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5 साल बाद हाईकोर्ट ने खोलीं ड्रग्स रैकेट की सीलबंद 4 रिपोर्ट्स

Edited By Ajay Chandigarh,Updated: 28 Mar, 2023 09:31 PM

government given freedom to act on the basis of reports

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में वर्ष 2017 व 2018 में ड्रग्स मामले में बनाई गई स्पैशल इन्वैस्टीगेशन टीमों की ओर से दाखिल की गई सील बंद 4 इन्वैस्टीगेशन रिपोर्ट्स को मंगलवार को 5 साल के अंतराल के बाद कोर्ट ने खोल दिया। जस्टिस गुरमीत सिंह संधेवालिया व...

चंडीगढ़,(हांडा): पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में वर्ष 2017 व 2018 में ड्रग्स मामले में बनाई गई स्पैशल इन्वैस्टीगेशन टीमों की ओर से दाखिल की गई सील बंद 4 इन्वैस्टीगेशन रिपोर्ट्स को मंगलवार को 5 साल के अंतराल के बाद कोर्ट ने खोल दिया। जस्टिस गुरमीत सिंह संधेवालिया व जस्टिस हरप्रीत कौर जीवल पर आधारित बैंच ने सरकार को एस.आई.टी. की रिपोर्ट्स के आधार पर आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की आजादी दे दी है। 

 


सुनवाई से पहले पंजाब के पूर्व डी.जी.पी. सुरेश अरोड़ा ने एक एप्लीकेशन दाखिल कर कोर्ट को बताया कि एस.आई.टी. प्रमुख डी.जी.पी. रहे सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय ने जांच रिपोर्ट में उन्हें फर्जी तरीके से आरोपी बनाया है। जो रिपोर्ट उन्होंने कोर्ट में दाखिल की थी, उस पर सिर्फ चट्टोपाध्याय के ही हस्ताक्षर हैं, जबकि अन्य 2 सदस्यों ने हस्ताक्षर नहीं किए थे। इसलिए 8 मई 2018 को कोर्ट में पेश की गई एस.आई.टी. रिपोर्ट को खारिज किया जाए। जांच रिपोर्ट देखने के पश्चात कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि उक्त जांच रिपोर्ट विभागीय द्वेष का परिणाम लग रही है। कोर्ट ने पंजाब के पूर्व डी.जी.पी. सुरेश अरोड़ा व दिनकर गुप्ता को नोटिस जारी कर उक्त रिपोर्ट को लेकर स्टैंड स्पष्ट करने को कहते हुए नोटिस जारी किया है। 

 

 


कोर्ट ने पंजाब सरकार को नोटिस जारी करते हुए इंद्रजीत चड्ढा आत्महत्या मामले में सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय के खिलाफ चालान पेश करने पर भी रोक लगा दी है और अगली सुनवाई पर उक्त मामले में भी सरकार को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है।  सील बंद रिपोर्ट्स को सार्वजनिक करने की मांग को लेकर याचिका दाखिल करने वाले एडवोकेट नवकिरण सिंह ने बताया कि कोर्ट में 1 फरवरी 2018, 14 मार्च 2018, व 23 मई 2018 को पेश की गई तीनों रिपोर्ट्स को पढऩे के बाद उन्हें सीलबंद कर रजिस्ट्री में रखवा दिया था लेकिन अब 5 साल बाद उन्हें सार्वजनिक कर दिया गया है, जिसके बाद रिपोर्ट्स में ड्रग रैकेट में शामिल पुलिस वालों और तस्करों के खिलाफ कार्रवाई होने का रास्ता खुल गया है। उन्होंने कहा कि वह कई बार बता चुके हैं कि पुलिस की मिलीभगत से और बड़े अधिकारियों के आशीर्वाद के बिना ड्रग रैकेट नहीं चल सकता, न ही नशा बिक सकता है। अब जांच रिपोर्ट्स खुल जाने के बाद ड्रग रैकेट का पर्दाफाश होने की उम्मीद जगी है। 

 

 


सरकार की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ने कोर्ट से मांग की थी कि सरकार को रिपोर्ट्स के आधार पर आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की इजाजत दी जाए, जिस पर कोर्ट ने कहा कि हमने न तो कभी कार्रवाई करने से सरकार को रोका था और न ही अब रोकेंगे। सरकार रिपोर्ट्स के आधार पर कानूनी कार्रवाई करे और कोर्ट को बताए।
 

 

 

कोर्ट के कंधे पर बंदूक रखकर गोली चलाना चाहती है सरकार 
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने वकीलों की दलीलें सुनने के बाद टिप्पणी करते हुए कहा कि कई तमाम आंकलन करने के बाद लगता है कि सरकार कोर्ट के कंधे पर बंदूक रखकर गोली चलाना चाहती है, क्योंकि पूरा मामला राजनीतिक द्वेष का लग रहा है। कोर्ट ने कहा कि रिपोर्ट्स के आधार पर सरकार कार्रवाई करे और कोर्ट भी रिपोर्ट्स की समीक्षा करने के बाद दिशा-निर्देश जारी करती रहेगी। मामले की अगली सुनवाई अब 4 मई को होगी।  

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