जनवरी-सितंबर के दौरान ज्यादा बिके महंगे मकान, टॉप पर दिल्ली

Edited By jyoti choudhary,Updated: 27 Nov, 2023 10:52 AM

more expensive houses sold during january september delhi on top

भारत में लक्जरी आवासों के दाम बेतहाशा बढ़ चुके हैं। कोरोना के बाद ज्यादा लोग आधुनिक सुविधाओं वाले बड़े घर खरीद रहे हैं। लोग घर में ऑफिस के लिए अलग से स्थान की चाहत रखने लगे हैं। यह रुझान अनिवासी भारतीयों और ज्यादा आय वाले लाखों लोगों में कायम रहने...

बिजनेस डेस्कः भारत में लक्जरी आवासों के दाम बेतहाशा बढ़ चुके हैं। कोरोना के बाद ज्यादा लोग आधुनिक सुविधाओं वाले बड़े घर खरीद रहे हैं। लोग घर में ऑफिस के लिए अलग से स्थान की चाहत रखने लगे हैं। यह रुझान अनिवासी भारतीयों और ज्यादा आय वाले लाखों लोगों में कायम रहने की उम्मीद है। लक्जरी मकानों की बिक्री में प्रमुख तौर पर सात शहर दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर), मुंबई, पुणे, हैदराबाद, बेगलुरु, चेन्नई और कोलकाता उभरे हैं।

सीबीआरई की ताजा रिपोर्ट के अनुसार जनवरी-सितंबर 2023 के दौरान भारत में चार करोड़ रुपए से अधिक कीमत के लक्जरी मकानों की बिक्री में 97 फीसदी का उछाल आया। इस साल के पहले नौ महीनों में करीब 9,200 घरों की बिक्री हुई जबकि बीते साल इसी अवधि में 4,700 मकानों की बिक्री हुई थी। इन प्रमुख शहरों में शीर्ष पर तीन मार्केट दिल्ली-एनसीआर, मुंबई और हैदराबाद रहे हैं। इन सात शहरों में लक्जरी मकानों की बिक्री में इन शहरों की कुल हिस्सेदारी करीब 90 फीसदी थी। इसमें सबसे ऊपर दिल्ली एनसीआर था और उसकी हिस्सेदारी करीब 37 फीसदी थी। इसके बाद मुंबई करीब 35 फीसदी, हैदराबाद करीब 18 फीसदी और पुणे करीब 4 फीसदी थे।

एनरॉक के हालिया उपभोक्ता सर्वे के मुताबिक कोविड से पहले के दौर (2019 की पहली छमाही) में केवल नौ फीसदी लोग 1.5 करोड़ से अधिक के आवास को खरीदने के इच्छुक थे। हालांकि सबसे नवीनतम सर्वेक्षण (2023 की पहली छमाही) में 16 फीसदी लोग लक्जरी मकान खरीदने के इच्छुक थे।

एनरॉक ग्रुप के वाइस चेयरमैन संतोष कुमार के मुताबिक, ‘महामारी के बाद अधिक लोग बड़े घरों को प्राथमिकता देने लगे हैं। ऐसे लोग घर से काम की सुविधा और ई स्कूलिंग के कारण भी बड़ा घर चाहते थे। कोरोना के बाद जिंदगी सामान्य हुई तो भी लोगों का बड़े घरों के प्रति रुझान कायम है। लक्जरी घरों की प्रमुख विशेषता उनका आकार बड़ा होना है।’

उन्होंने बताया, ‘महामारी का लक्जरी मकान खरीदने वालों पर न के बराबर प्रभाव पड़ा। ऐसे लोग विभिन्न कारणों से बाजार की ओर रुख नहीं कर रहे थे। डवलपरों ने महामारी के दौरान कई छूट व ऑफर दिए थे। इससे ये संपत्तियों खरीदारों के लिए आकर्षक बन गई थीं। रुपये में गिरावट के कारण अनिवासी भारतीयों की खरीदने की क्षमता भी बढ़ गई थी।’

हीरानंदानी समूह के प्रबंध निदेशक निरंजन हीरानंदानी ने कहा, ‘बाजार रियल एस्टेट के लिए अनुकूल है। मध्यम व लक्जरी मकानों की मांग में उछाल कायम है। ब्याज दरों के स्थायी होने के कारण बैंक और विदेशी निवेशक आवास ऋण मुहैया कराने में आशावादी रुख अपना रहे हैं।’ इसके अलावा अनिवासी भारतीय इम प्रमुख बाजारों में एक कमरे और दो कमरे के अपार्टमेंट्स में भी निवेश कर रहे हैं। हीरानंदानी को कैलेंडर वर्ष 2024 में लक्जरी आवास क्षेत्र में 10 प्रतिशत की दर से सालाना चक्रवृद्धि का अनुमान है।

सीबीआरई के भारत, दक्षिणपूर्व एशिया, पश्चिम एशिया और अफ्रीका के चेयरमैन व मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) अंशुमान मैग्जीन ने कहा, ‘अधिक आय वाले व्यक्तियों और अनिवासी भारतीयों के लिए स्थिरता व वैश्विक अनिश्चितता के दौर में लक्जरी क्षेत्र आकर्षक निवेश स्थल साबित हुआ है। त्योहारी मौसम में डवलपरों की छूट, कई पहल और ब्याज दरों के चक्र में स्थिरता से भी लक्जरी मकानों की बिक्री को जबरदस्त उछाल मिला है।’प्रापर्टी फर्स्ट के संस्थापक व सीईओ

भावेश कोठारी के मुताबिक, ‘अभी 35 वर्ष से अधिक आयु के लोग लक्जरी आवासों के खरीदार के रूप में जाने जाते हैं और वे 3.5 करोड़ से चार करोड़ तक का लक्जरी घर खरीद रहे हैं। इस आयु वर्ग को पहले निवेश करने की खूबियों के बारे में जानकारी है। लक्जरी प्रापर्टी खरीदने वालों में स्टार्टअप के संस्थापक, सीएक्सओ स्तर के उच्च अघिकारी और पश्चिम एशियाई देशों के अनिवासी भारतीय शामिल हैं।’ मैग्जीन के मुताबिक वर्ष 2023 में बिक्री व लॉन्च 10 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच जाएगें और लक्जरी मकानों की बिक्री 3,00,000 आवास के पार जा सकती है।

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