रियल एस्टेट को कर छूट की सिफारिश

Edited By jyoti choudhary,Updated: 01 Aug, 2018 01:15 PM

recommendation of tax exemption to real estate

रियल एस्टेट क्षेत्र को सरकार की ओर से कुछ कर रियायतें मिल सकती हैं। नीति निर्माण के लिए सरकार की थिंक टैंक संस्था नीति आयोग शहरी विकास मंत्रालय के साथ मिलकर इस बात पर विचार कर रहा है

नई दिल्लीः रियल एस्टेट क्षेत्र को सरकार की ओर से कुछ कर रियायतें मिल सकती हैं। नीति निर्माण के लिए सरकार की थिंक टैंक संस्था नीति आयोग शहरी विकास मंत्रालय के साथ मिलकर इस बात पर विचार कर रहा है कि मंदी की दौर से गुजर रहे रियल एस्टेट को कुछ प्रोत्साहन दिया जाए। ये प्रोत्साहन प्रत्यक्ष करों और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में छूट के रूप में होगी। सुझाव वित्त मंत्रालय के पास भेजा जा चुका है।

यह निर्णय पिछले हफ्ते शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद लिया गया है। इस बैठक में बैंकों और हाउसिंग फाइनैंस संस्थाओं के प्रमुख, प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर प्राधिकारी, रेरा (रियल एस्टेट विनियमन अधिनियम) प्राधिकारी, राज्यों के वरिष्ठï अधिकारी और नीति आयोग के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए थे।पेंट और वार्णिश पर जीएसटी दरों को 28 फीसदी से 18 फीसदी किए जाने के बाद नीति आयोग सीमेंट के लिए भी दर में कटौती करने की सिफारिश की है। इसके अलावा, आयोग ने स्टाम्प शुल्क को भी जीएसटी के दायरे में लाने का सुझाव दिया है। 

एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘पेंट पर दर में कमी किए जाने से भवन निर्माण को बढ़ावा मिलेगा। अब सीमेंट पर भी जीएसटी की दर को 28 फीसदी से घटाकर 18 फीसदी किया जाना चाहिए। भवन निर्माण क्षेत्र में बहुत बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन होता है और सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए।’ नीति निर्धारक थिंक टैंक ने आवास ऋण पर ब्याज पर आयकर में कटौती की मौजूदा 2,00,000 रुपए की सीमा को बढ़ाकर 3,50,000 रुपए करने की मांग की है। नीति आयोग की एक टिप्पणी में कहा गया, ‘2,00,000 रुपए की सीमा को बढ़ाकर 3,50,000 रुपए की जा सकती है क्योंकि यह कदम आरबीआई द्वारा हाल ही घोषित की गई किफायती आवास के लिए प्रमुखता ऋण के तहत संशोधित आवास ऋण सीमा के अनुकूल होगा।’ उसने यह भी सुझाव दिया है कि इस कटौती की अनुमति निर्माण अवधि के दौरान भी दी जानी चाहिए। उसने न्यूनतम वैकल्पिक कर (एमएटी) को भी समाप्त करने की सिफारिश की है। उसने कहा है कि एमएटी की उच्च दर ने रियल एस्टेट क्षेत्र को बढ़ावा देने वाली विभिन्न कर योजनाओं के लाभों को बेअसर कर दिया।

एक अधिकारी ने कहा, ‘रियल एस्टेट क्षेत्र असंगठित, अत्यधिक वर्गीकृत और स्थानीय है। अन्य क्षेत्रों के समान इस क्षेत्र में निरंतरता की गारंटी नहीं दी जा सकती। इसलिए ज्यादातर मामलों में एमएटी क्रेडिट का लाभ नहीं लिया जाता है। इसलिए अगले कुछ वर्षों के लिए इस क्षेत्र में एमएटी के प्रावधान को समाप्त कर देना चाहिए।’ उसने स्टाम्प शुल्क को भी जीएसटी के दायरे में रखने के लिए आवाज उठाई है। परिषद ने इस मामले में विचार करने के लिए इसे शामिल करने का एक प्रयास जरूर किया था लेकिन इस विषय में अब तक कोई चर्चा नहीं हुई है।

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