दवा के अवैध कारोबार का मामला : अब सवालों के घेरे में हॉस्पिटल सप्लाई में आने वाली दवाइयों का स्टॉक

Edited By Punjab Kesari,Updated: 28 Oct, 2017 08:03 AM

illegal medicine issue

गवर्नमैट मैडीकल कालेज एंड हॉस्पिटल सैक्टर-32 में चलने वाले दवाइयों के अवैध कारोबार में हॉस्पिटल सप्लाई में आने वाली दवाइयों का स्टॉक भी सवालों के घेरे में आ गया है।

चंडीगढ़(अर्चना) : गवर्नमैट मैडीकल कालेज एंड हॉस्पिटल सैक्टर-32 में चलने वाले दवाइयों के अवैध कारोबार में हॉस्पिटल सप्लाई में आने वाली दवाइयों का स्टॉक भी सवालों के घेरे में आ गया है। मरीजों के लिए हॉस्पिटल सप्लाई में आने वाली दवाइयां इस्तेमाल की जाती हैं। हॉस्पिटल सप्लाई में आने वाली दवाओं के मरीजों पर इस्तेमाल किए जाने पर दवा की कीमत मरीजों से से वसूली नहीं जाती चूंकि दवा के अवैध कारोबार में हॉस्पिटल के ही नर्स की भूमिका सामने आई है। 

 

सूत्रों की मानें तो मामले की जांच करने वाले मैडीकल बोर्ड को शक है कि अवैध कारोबार में हॉस्पिटल सप्लाई में आने वाली दवाइयों की सेल भी की जा रही थी। सस्पैंड किए गए नर्स की कार से चंडीगढ़ पुलिस को ऐसी बहुत सी दवाएं मिली थीं जिनका इस्तेमाल हॉस्पिटल के मरीजों पर किया जाता है। यह दवाएं किसी कैमिस्ट की शॉप की थी या फिर उनका संबंध हॉस्पिटल सप्लाई में आने वाली दवाओं के साथ है, यह खंगालने के लिए बोर्ड ने तैयारी कर ली है। 

 

हॉस्पिटल सप्लाई में आने वाली दवाइयों के बैचेज को उन दवाइयों के बैचेज के साथ मिलाया जाएगा जो सस्पैंड किए गए नर्स की कार से मिली हैं। सूत्र कहते हैं कि बोर्ड की आज की कार्रवाई में चार में से सिर्फ तीन मैंबर्स प्रो. हरीश दासारी, प्रो. अश्विनी दलाल और किरण बाला ही उपस्थित थे। 

 

नर्स ने दवाइयों के संबंध से किया इंकार :
मैडीकल बोर्ड ने इस बाबत चंडीगढ़ पुलिस द्वारा तैयार की गई दवाइयों की लिस्ट और चंडीगढ़ ड्रग कंट्रोलर द्वारा बनाई दवाइयों की लिस्ट को हॉस्पिटल सप्लाई में आई दवाइयों की लिस्ट से मिलाया जाएगा। सूत्र कहते हैं कि मैडीकल बोर्ड द्वारा आज से शुरू की गई मामले की जांच में सस्पैंड नर्स के बयान लिए गए। नर्स ने बोर्ड के सामने यह मानने से इंकार कर दिया कि कार में मिली दवाइयों का उसके साथ कोई संबंध है या नहीं। 

 

नर्स ने कहा कि उसके पिता की पी.जी.आई. के एडवांस पीयेड्रिटिक सैंटर में दवाइयों की दुकान हैं। बयान में कहा कि हो सकता है कि उसके पिता ने अपनी दुकान की दवाइयां उसकी कार में रख दी हों इसलिए दवाइयां कार से मिली हैं। लेकिन उसे नहीं मालूम की कार में इतनी सारी दवाइयों का स्टॉक कैसे आया? बोर्ड ने नर्स के बयान पर हैरानी जताते हुए कहा कि जब कार हॉस्पिटल में पहुंची तो क्या वो खुद कार नहीं चला रहा था जो उसे दवाइयों की जानकारी नहीं है? 

 

कार में रखी दवाइयों के बारे में उसे कैसे जानकारी नहीं हो सकती है। अब पी.जी.आई. में चलने वाली दवा की दुकान में बीते समय में खरीदी गई दवाइयों के स्टॉक को भी खंगालने का फैसला किया है। कार में मिली दवाइयों के बैच का मिलान पी.जी.आई. की दवाई की दुकान के साथ भी किया जाएगा।  

 

यह भी कहती है बोर्ड की जांच :
सूत्र कहते हैं कि मैडीकल बोर्ड की शुरूआती जांच में यह भी सामने आया है कि अवैध कारोबार करने वाले नर्सेज धड़ल्ले से प्राइवेट वार्ड में भी दवाएं बेच रहे थे। हर दस मिनट में नर्स के रूप में दवा एजैंट मरीजों का दरवाजा खटखटाता था और उनसे दवा की लिस्ट लेकर दवा के लिफाफे की डिलीवरी करता था। मजे की बात यह है कि दवा एजैंट्स ऑपरेशन थियेटर्स में जो सर्जिकल का सामान बेचते थे वह एक ही सामान कई बार बिकता था और एजैंट्स को एक ही दवा पर मोटाताजा मुनाफा दे जाता था। डाक्टर साहिब सर्जिकल सामान की जो लिस्ट देते थे वो सामान एजैंट मरीज को बेच देते थे। 

 

चूंकि एजैंट अंदर के ही नर्स रहते थे इसलिए जिस सामान का इस्तेमाल नहीं होता था वो सामान वापिस एजैंट को मिल जाता था और वही सामान वापिस किसी दूसरे पेशैंट को बिकता था। अब पेशैंट बेचारा तो सर्जरी के बाद उस सामान को वापिस नहीं मांग सकता था, जिसका इस्तेमाल नहीं किया गया परंतु वो सामान दोबारा या तीसरी बार बेचा जाता था। 

 

सूत्रों की मानें तो यह सारी गुत्थियां खोलने के लिए बोर्ड मैंबर्स कई एंगल्स पर काम कर रहे हैं। पिछले दिनों हॉस्पिटल के मेन ऑपरेशन थियेटर में इस्तेमाल किए गए सामान को बेचे जाने के मामले में खूब शोर हुआ था। इसके बाद हॉस्पिटल में दवा एजैंट्स द्वारा दवाएं बेचने के मामले में एक नर्स को तब सस्पैंड किया गया था, जब उसकी कार ही एक कैमिस्ट शॉप बनी हुई थी और उस कार के दम पर दवा का कारोबार चल रहा था। 

 

चंडीगढ़ पुलिस ने नर्स की कार से वो सारी दवाएं पकड़ी थी जो कार्डियक सैंटर और अन्य वाड्र्स के मरीजों पर इस्तेमाल की जानी थी। पुलिस ने कार से मिली दवाओं के साथ कार को जब्त कर लिया था और चंडीगढ़ ड्रग कंट्रोलर ने सारी दवाओं के बैचेज रिकार्ड किए थे। एक तरफ हॉस्पिटल का मैडीकल बोर्ड मामले की जांच कर रहा है दूसरी तरफ चंडीगढ़ पुलिस की भी मामले में जांच जारी है। 

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