कैचमैंट एरिया में गिराए जाएंगे सभी निर्माण, मनसा देवी अर्बन कॉम्प्लैक्स अवैध घोषित

Edited By pooja verma,Updated: 03 Mar, 2020 10:56 AM

mansa devi urban complex declared illegal

सुखना के आसपास कैचमैंट एरिया में बने सभी निर्माण 90 दिन में हटाने के आदेश हाईकोर्ट ने दिए हैं।

चंडीगढ़ (रमेश) : सुखना के आसपास कैचमैंट एरिया में बने सभी निर्माण 90 दिन में हटाने के आदेश हाईकोर्ट ने दिए हैं। वहीं हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस राजीव शर्मा और हरिंदर सिंह सिद्धू ने फैसले में पंजाब सरकार के नयागांव मास्टर प्लान 2021 को रद्द और हरियाणा सरकार के मनसा देवी अर्बन कॉम्प्लैक्स को अवैध घोषित कर दिया है। 

 

जहां किसी भी तरह का निर्माण कार्य नहीं होगा। दोनों सरकारों को दिशा-निर्देश जारी कर कोर्ट ने सुखना में पानी के स्तर को बनाए रखने के लिए चैक डैमों की क्षमता बढ़ाने को कहा है। साथ ही हरियाणा व पंजाब को कांसल, कैंबवाला व सकेतड़ी से आने वाले सीवरेज व वेस्ट वाटर सुखना तक न पहुंचे यह सुनिश्चित करने को कहा है।  


 

हाईपावर कमेटी 4 सप्ताह में बनाएगी अवैध निर्माणों की सूची
पंजाब, हरियाणा व चंडीगढ़ के उन अधिकारियों पर भी सख्त कार्रवाई को कहा गया है, जिन्होंने सुखना कैचमैंट एरिया में निर्माणों की अनुमति दी थी। इसके लिए हाईकोर्ट ने स्पैशल इन्वैस्टिगेशन टीम के गठन की बात कही है। सुखना को भविष्य में किस प्रकार विकसित किया जाए, इस संबंध में पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ प्रशासन को आदेश जारी किए हैं। 

 

इनमें कहा गया है कि तीनों स्टेक होल्डर नई नोटिफिकेशन 3 माह में जारी करे, जिसमें सुखना के एक किलोमीटर के एरिया को वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी माना जाएगा। जस्टिस राजीव शर्मा और जस्टिस हरिंदर सिंह सिद्धू की खंडपीठ ने 13 वर्ष पुराने इस मामले को लेकर दाखिल सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए दो ही तारीखों में निपटारा कर दिया।

 

सुखना की वीड निकालने के लिए प्रशासन को दिया 6 माह का समय 
जस्टिस राजीव शर्मा ने कहा कि सुखना चंडीगढ़ की पहचान और शान है, जिसे लुप्त होने से चंडीगढ़ वासी समय समय पर बचाते रहे हैं। इसलिए शहर के सभी लोग सुखना के पेरैंट्स हैं। सभी को एकजुट होकर सुखना का लालन-पालन करना होगा। कोर्ट ने प्रशासन को भी आदेश दिए हैं कि सुखना के जलस्तर को एक सुरक्षित लैवल तक लाकर मैंटेन किया जाए। 

 

सुखना में जमने वाली वीड को भी निकालने को कहा है, जिसके लिए प्रशासन को 6 माह का समय दिया गया है। भविष्य में वीड न हो उसे भी सुनिश्चित करने को कहा है जिसके लिए जन सहयोग भी लिया जा सकता है।

 

एमिकस क्यूरी ने पढ़कर सुनाई थी स्टेटस रिपोर्ट्स 
कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने की बात कहते हुए मामले में एमिकस क्यूरी नियुक्त की गई एडवोकेट तन्नू बेदी को वर्ष 2007 से लेकर अब तक इस मामले में आए आदेशों व प्रतिवादियों के जवाब दोहराने को कहा था, जिसके बाद एक घंटे में केस में मार्च 2011 तक आए आदेश व पंजाब, हरियाणा, केंद्र व चंडीगढ़ की ओर से दाखिल किए गए जवाब, एफिडैविट व स्टेटस रिपोटर््स सुनी थी। 

 

चंडीगढ़ प्रशासन की नालायकी से नहीं मिले केंद्र से 73 करोड़
वर्ष 2007 में केंद्र के पर्यावरण व वन मंत्रालय की ओर से टैक्निकल ग्राऊंड पर घोषित 73.1 करोड़ की ग्रांट न मिल पाने का कारण चंडीगढ़ प्रशासन को बताने को कहा था। केंद्र से भी पूछा था कि ग्रांट क्यों नहीं दी गई।  

 

केंद्र की ओर से पेश हुए अधिवक्ता चेतन मित्तल ने कोर्ट को बताया कि केंद्र ने संबंधित मंत्रालयों के अधिकारियों की गठित कमेटी की 2011 में हुई बैठक में उठाए गए कुछ सवालों के जवाब चंडीगढ़ प्रशासन से मांगे थे लेकिन वह नहीं दिए गए। इसके चलते 73.1 करोड़ रुपए प्रशासन को नहीं मिले।

 

सुखना को बचाने को बनाओ नई योजना
आदेशों में कहा गया है कि केंद्र ने राशि सुखना को बचाने के लिए टैक्निकल लैवल पर पारित की थी। अगर वैट ट्रेजिंग संभव नहीं थी तो कोई दूसरी योजना बनाकर केंद्र को भेजी जा सकती थी, लेकिन यू.टी. ने ऐसा नहीं किया क्योंकि अधिकारी काम करना ही नहीं चाहते। 

 

खंडपीठ ने चंडीगढ़ प्रशासन को सुखना को बचाए रखने और इसके विकास के लिए नई योजना बनाकर केंद्र को भेजने को कहा है। साथ ही केंद्र को भी दिशा-निर्देश दिए हैं कि वह योजना पर अमल कर सुखना की सुरक्षा को सुनिश्चित किए 73.1 करोड़ जल्द जारी करे।

 

पैट डॉग करवाने होंगे रजिस्टर्ड
कोर्ट ने सुखना में पालतू कुत्ते लाकर घुमाने वालों और शहर की सड़कों पर पालतू कुत्तों द्वारा फैलाई जाने वाली गंदगी पर भी कड़ी फटकार लगाई है। लोगों को आदेश दिए गए हैं कि कुत्ते पालने हैं तो उन्हें पंजीकृत करवाना होगा। उनके लिए स्वच्छ व खुला वातावरण रखना होगा, उनकी वैक्सीनेशन करवानी होगी। 

 

4 डॉग पौंड बनाए प्रशासन
प्रशासन को भी शहर में 4 डॉग पौंड बनाने को कहा गया  है। पंजाब हरियाणा व चंडीगढ़ प्रशासन को आदेश दिए गए हैं कि वह डॉग शैल्टर्स का भी निर्माण करे।

 

चंडीगढ़ प्रशासन काम करना ही नहीं चाहता
केंद्र के जवाब सुन जस्टिस राजीव शर्मा ने यू.टी. के स्टैंडिंग कौंसिल पंकज जैन को खरी-खरी सुनाते हुए कहा कि चंडीगढ़ प्रशासन काम करना ही नहीं चाहता। चाहे वह सैक्टर-17 को लेकर हो या सुखना को लेकर। जस्टिस राजीव शर्मा ने कहा कि जब केंद्र पैसे देने को तैयार था तो चंडीगढ़ क्यों नहीं ले पाया। 

 

यू.टी. की स्टैंडिंग कौंसिल पंकज जैन ने कोर्ट को बताया कि वर्ष 2011 में केंद्र की ओर से पारित राशि के बाद प्रशासन ने वन, पर्यावरण, इंजीनियरिंग विंग व अन्य सम्बंधित विभागों के विशेषज्ञों की कमेटी का गठन किया था, जिसने सुखना की समीक्षा कर निष्कर्ष निकाला था कि सुखना का एरिया कम होने के चलते यहां वैट ट्रेजिंग नहीं हो सकती। इसलिए केंद्र द्वारा दी जाने वाली राशि नहीं ली गई।

 

कब क्या हुआ
-गौतम खन्ना नामक व्यक्ति के 2009 में लिखे पत्र पर लिया था हाईकोर्ट ने स्वयं संज्ञान : सुखना लेक को बचाने के लिए गौतम ने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखा था, जिसमें सुखना को बचाने की गुहार लगाते हुए बताया गया था कि सुखना सिकुड़ती जा रही है। आसपास भवन निर्माण वाइल्ड लाइफ के लिए खतरा हैं।

 

-हाईकोर्ट ने 28 नवम्बर, 2009 को प्रशासन व अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया था और एडवोकेट तनु बेदी को कोर्ट मित्र नियुक्त किया था।

 

-26 मई, 2010 को कोर्ट ने पंजाब को भी इस मामले में पार्टी बनाया और फॉरैस्ट सैक्रेटरी को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा था। कोर्ट मित्र ने नयागांव, कांसल, कैंबवाला और सकेतड़ी में हो रहे अवैध निर्माणों की तस्वीरें कोर्ट में पेश की थीं। 

 

-12 फरवरी, 2011 को हरियाणा को भी केस में पार्टी बनाकर नोटिस जारी किया गया, जिसके जवाब में हरियाणा के फॉरैस्ट कंजर्वेटर ने कहा कि सुखना के 1055 मीटर का एरिया उन्होंने कैचमैंट एरिया घोषित किया हुआ है, जहां किसी भी तरह का निर्माण नहीं हुआ है, न ही भविष्य में सरकार की कोई निर्माण की योजना है।

 

-14 मार्च, 2011 को हरियाणा के शहरी विकास योजना के मुख्य सचिव टी.सी. गुप्ता ने एफिडेविट देकर हाईकोर्ट को बताया कि उन्होंने पेराफेरी कंट्रोल एरिया घोषित कर दिया है और सुखना के कैचमैंट एरिया की नोटीफिकेशन जारी कर दी गई है। 10 फरवरी 2012 को सर्वे ऑफ इंडिया के वर्ष 2004 में किए गए सर्वे के अनुसार सुखना के 1085 मीटर के एरिया को कैचमैंट घोषित करने के लिए हरियाणा पंजाब व चंडीगढ़ के अधिकारियों की मीटिंग हुई जिसमें पंजाब ने भी कैचमैंट एरिया को लेकर हामी भरी थी।

 

-10 जुलाई, 2012 को यू.टी. के भूमि अधिग्रहण अधिकारी तिलकराज ने हाईकोर्ट में एफिडेविट देकर बताया कि उन्होंने कैचमैंट एरिया में मई, 2012 के बाद किसी भी तरह के निर्माणों पर  पूरी तरह से रोक लगा दी है। 22 नवम्बर, 2018 को सुखना कैचमैंट एरिया का पहला ड्रोन सर्वे चंडीगढ़ पुलिस की मदद से किया गया जिसमें कैचमैंट एरिया में हुए निर्माणों की फोटो और वीडियोग्राफी की गई जिसमें कांसल, कैंबवाला और सकेतड़ी इलाके में निर्माण होते दिखे कोर्ट कमिश्नर ने अपनी रिपोर्ट में सरकारों की लापरवाही के कारण निर्माण होने की बात कही थी। 

 

-एम.एल.ए. कंवर संधू ने भी कोर्ट में एफिडेविट दिया और बताया कि वर्ष 2013 से कांसल और नयागांव में हुए निर्माणों को सरकार ने अप्रूवल दी है और लोग नयागांव कौंसिल को प्रॉपर्टी टैक्स भी दे रहे हैं, उन्हें बिजली व पानी के कनैक्शन भी सरकार ने दिए हैं।

 

-27 जुलाई, 2019 में प्रशासन ने माना कि सुखना को 1988 में वैटलैंड घोषित किया गया था, जिसमें 7548. 43 एकड़ एरिया शामिल है, जिसके बाद नोटीफिकेशन भी जारी की गई।

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