Edited By jyoti choudhary,Updated: 19 Jan, 2019 12:45 PM
केंद्र की मोदी सरकार आगामी लोकसभा चुनावों से पहले कई लोक-लुभावन घोषनाओं के ऐलान का मन बना रही हैं। दूसरी तरफ, देश का राजकोषीय घाटा भी बढ़ रहा है। इस बीच एक और चौंकाने वाली खबर सामने आई है
बिजनेस डेस्कः केंद्र की मोदी सरकार आगामी लोकसभा चुनावों से पहले कई लोक-लुभावन घोषनाओं के ऐलान का मन बना रही हैं। दूसरी तरफ, देश का राजकोषीय घाटा भी बढ़ रहा है। इस बीच एक और चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जिसके मुताबिक मोदी सरकार के साढ़े 4 साल के कार्यकाल में देश पर कर्ज में 49 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
शुक्रवार को केंद्र सरकार के कर्ज पर स्टेटस रिपोर्ट का आठवां संस्करण जारी हुआ, जिसके मुताबिक केंद्र में सत्तासीन नरेंद्र मोदी सरकार के बीते साढ़े चार साल के कार्यकाल के दौरान सरकार पर कर्ज 49 फीसदी बढ़कर 82 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया। सरकार के कर्ज पर वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, जून 2014 में सरकार पर कुल कर्ज का आंकड़ा 54,90,763 करोड़ रुपए था, जो सितंबर 2018 में बढ़कर 82,03,253 करोड़ रुपए पर पहुंच गया।
पब्लिक डेट में सरकारी कर्ज बढ़ा
सरकार पर कर्ज में भारी बढ़ोतरी की वजह पब्लिक डेट में 51.7 फीसदी की वृद्धि है, जो विगत साढ़े चार वर्षों में 48 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 73 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया। पब्लिक डेट में यह बढ़ोतरी इंटरनल डेट में 54 फीसदी की बढ़ोतरी की वजह से हुई है, जो लगभग 68 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गई।
52 लाख करोड़ रुपए हुआ मार्केट लोन
इस अवधि में मार्केट लोन 47.5 फीसदी बढ़कर 52 लाख करोड़ रुपए से अधिक रहा। जून 2014 के अंत तक गोल्ड बॉन्ड के जरिए कोई कर्ज नहीं लिया गया था और गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम सहित यह 9,089 करोड़ रुपए पर बरकरार है। केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने कहा कि केंद्र सरकार ने सरकार के कर्ज पर स्टेटस पेपर में भारत सरकार के समस्त कर्ज का विस्तृत ब्योरा दिया है। सरकार 2010-11 से ही सरकार के कर्ज पर स्टेटस पेपर ला रही है।
फिस्कल डेफिसिट पर मिल सकती है राहत
पेपर में हालांकि कहा गया, 'केंद्र सरकार की समस्त देनदारी मध्यम अवधि में गिरावट की तरफ अग्रसर है। सरकार अपने राजकोषीय घाटे को पाटने के लिए मार्केट-लिंक्ड बॉरोइंग्स की सहारा ले रही है। पारंपरिक सूचकांकों के मुताबिक सरकार का डेट प्रोफाइल डेट सस्टेनेबिलिटी पैरामीटर्स के आधार पर सही है और लगातार सुधार हो रहा है।' देश के कर्ज में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। पहले आठ महीने में नवंबर तक राजकोषीय घाटा 7.17 लाख करोड़ रुपए या पूरे साल के 6.24 लाख करोड़ रुपए के लक्ष्य का 114.8 फीसदी रहा है।