पर गम्भीरता नहीं दिखाई। सामाजिक दूरी का नियम पालन न करने के कारण ही उनकी पत्नी मेलानिया भी संक्रमित हो गईं। पहले तो व्हाइट हाऊस ने बताया कि उनमें संक्रमण के आंशिक लक्षण हैं लेकिन उन्हें मिलिट्री अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती होना पड़ा। चुनावों से पहले ट्रम्प की सेहत को लेकर कई तरह की ङ्क्षचताएं प्रकट की जा रही हैं। हालांकि ट्रम्प की सेहत ठीक होने का दावा भी किया गया है परंतु उनके अपने चुनाव प्रचार में भाग लेने की संभावना अब कम ही लगती है। 

इसी कारण ट्रम्प खेमे ने ‘मेक अमरीका ग्रेट अगेन’(अमरीका को फिर महान बनाओ) के नारे के आधार पर आप्रेशन ‘एम.ए.जी.ए.’ की घोषणा की है जिसके तहत उप-राष्ट्रपति माइक पेन्स और ट्रम्प के दोनों बेटे डोनाल्ड जूनियर तथा एरिक इस सप्ताह इस थीम पर चुनाव प्रचार करेंगे। कुल मिला कर ‘कोरोना’ महामारी ने विश्व में एक अनिश्चितता की स्थिति पैदा कर दी है। सामाजिक और राजनीतिक तानाबाना अस्त-व्यस्त हो कर रह गया है और लोग कुदरत के रहम पर ही हैं तथा रहेंगे। 

अत: अब जबकि महामारी का दूसरा दौर शुरू होने वाला है, लोगों को महसूस करना होगा कि बचाव में ही बचाव है। उनमें घर कर गई लापरवाही की भावना को त्यागना होगा। मास्क हर हाल में लगाना होगा। 
यह एक ऐसी मुसीबत है कि यदि लॉकडाऊन लगाते हैं तब भी लोग बेरोजगारी और भूख से मरते हैं और यदि अनलॉक करते हैं तब भी लोग संक्रमण से मर रहे हैं। कुल मिला कर फिल्म ‘मेरा नाम जोकर’ का निम्र गीत इन हालात पर पूरी तरह सही बैठता है : जीना यहां ,मरना यहां, इसके सिवा जाना कहां-विजय कुमार                
                                                       

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