Edited By Punjab Kesari,Updated: 02 Oct, 2017 08:14 AM
नोट बंदी के बाद वास्तविक आय छिपाने वालों पर ज्यादा सख्त हुए आयकर विभाग ने फैस्टीवल सीजन में शिकंजा और कस दिया है।
चंडीगढ़(नीरज) : नोट बंदी के बाद वास्तविक आय छिपाने वालों पर ज्यादा सख्त हुए आयकर विभाग ने फैस्टीवल सीजन में शिकंजा और कस दिया है। यदि आप इस फैस्टीवल सीजन में बड़ी खरीददारी कर रहे हैं तो सतर्क हो जाएं। आयकर विभाग की नजर आपके ऊपर भी टिक सकती है। आयकर विभाग इन दिनों रोजाना मार्कीट्स में हो रही बड़ी खरीददारियों पर निगाह लगाए हुए है। माना जा रहा है कि फैस्टीवल सीजन खत्म होने के बाद आयकर विभाग अपनी वास्तविक आय छिपाने वालों पर बड़ी कार्रवाई कर सकता है।
नोटबंदी के बाद पहला फैस्टीवल सीजन :
काले धन पर नकेल कसने की कड़ी में ही केंद्र सरकार ने पिछले साल 8 नवम्बर को एक हजार और पांच सौ के पुराने नोटों का चलन बंद कर दिया था। इस दौरान निश्चित रकम से ज्यादा धनराशि बैंक में जमा करने वालों पर शिकंजा कसा गया।
सूत्रों के मुताबिक इस साल इन्कम टैक्स रिटर्न भरने वालों की संख्या भी बढ़ी है। अब नोटबंदी के बाद छोटी से बड़ी खरीददारी के लिहाज से यह पहला फैस्टीवल सीजन है। ऐसे में हर बड़ी खरीददारी पर आयकर विभाग की नजर है। बड़ी खरीददारी करने वालों की पहचान के लिए अब यह जरूरी कर दिया गया है कि 50 हजार रुपए की कीमत से अधिक की किसी भी खरीददारी के समय कैश पेमेंट करने पर खरीददार को अपना पैन कार्ड और आधार कार्ड दुकानदार को देना होगा।
दुकानदार की भी यह जिम्मेदारी होगी कि वह यह तय करे कि खरीददार की ओर से दिए गए दस्तावेज असली हैं। कोई ग्राहक यदि पचास हजार रुपए से ज्यादा के सामान की खरीददारी का पेमैंट चैक से करता है तो पैन कार्ड और आधार कार्ड देना अनिवार्य नहीं है। पहले यह लिमिट दो लाख रुपए थे। करीब एक महीने पहले ही इसे घटाया गया है।
यही नहीं, खास तौर से ज्वैलरी, व्हीकल, प्रॉपर्टी और इलैक्ट्रॉनिक सामान के विक्रेताओं से आयकर विभाग सेल का डाटा भी ले रहा है। हालांकि इस संबंध में आयकर विभाग के अधिकारी खुलकर कुछ भी नहीं बोल रहे हैं लेकिन धनतेरस के बाद आयकर विभाग शहर में बड़ा सर्वे अभियान भी चला सकता है। फैस्टीवल सीजन में बड़ी खरीददारी करने वालों के आयकर रिटर्न भी खंगाले जाएंगे।
पिछले साल शुरू हुई कवायद :
अपनी वास्तविक इन्कम और संपत्ति छिपाने वालों की पहचान करने की कवायद आयकर विभाग ने केंद्र सरकार के आदेश पर पिछले साल शुरू की थी। इसके तहत अपनी वास्तविक आय छिपाने वालों को एक विशेष मौका दिया गया था कि वह खुद अपनी वास्तविक आय बताकर आयकर विभाग को उसके मुताबिक टैक्स अदा कर दें। यह योजना 1 जून, 2016 से शुरू की गई थी और 30 सितम्बर 2016 तक थी।
तब बड़ी संख्या में ऐसे लोगों का खुलासा हुआ था, जिन्होंने या तो अपनी वास्तविक आय इन्कम टैक्स डिपार्टमैंट को नहीं बताई अथवा अपनी वास्तविक आय के मुताबिक टैक्स का भुगतान नहीं किया था। टैक्स की यह चोरी काले धन की श्रेणी में आती है। लिहाजा, आयकर विभाग ने इन लोगों को नोटिस जारी कर अपनी वास्तविक आय बताने को कहा था।