किसानों का ‘चक्का जाम शांतिपूर्वक सम्पन्न’ ‘अब दोनों पक्ष बातचीत के लिए आगे आएं’

Edited By ,Updated: 07 Feb, 2021 02:46 AM

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केंद्र सरकार द्वारा पारित तीनों कृषि कानूनों को रद्द करवाने के लिए पिछले 73 दिनों से जारी किसान संगठनों के आंदोलन के दौरान केंद्र सरकार और 41 किसान संगठनों के नेताओं के बीच कोई सहमति नहीं बन पाई। 22 जनवरी को केंद्र सरकार और किसान नेताओं के बीच 11वें...

केंद्र सरकार द्वारा पारित तीनों कृषि कानूनों को रद्द करवाने के लिए पिछले 73 दिनों से जारी किसान संगठनों के आंदोलन के दौरान केंद्र सरकार और 41 किसान संगठनों के नेताओं के बीच कोई सहमति नहीं बन पाई।

22 जनवरी को केंद्र सरकार और किसान नेताओं के बीच 11वें दौर की बैठक भी बेनतीजा रहने के बाद किसान नेताओं ने 26 जनवरी को दिल्ली एन.सी.आर. में ट्रैक्टर रैली निकालने की घोषणा की जो हिंसा की भेंट चढ़ गई। इस रैली में शामिल कुछ शरारती तत्वों ने बड़े पैमाने पर हिंसा की। यहां तक कि कड़ी सुरक्षा वाले लाल किले में घुस कर वहां धार्मिक चिन्ह वाला झंडा लहरा दिया और पुलिस कर्मियों पर हमला कर दिया जिसके परिणामस्वरूप जान बचाने के लिए अनेक सुरक्षाकर्मियों ने गड्ढे में छलांग लगा दी। इस दिन हुई हिंसा में दिल्ली पुलिस के 394 सुरक्षाकर्मी व कई किसान घायल हुए। 

इस अप्रत्याशित घटनाक्रम के परिणामस्वरूप किसान आंदोलन के बिखरने का अंदेशा पैदा हो गया और इसके जारी रहने पर प्रश्न चिन्ह लग गया था परंतु किसान नेताओं ने स्थिति को संभाला और आंदोलन को पुन: व्यवस्थित कर केंद्र सरकार द्वारा अपनी मांगें स्वीकार किए जाने तक इसे शांतिपूर्ण ढंग से आगे जारी रखने की घोषणा कर दी। इसी कड़ी में किसान नेताओं ने 6 फरवरी को देश में 12 से 3 बजे तक 3 घंटे का चक्का जाम करने की घोषणा की परंतु बाद में दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को इससे मुक्त कर दिया गया। इस चक्का जाम से पूर्व संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से प्रदर्शनकारियों की ओर से निम्र विशेष संदेश जारी किए गए थे जिसके अनुसार : 

* वे नैशनल और स्टेट हाईवे पर दोपहर 12 से 3 बजे तक जाम करेंगे। इसके पहले और बाद में जाम नहीं लगाया जाएगा।
*  ट्रक, बसों या अन्य भारी वाहनों को निकलने न दिया जाए परंतु एम्बुलैंस और स्कूल बस जैसी जरूरी सेवाओं  को रोका न जाएगा।
* चक्का जाम पूर्णत: शांतिपूर्ण और अङ्क्षहसक रखा जाए।
* राजधानी दिल्ली की सीमा के अंदर कोई चक्का जाम न किया जाए। 

हालांकि दिल्ली सरकार ने दिल्ली की सीमाओं पर सुरक्षा बढ़ाने के साथ-साथ प्रशासन को हाई अलर्ट मोड पर रखकर किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए कड़े सुरक्षा प्रबंध करने के साथ-साथ मैट्रो सेवाएं भी बंद कर दीं और स्थिति पर ड्रोन से निगरानी रखने की व्यवस्था करने के साथ-साथ 50,000 सुरक्षा बलों को तैनात किया ताकि जाम में फंसने के कारण यात्रियों के लिए कोई अप्रिय स्थिति पैदा न हो जाए। इस चक्का जाम से पूर्व किसान नेताओं बलबीर सिंह राजेवाल और राकेश टिकैत ने कहा था कि,‘‘26 जनवरी को दिल्ली में 3 लाख ट्रैक्टर और 20 लाख लोग आए थे। इतनी विशाल भीड़ कुछ भी कर सकती थी लेकिन सिवाय आंदोलन को बदनाम करने के लिए अधिकारियों की मिलीभगत से हमारे आंदोलन में घुस आए कुछ शरारती तत्वों द्वारा किए गए उपद्रव के हमारा आंदोलन शांतिपूर्ण रहा था और भविष्य में भी 100 प्रतिशत शांतिपूर्ण रहेगा।’’ 

कुल मिलाकर जहां किसान नेताओं द्वारा बुलाए गए इस चक्का जाम का प्रभाव देश के अधिकांश भागों में देखा गया वहीं किसान नेताओं की घोषणा के अनुरूप यह चक्का जाम शांतिपूर्ण रहा है और किसी तोड़-फोड़ या हिंसा की सूचना नहीं है। जहां इसके लिए किसान संगठन साधुवाद के पात्र हैं वहीं इसके साथ ही दिल्ली तथा अन्य संबंधित राज्यों की सरकारें भी प्रशंसा की पात्र हैं जिन्होंने स्थिति पर नियंत्रण रखने के लिए प्रभावशाली प्रबंध किए।

किसान नेताओं की मांग है कि अन्य मंत्रियों के स्थान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह खुद आगे आकर उनसे बिना शर्त बात करें जबकि प्रधानमंत्री ने किसानों के प्रदर्शन का समाधान निकालने पर प्रतिबद्धता जताते हुए कहा है कि, वह केवल एक फोन काल की दूरी पर हैं। अब जबकि किसानों का चक्का जाम शांतिपूर्वक सम्पन्न हो गया है, किसान नेता प्रधानमंत्री की इस पेशकश को आजमाएं और वार्ता के लिए आगे आकर दोनों पक्षोंं को लचीला रवैया अपनाते हुए जल्द से जल्द इस समस्या का स्वीकार्य हल निकालना चाहिए।—विजय कुमार 

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