मिसिंग चैक की पेमैंट करना केनरा बैंक को पड़ा महंगा

Edited By Priyanka rana,Updated: 31 Mar, 2019 09:36 AM

missing cheque

मिसिंग चैक की पेमैंट करना केनरा बैंक को महंगा पड़ गया है।

चंडीगढ़(राजिंद्र) : मिसिंग चैक की पेमैंट करना केनरा बैंक को महंगा पड़ गया है। फोरम ने बैंक को सेवा में कोताही और लापरवाही का दोषी करार देते हुए निर्देश दिए हैं कि वह पंचायत भवन सोसायटी के करंट अकाऊंट में 29 हजार 646 रुपए का अमाउंट क्रेडिट करे। आदेश की प्रति मिलने पर उसे 10 दिनों के अंदर इन आदेशों की पालना करनी होगी। ये आदेश जिला उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम-2 ने सुनवाई के दौरान जारी किए। 

यह है मामला :
रजिस्ट्रार ऑफ  सोसायटीज के साथ रजिस्टर्ड पंचायत भवन सोसायटी ने सुनिता देवी, ज्वाइंट सैके्रटरी कम मैनेजर के जरिए केनरा बैंक, सैक्टर-8 सी चंडीगढ़ के खिलाफ फोरम में शिकायत दी थी। शिकायत में शिकायतकर्ता ने बताया कि सोसायटी उक्त बैंक में करंट अकाऊंट मैंटेन कर रही थी, जिसके लिए उन्हें एक चैक बुक भी जारी की गई थी। 

सोसायटी ने चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर और मैनेजर कम ज्वाइंट सैके्रटरी कम ट्रेजरर को ये बैंक अकाऊंट ऑप्रेट करने का अधिकार दिया हुआ था। सोसायटी द्वारा समय-समय पर संबंधित अधिकारियों के नाम और सिग्नेचर बैंक को प्रदान किए जाते थे। 1 अप्रैल 2016 को लैटर के जरिए बैंक को अवगत करवाया गया कि जितेंद्र यादव, आई.ए.एस. चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर और राम अचल यादव संयुक्त रूप से इस अकाऊंट को ऑप्रेट करेंगे। बैंक को दोनों अधिकारियों के सिग्नेचर भी प्रदान करवा दिए गए थे। 

सोसायटी द्वारा समय-समय पर अपने काम को चलाने के लिए बैंक से कैश निकालने के लिए ऊपरी अधिकारियों से इसकी अप्रूवल लेनी होती थी और सेल्फ चैक पर चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर के इस पर सिग्नेचर भी लिए जाते थे। 1 नवम्बर 2016 को यू.टी. सचिवालय सैक्टर-9 चंडीगढ़ में 29 हजार 646 रुपए का एक चैक भेजा गया। 17 नवम्बर 2016 को इसे अप्रूव कर दिया गया था। 18 नवम्बर 2016 को उनके पास ये फाइल वापस पहुंची लेकिन उसमें से उक्त चैक मिसिंग था। 

इसके बाद ही लैटर के जरिए बैंक को इस संबंध में अवगत करवाया गया कि अगर ये चैक बैंक में कैश के लिए आता है तो इसकी पेमैंट स्टॉप कर दी जाए। लेकिन वार्षिक स्टेटमैंट में सोसायटी को पता चला कि उक्त चैक को बैंक ने 5 नवम्बर 2016 को क्लीयर कर दिया था। इस चैक पर सिर्फ ज्वाइंट सैके्रटरी कम ट्रेजर के ही सिग्नेचर थे, जबकि इस पर चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर ने साइन नहीं किए थे। 

इस पर उनकी रबड़ स्टैंप जरूर लगी थी लेकिन बावजूद इसके बैंक ने इसकी पेमैंट कर दी। इस संबंध में बैंक और पुलिस अथॉरिटी को अवगत करवाया गया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। इसके बाद ही सोसायटी ने इस संबंध में फोरम में शिकायत दी। बैंक ने फोरम में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उन्होंने सेवा में कोई कोताही नहीं बरती।
 

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