सरकार ने 1.1 हजार करोड़ रुपए की कीमत वाले विप्रो के 'शत्रु शेयर्स' बेचे

Edited By jyoti choudhary,Updated: 05 Apr, 2019 01:25 PM

govt sells rs 1 150 cr worth enemy shares in wipro

केंद्र सरकार ने गुरुवार को 1,100 करोड़ रुपए की कीमत वाले विप्रो के ऐनमी शेयर्स (शत्रु संपत्ति) बेच दिए। ये ऐनमी शेयर्स केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास ऐनमी प्रॉपर्टी ऑफ इंडिया के तहत मौजूद थे। सरकार द्वारा इस तरह शेयर्स की बिक्री पहली बार की गई है।

नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने गुरुवार को 1,100 करोड़ रुपए की कीमत वाले विप्रो के ऐनमी शेयर्स (शत्रु संपत्ति) बेच दिए। ये ऐनमी शेयर्स केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास ऐनमी प्रॉपर्टी ऑफ इंडिया के तहत मौजूद थे। सरकार द्वारा इस तरह शेयर्स की बिक्री पहली बार की गई है। ये शेयर्स उन पाकिस्तानी नागरिकों से संबंधित है, जिन्हें ऐनमी प्रॉपर्टी ऐक्ट 1968 के तहत सरकार द्वारा जब्त कर लिया गया था। सरकार द्वारा इस तरह की प्रॉपर्टीज को 1960 के दशक में चीन और पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध के बाद सीज़ किया गया था। 

CEPI ने अजीम प्रेम जी के मालिकाना हक वाली कंपनी में 258 रुपए एक शेयर के हिसाब से 4.3 करोड़ रुपए के शेयर्स बेचे। इनमें से अधिकतर (3.9 करोड़ रुपए) को भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) द्वारा खरीदा गया था। सीईपीआई के पास ऐसे लगभग 3,000 करोड़ रुपए की कीमत के शेयर्स और 1 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की प्रॉपर्टी (जिसमें अधिकतर जमीन है) होने का अनुमान है। 

ऐनमी प्रॉपर्टी ऐक्ट में 2017 में किए गए सुधार के बाद यह सुनिश्चित किया गया कि जो लोग विभाजन के समय पाकिस्तान और चीन चले गए, उनकी पीछे रह गई संपत्ति पर कोई हक नहीं होगा। इसी के चलते विप्रो के शेयर्स की बिक्री संभव हो सकी। 

संपत्ति को उत्तराधिकारी को सौंपने का फैसला
ऐक्ट में यह सुधार सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2005 में दिए गए उस फैसले के बाद हुआ, जिसमें कहा गया था कि ऐसी संपत्ति के लिए प्रशासक सिर्फ संरक्षक है और मालिकाना हक उसके मालिक के पास ही रहेगा। कोर्ट ने कहा कि शत्रु संपत्ति के मालिक (जो पाक या चीन जा चुके हैं) की मृत्यु होने पर, संपत्ति को उसके कानूनी उत्तराधिकारी (जो भारतीय भी हो सकते हैं) को सौंप दिया जाना चाहिए। इस फैसले के चलते कुछ संपत्तियों के लिए भारत में रह रहे उत्तराधिकारियों ने दावे भी किए थे। 

क्या होता है शत्रु शेयर?
सामान्य तौर पर ऐसी संपत्ति को शत्रु शेयर माना जाता है जिसका मालिकाना हक ऐसे लोगों के पास है जो पाकिस्तान और चीन में माइग्रेट हो गए थे और अब भारत के नागरिक नहीं रहे हैं। गौरतलब है कि भारत के लिए शत्रु संपत्ति का कस्टोडियन केंद्र सरकार की एक इकाई है जो शत्रु संपत्ति और शेयरों की देखभाल करता है।
 

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