‘4 लेबर कोड्स’ पर लगभग सभी राज्यों ने एक मसौदा तैयार कर लिया

Edited By ,Updated: 20 Nov, 2023 05:18 AM

almost all the states have prepared a draft on  4 labor codes

लगभग सभी राज्यों ने 4 श्रम संहिताओं (लेबर कोड्स)पर एक मसौदा तैयार कर लिया है। इन कोड्स के लागू होने के बाद कर्मचारियों के हाथ आने वाला वेतन घट जाएगा जबकि पी.एफ. में योगदान बढ़ जाएगा। इससे एक बड़ा फायदा यह होगा कि अगर आप 15 मिनट भी ज्यादा काम करते...

लगभग सभी राज्यों ने 4 श्रम संहिताओं (लेबर कोड्स)पर एक मसौदा तैयार कर लिया है। इन कोड्स के लागू होने के बाद कर्मचारियों के हाथ आने वाला वेतन घट जाएगा जबकि पी.एफ. में योगदान बढ़ जाएगा। इससे एक बड़ा फायदा यह होगा कि अगर आप 15 मिनट भी ज्यादा काम करते हैं तो कंपनी को आपको ओवर टाइम देना होगा। इतना ही नहीं इसके बाद कंपनियां कर्मचारियों से एक दिन में अधिकतम 12 घंटे का काम ले सकती हैं यानी हफ्ते में 3 दिन का वीकऑफ भी मिल सकता है। 

इन चार लेबर कोड्स में वेतन मजदूरी संहिता, औद्योगिक संबंधों पर संहिता, काम विशेष से जुड़ी सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्यस्थल की दशाओं पर संहिता और सामाजिक व व्यावसायिक सुरक्षा संहिता शामिल है। केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव ने एक साक्षात्कार में योगीमा सेठ शर्मा से कहा कि लगभग सभी राज्यों ने 4 श्रम संहिताओं पर एक मसौदा तैयार कर लिया है। और कुछ अन्य ऐसा करने की प्रक्रिया में है। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि यह संहिताएं (कोड्स) जल्द ही लागू हो जाएंगी। 

श्रम संहिताओं में अपेक्षा से अधिक देरी की गई है। इन्हें कब तक लागू किया जा सकेगा इस पर केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव का कहना है कि 2019 और 2020 में 29 केंद्रीय श्रम कानूनों को 4 श्रम संहिताओं में समाहित, युक्ति संगत और सरल बनाया गया अर्थात वेतन संहिता 2019, औद्योगिक संबंध संहिता, 2020, सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 और व्यवसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और श्रमिक स्थिति संहिता 2020। 

केंद्र ने सभी चार संहिताओं के लिए मसौदा नियमों को पहले ही प्रकाशित कर दिया है क्योंकि श्रम एक समवर्ती विषय है और अब राज्यों को श्रम संहिताओं को लागू करने के लिए अपनी ओर से नियम बनाने होंगे। लगभग सभी राज्यों ने 4 श्रम संहिताओं पर मसौदा नियम तैयार कर लिए हैं। कुछ राज्य अभी भी मसौदा नियमों को तैयार करने की प्रक्रिया में हैं और सरकार को उम्मीद है कि नए नियम जल्द ही लागू किए जाएंगे। नए श्रम सर्वेक्षण शुरू करने के पीछे मंत्रालय का उद्देश्य क्या है? तो इस पर केंद्रीय मंत्री का कहना था कि किसी भी कल्याणकारी उपाय को वितरित करने या कोई नीति बनाने के लिए आपको पहले यह जानना होगा कि आप किसके लिए नीति बना रहे हैं और कितने लोगों पर इसका प्रभाव पडऩे की संभावना है। 

हम साक्ष्य आधारित नीति निर्माण के माध्यम से श्रमिकों के कल्याण पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और श्रम में एक अभूतपूर्व डाटा संग्रह अभियान शुरू किया है। पांच प्रमुख अखिल भारतीय सर्वेक्षण करने का कार्य सौंपा गया है-अखिल भारतीय प्रवासी श्रमिकों का सर्वेक्षण, घरेलू श्रमिकों पर सर्वेक्षण, परिवहन क्षेत्र में उत्पन्न रोजगार पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण और अखिल भारतीय त्रैमासिक स्थापना आधारित रोजगार सर्वेक्षण पहले ही लांच किए जा चुके हैं और अन्य चरणबद्ध तरीके से लागू किए जाएंगे। इनसे संबंधित फील्ड कार्य पूरा हो चुका है और 2 सर्वेक्षणों के लिए मसौदा रिपोर्ट अपने अंतिम चरण में है। 

भारत में महिला श्रम शक्ति में कम भागीदारी एक बड़ी चिंता का विषय है। इस समस्या के समाधान के लिए क्या किया जा सकता है? इस सवाल का जवाब देते हुए भूपेंद्र यादव ने कहा कि सरकार इसके लिए प्रतिबद्ध है। महिलाओं को श्रम शक्ति में उनकी भागीदारी बढ़ाने के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करना होगा। उस दिशा में सबसे बड़ा कदम संसद में महिला आरक्षण विधेयक का पारित होना है। आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण के अनुसार पिछले 15 वर्षों में महिला श्रम बल भागीदारी दर में 13.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जिसमें विभिन्न कारक शामिल हैं। सरकार महिलाओं को श्रम बल में उनकी भागेदारी बढ़ाने के लिए अनुकूल माहौल उपलब्ध करवाने के लिए प्रतिबद्ध है। 

विशेषकर तकनीकी क्षेत्र में बढ़ती छंटनी को लेकर चिंता बढ़ रही है, इसमें सरकार क्या भूमिका निभा सकती है? इसके बारे में केंद्रीय मंत्री का कहना है कि रोजगार और छंटनी औद्योगिक प्रतिष्ठानों में एक नियमित घटना है। औद्योगिक प्रतिष्ठानों में छंटनी और इससे संबंधित मामले औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 के प्रावधानों द्वारा शासित होते हैं, जो छंटनी के विभिन्न पहलुओं और श्रमिकों की छंटनी से पहले की स्थितियों को भी नियंत्रित करते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने 2047 तक भारत को एक विकसित अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है। इसका समर्थन करने के लिए कार्यबल के लिए सरकार का दृष्टिकोण क्या होगा? इस पर भूपेंद्र का विचार था कि सम्पूर्ण सरकारी दृष्टिकोण के माध्यम से हम भारत को एक समावेशी, मजबूत और विश्वसनीय आॢथक महाशक्ति बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। अमृतकाल की प्राप्ति में श्रम शक्ति पर बहुत जोर दिया जा रहा हैै।

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