चंद्रयान-2 की सफल उड़ान अंतरिक्ष में भारत की बड़ी छलांग

Edited By ,Updated: 23 Jul, 2019 02:14 AM

india s big jump in the successful flight space of chandrayaan 2

अंतरिक्ष की दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत एक के बाद एक उपलब्धियां प्राप्त कर रहा है और इसी कड़ी में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) ने सोमवार 22 जुलाई को बाद दोपहर 2 बज कर 43 मिनट पर अपने महत्वाकांक्षी चंद्रयान-2 को श्रीहरि कोटा...

अंतरिक्ष की दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत एक के बाद एक उपलब्धियां प्राप्त कर रहा है और इसी कड़ी में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) ने सोमवार 22 जुलाई को बाद दोपहर 2 बज कर 43 मिनट पर अपने महत्वाकांक्षी चंद्रयान-2 को श्रीहरि कोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एस.डी.एस.सी.) से ‘बाहुबली’ नामक अपने सर्वाधिक ताकतवर राकेट जी.एस.एल.वी. मार्क-3 एम.1 के द्वारा पृथ्वी की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया। 

उल्लेखनीय है कि इससे पहले चंद्रयान-2 को अक्तूबर, 2018 में प्रक्षेपित किया जाना था बाद में यह तारीख 3 जनवरी और फिर 31 जनवरी कर दी गई परंतु 31 जनवरी को भी इसका प्रक्षेपण न होने के कारण इसे 15 जुलाई तक टाल दिया गया था। 

15 जुलाई को भी ऐन अंतिम समय पर इसके लांङ्क्षचग व्हीकल में तकनीकी खामी आ जाने के कारण एक बार फिर इसकी लांङ्क्षचग टाल दी गई और अंतत: सारी खामियां दूर करने के बाद 22 जुलाई बाद दोपहर 2.43 बजे का समय प्रक्षेपण के लिए तय किया गया और इस बार तय समय पर 978 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित चंद्रयान-2 को चांद की ओर रवाना कर दिया गया। इसरो प्रमुख के. सीवन के अनुसार अगले डेढ़ महीने के बाद वह दिन आएगा जब चांद के दक्षिणी धुव्र के निकट सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित करने के लिए 15 मिनट तक हमारे दिलों की धड़कनें बढ़ जाएंगी और यह सबसे जटिल चरण होगा। 

चंद्रयान-2 अभियान अपने आप में विशिष्टï है क्योंकि यह चांद के दक्षिणी धु्रव क्षेत्र में उतरेगा जहां अभी तक कोई देश नहीं पहुंच पाया है और खोज तथा अध्ययन करके चंद्रमा के बारे में नई जानकारी उपलब्ध करवाएगा जो इससे पूर्व किसी मिशन में नहीं हुआ। यह 6 से 8 सितम्बर के बीच चांद के दक्षिणी धु्रव क्षेत्र में उतरने से पूर्व 15 महत्वपूर्ण अभियान चरणों से गुजरेगा जिससे चांद के अनसुलझे रहस्य जानने में सहायता मिलेगी जिससे भारत और पूरी मानवता को लाभ होगा। यह इसरो का सर्वाधिक जटिल और सर्वाधिक प्रतिष्ठा जनक मिशन है। 15 मंजिलों के बराबर ऊंचा चंद्रयान-2 धरती की चार परिक्रमाएं 47 दिनों में करके चांद पर पहुंचेगा। इसका उद्देश्य चंद्रमा पर पानी की मात्रा का अनुमान लगाना, चंद्रमा के बाहरी वातावरण का विश्लेषण करना व चांद पर मौजूद खनिजों तथा रसायनों का अध्ययन करना है। 

आज समूचा देश इसरो की इस उपलब्धि पर गदगद है जिसके लिए इसरो के वैज्ञानिक बधाई के पात्र हैं। चंद्रयान-2 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित करके भारत अंतरिक्ष में एक बड़ी छलांग लगाकर अंतरिक्ष पर विजय पाने के इच्छुक देशों की दौड़ में शामिल हो गया है। आशा करनी चाहिए कि भारत चंद्रयान-2 के माध्यम से चांद पर अपनी सफलता का परचम लहराने में सफल होगा।—विजय कुमार 

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