देश के विपक्ष को एकजुटता का पाठ पढ़ाने वाले नीतिश खुद बिहार तक ही सीमित न रह जाएं कहीं!

Edited By Seema Sharma,Updated: 05 Jul, 2023 02:22 PM

nitish himself should not remain confined to bihar

महाराष्ट्र में हुई सियासी उठापटक के बाद देश के विपक्षी दलों को एकजुटता का पाठ पढ़ाने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार की मुश्किलें अब बढ़ती हुई नजर आ रही हैं।

जालंधर: महाराष्ट्र में हुई सियासी उठापटक के बाद देश के विपक्षी दलों को एकजुटता का पाठ पढ़ाने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार की मुश्किलें अब बढ़ती हुई नजर आ रही हैं। महाराष्ट्र जैसी स्थिति के भय के बीच नीतीश कुमार लगातार अपने विधायकों, सांसदों और विधान परिषद के सदस्यों से व्यक्तिगत तौर पर मिल रहे हैं। दूसरी और राज्य के हालात ऐसे हैं कि कई मुद्दों पर विपक्ष ने नीतिश सरकार का जबरदस्त तरीके से घेरना शुरू कर दिया है।

 

राज्य में शिक्षकों की भर्ती के नियमों में किए गए बदलाव को आंदोलन शुरू हो गए हैं और बेरोजगार उम्मीदवारों ने नीतिश सरकार के खिलाफ महा आंदोलन छेड़ने की चेतावनी दी है।  इसी कड़ी में अब बिहार प्राथमिक युवा शिक्षक संघ ने 10 जुलाई से शुरू होने वाले मानसून सत्र के दौरान विधानसभा का घेराव करने का फैसला किया है। जानकारों का कहना हे कि बिहार के राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं और यही स्थिति रही तो मुख्यमंत्री नीतिश कुमार का बिहार से बाहर निकल कर देश के विपक्ष को एकजुट करना मुश्किल हो जाएगा।

 

क्या है शिक्षकों की भर्ती का मामला

बिहार सरकार को वमर्तमान में शिक्षकों की भर्ती को लेकर आंदोलन का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल  नीतीश सरकार ने अन्य राज्यों के टी.ई.टी. नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों को बिहार में शिक्षकों की भर्ती में भाग लेने की अनुमति दी है।  राज्य में पहले 1.70 लाख पद सिर्फ बिहार मूल के सी.टी.ई.टी. और बी.टी.ई.टी. पास छात्रों के लिए रखे गए थे। अब सी.टी.ई.टी. या बी.टी.ई.टी. पास करने वाले दूसरे राज्यों के छात्र भी नौकरी के लिए पात्र हो सकते हैं।

 

नीतीश कुमार का यह निर्णय तब सरकार के गले की फांस बन गया जब बिहार के शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर ने दावा किया कि बिहार के टी.ई.टी. उम्मीदवारों को अन्य राज्यों की तुलना में गणित, भौतिकी, रसायन विज्ञान और अंग्रेजी का कम ज्ञान है। सरकार के इस फैसले के बाद राज्य में आक्रोश फैल गया और टी.ई.टी. अभ्यर्थी पटना में सड़कों पर उतर आए हैं। हजारों की संख्या में नौकरी के इच्छुक अभ्यर्थियों ने सरकार के इस फैसले को वापस लेने की मांग की है।

 

20 लाख नौकरियां देने का किया है वादा

शराबबंदी के खराब क्रियान्वयन, बालू खनन और अपराध की बढ़ती घटनाओं को लेकर नीतीश कुमार को पहले से ही झटका लग रहा है। डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने 2020 के विधानसभा चुनाव के दौरान 10 लाख नौकरियां देने का वादा किया था, लेकिन अब लोग पूछ रहे हैं कि वे नौकरियां बिहार के छात्रों के लिए हैं या दूसरे राज्यों के? नीतीश कुमार ने पिछले साल पटना में अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण के दौरान 20 लाख नौकरियों की भी घोषणा की थी, अब बेरोजगार युवा पूछ रहे हैं कि क्या वह वादा बिहार के बेरोजगार युवाओं के लिए था या अन्य राज्यों के? उधर जमीन के बदले नौकरी दिए जाने के मामले में सीबीआई ने कोर्ट में चार्जशीट दायर दी है। इस पर भाजपा सांसद सुशील मोदी ने तेजस्वी यादव को डिप्टी सीएम पद से हटाने की मांग की है। पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि रेलवे की नौकरी के बदले जमीन घोटाला मामले में तेजस्वी यादव के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल होने के बाद नीतीश कुमार को बिना देर किए तेजस्वी को बर्खास्त करना चाहिए।

 

सुनिश्चित नहीं हो पा रही है विपक्षी दलों की बैठक

महाराष्ट्र में बदले समीकरणो के कारण देश के विपक्षी दलों की होने वाली बैठक भी अब ठंडे बस्ते में पड़ गई है। हालांकि बैठक न होने के कारणों का खुलासा नहीं किया जा रहा है। यह बैठक पहले शिमला में होने वाली थी, फिर हैदराबाद की बात आई और आखिर में बेंगलुरु को तय माना गया था। अब इस बैठक की तारीख भी 10-12 जुलाई की बताई जाने लगी। अब जानकारी यह आ रही है कि कर्नाटक और बिहार विधानसभा के मानसून सत्र के बाद ही बैठक की तारीख तय की जाएगी। जानकारों का कहना है कि यह बैठक इसलिए सुनिश्चित नहीं हो पा रही है क्योंकि अब विपक्षी दल महाराष्ट्र जैसे घटनाक्रम को लेकर सचेत हो गए हैं और अपने कुनबे को बचाने में जुटे हैं। ऐसे में बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार को भी अब राज्य की समस्याओं और राजनीतिक समीकरणों से जुझना पड़ रहा है, जिसके चलते वह फिलहाल बिहार से बाहर निकलने की स्थिति में नहीं हैं।

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