Edited By jyoti choudhary,Updated: 28 Sep, 2018 06:48 PM
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने शुक्रवार को कहा कि मंत्रिमंडल अगले कुछ दिनों में कृषि निर्यात नीति को मंजूरी दे सकता है। कृषि निर्यात नीति के मसौदे क्षेत्र के बारे में कई सिफारिशें की गई हैं।
नई दिल्लीः वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने शुक्रवार को कहा कि मंत्रिमंडल अगले कुछ दिनों में कृषि निर्यात नीति को मंजूरी दे सकता है। कृषि निर्यात नीति के मसौदे क्षेत्र के बारे में कई सिफारिशें की गई हैं। इनमें स्थिर व्यापार नीति व्यवस्था, एपीएमसी अधिनियम में सुधार, मंडी शुल्क को सुव्यवस्थित बनाने और भूमि पट्टे पर देने के मानदंडों का उदारीकरण जैसी कुछ सिफारिशें शामिल हैं। कृषि निर्यात नीति का मसौदा इस क्षेत्र से वर्ष 2022 तक निर्यात को दोगुना कर 60 अरब अमेरिकी डॉलर करने की अपेक्षा है।
फिक्की के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रभु ने कहा, 'कृषि निर्यात नीति हमने तैयार कर ली है, अगले कुछ दिनों में इसे मंत्रिमंडल की मंजूरी मिल जानी चाहिए क्योंकि समय खपाने वाले अंतर-मंत्रालयी परामर्श, पहले ही काफी आगे बढ़ चुके हैं और एक बार ऐसा होने के बाद काफी बड़े अवसर सामने आ सकते हैं।'
पिछले महीने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कृषि आय को बढ़ाने के लिए जल्द ही एक नई कृषि निर्यात नीति लाई जाएगी क्योंकि सरकार 2022 तक किसानों की आमदनी को दोगुना करने के लक्ष्य को हासिल करने की राह पर अग्रसर है। प्रभु ने कहा कि अब जोर देश से निर्यात को बढ़ावा देने पर है और इस बात पर भी जोर है कि न केवल बड़े बाजारों में बल्कि उन क्षेत्रों में अवसरों की पहचान करना है जहां तत्काल अवसर सुलभ हैं।
मसौदा नीति में राज्यों की व्यापक भागीदारी, बुनियादी ढांचे और उपस्कर में सुधार, और उभरते बाजारों के लिए नए उत्पादों के विकास के मकसद से शोध एवं विकास (आर एंड डी) गतिविधियों को बढ़ावा देने पर बल दिया गया है। ‘राष्ट्रीय कृषि निर्यात नीति’ किसानों की आमदनी को दोगुना करने तथा कृषि निर्यात के वर्तमान 30 अरब अमेरिकी डॉलर की हिस्सेदारी को वर्ष 2022 तक बढ़ाकर 60 अरब अमेरिकी डॉलर तक करने के दृष्टिकोण के अनुरूप तैयार की गई है। इसका लक्ष्य उच्च मूल्य और मूल्यर्विधत कृषि निर्यात को बढ़ावा देना है और कृषि उत्पादों का निर्यात करने वाले शीर्ष 10 निर्यातक देशों में शामिल होना है।