दिसम्बर के अंतिम हफ्ते में शुरू होगा ऑटोमैटिक ड्राइविंग टैस्ट

Edited By Priyanka rana,Updated: 10 Dec, 2018 10:29 AM

automatic driving test

रजिस्ट्रेशन एंड लाइसैंसिंग अथॉरिटी (आर.एल.ए.) की ओर से सैक्टर-23 स्थित चिल्ड्रन ट्रैफिक पार्क में ऑटोमैटिक ड्राइविंग टैस्ट इस माह के अंतिम सप्ताह में शुरू कर दिया जाएगा

चंडीगढ़(राजिंद्र) : रजिस्ट्रेशन एंड लाइसैंसिंग अथॉरिटी (आर.एल.ए.) की ओर से सैक्टर-23 स्थित चिल्ड्रन ट्रैफिक पार्क में ऑटोमैटिक ड्राइविंग टैस्ट इस माह के अंतिम सप्ताह में शुरू कर दिया जाएगा, जिसके बाद वाहन चालकों को लाइसैंस बनवाने के लिए ऑटोमैटिक ट्रैक पर सैंसर्स और सी.सी.टी.वी. कैमरों के बीच टैस्ट देना होगा। 

विभाग ने इसे लेकर मेजर काम पूरे कर लिए हैं और अब सिर्फ कुछ टैक्नीकल दिक्कतें हैं, जिन्हें विभाग का इसी सप्ताह दूर करने का लक्ष्य है। इससे पहले काम पूरा न होने के चलते ही ये प्रोजैक्ट जून में अपनी डैडलाइन मिस कर चुका है। आर.एल.ए. का पिछले एक माह तक इस प्रोजैक्ट पर ट्रायल भी चला। 

गौरतलब है कि पेड़ों की छंटाई के बाद भी सी.सी.टी.वी. कैमरों में कुछ पार्ट कैद नहीं हो रहा है। इसके अलावा एक जगह ऐसी है, जहां फेल होने पर भी सिस्टम वाहन चालक को टैस्ट में पास दिखा रहा है, जिसे दूर करने पर ही विभाग काम कर रहा है।

टैस्ट के साथ ही रिजल्ट होगा डिक्लेयर
टैस्ट के बाद ही पूरी रिपोर्ट ट्रैक के पास में बने एक कंट्रोल रूम में आएगी और उसी समय इसका रिजल्ट भी डिक्लेयर कर दिया जाएगा। आवेदन करने वाले को सात ट्रैक पर वाहन को ड्राइव करना होगा, जिसमें कि रिजर्व ट्रैक, यू-टर्न ट्रैक, रॉन्ग टर्न ट्रैक, फोर जंक्शन ट्रैक, राऊंड अबाउट ट्रैक और ग्रेडिएंट ट्रैक आदि शामिल है।

ऐसा होगा ऑटोमैटिक ड्राइविंग ट्रैक :
ऑटोमैटिक ड्राइविंग ट्रैक खासतौर पर डिजाइन की गई रोड है, जिनके हर मोड़ पर सैंसर्स लगे हैं, जो कि ड्राइवर की परफॉर्मैंस का पता लगाएंगे और सही रिजल्ट देंगे। इसके अलावा पोल और सिग्नल्स पर लगे कैमरा भी उनकी परफॉर्मैंस पर नजर रखेंगे। लाइसैंस के लिए आवेदन करने वाले को इस ट्रैक पर ड्राइव करने के लिए बोला जाएगा और कैमरा और सैंसर उसके पूरे टैस्ट को रिकॉर्ड करेंगे, जिसके आधार पर ही उसका रिजल्ट निकलेगा। 

ट्रैक पर कैमरे वास्तविक समय में पथ की जानकारी एकत्र करेंगे, वाहन द्वारा तय किए गए पथ का पता लगाएंगे और इसे कम्प्यूटर पर डिस्पले करेंगे। इसके अलावा आवेदक को एक रेडियो फ्रीक्वैंसी आइडैंटिफिकेशन कार्ड भी इश्यू किया जाएगा, जिससे कि अगर वह कोई गलती करता है, तो रेडियो फ्रीक्वैंसी इलैक्ट्रोमैग्नेटिक के यूज से उसका पता लगाया जा सकेगा।

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