Edited By jyoti choudhary,Updated: 30 Jan, 2023 04:27 PM

बजट पेश होने से पहले संसद में एक दस्तावेज पेश होता है, जिसे इकोनॉमिक सर्वे या आर्थिक सर्वेक्षण कहते हैं। यह कल यानी 31 जनवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किया जाएगा। यह काफी महत्वपूर्ण दस्तावेज है, क्योंकि इसमें बीते साल का...
बिजनेस डेस्कः बजट पेश होने से पहले संसद में एक दस्तावेज पेश होता है, जिसे इकोनॉमिक सर्वे या आर्थिक सर्वेक्षण कहते हैं। यह कल यानी 31 जनवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किया जाएगा। यह काफी महत्वपूर्ण दस्तावेज है, क्योंकि इसमें बीते साल का हिसाब-किताब और आने वाले साल के लिए सुझाव, चुनौतियां और समाधान का जिक्र किया जाता है।
सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन (CEA V Anantha Nageswaran) की निगरानी में इसे तैयार किया गया है। वित्त मंत्री के संसद में इसे पेश किए जाने के बाद मुख्य आर्थिक सलाहकार प्रेस कांफ्रेंस में मीडिया के सवालों के जवाब भी देंगे। आर्थिक सर्वेक्षण में सरकार अपने फिस्कल डेवलपमेंट के साथ ही मॉनेटरी मैनेजमेंट और एक्सटर्नल सेक्टर्स के बारे में बताती है। इसमें यह भी जानकारी होती है कि सरकार की पॉलिसी और प्रोग्राम के नतीजे क्या रहे हैं और उनका अर्थव्यवस्था पर कितना असर हुआ है। देश का पहला इकोनॉमिक सर्वे 1950-51 में पेश किया गया था। वर्ष 1964 तक इकोनॉमिक सर्वे देश के आम बजट के साथ ही पेश किया जाता था लेकिन बाद में इसे, बजट से एक दिन पहले पेश किया जाने लगा।
कौन बनाता है इकोनॉमिक सर्वे
इकोनॉमिक सर्वे वित्त मंत्रालय तैयार करता है। मंत्रालय का इकोनॉमिक अफेयर्स विभाग की इकोनॉमिक डिवीजन की इसे तैयार करने की जिम्मेदारी होती है। यह डिवीजन सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार की निगरानी में इस महत्वपूर्ण दस्तावेज को तैयार करती है।
क्यों है इसका महत्व
इकोनॉमिक सर्वे में केंद्र सरकार की ओर से देश की आर्थिक सेहत का लेखा-जोखा बताया जाता है। इस दस्तावेज के जरिए सरकार जनता ये बताती है कि देश की आर्थिक स्थिति कैसी है? इसके अलावा देश की आर्थिक स्थिति कितनी तेजी से आगे बढ़ रही है, इसकी भी जानकारी दी जाती है। आर्थिक सर्वेक्षण में सरकार को अर्थव्यवस्था के संबंध में सुझाव भी दिए जाते हैं लेकिन सरकार के लिए इन सुझावों को मानना बाध्यकारी नहीं है।