मिसयूज और बिल्डिंग वायलेशन की नई प्रस्तावित पैनल्टी का विरोध कर रहे व्यापारी

Edited By Ajay Chandigarh,Updated: 13 Apr, 2022 06:38 PM

said annual 5 percent increase in penalty even more

यू.टी. प्रशासन कैपीटल ऑफ पंजाब एक्ट (डिवैल्पमैंट एंड रैगुलेशन) एक्ट-1952 में संशोधन करने जा रहा है। इस पर प्रशासन ने प्रस्ताव तैयार कर लोगों के सुझाव मांगे  हैं। जिसके बाद ही इसे आगे मंजूरी के लिए मिनिस्टरी के पास भेजा जाएगा। शहर के व्यापारियों ने...

चंडीगढ़,(राजिंद्र शर्मा):यू.टी. प्रशासन कैपीटल ऑफ पंजाब एक्ट (डिवैल्पमैंट एंड रैगुलेशन) एक्ट-1952 में संशोधन करने जा रहा है। इस पर प्रशासन ने प्रस्ताव तैयार कर लोगों के सुझाव मांगे  हैं। जिसके बाद ही इसे आगे मंजूरी के लिए मिनिस्टरी के पास भेजा जाएगा। शहर के व्यापारियों ने प्रशासन के इस प्रस्ताव का विरोध करना शुरूकर दिया है। उनका कहना है कि नए प्रस्ताव में भी पैनल्टी अधिक है। प्रधानमंत्री ईज ऑफ डूइंग बिजनैस के लिए काम कर रहे हैं और दूसरी तरफ प्रशासन की प्रस्तावित मिसयूज और वायलेशन पैनल्टी पूरी तरह से व्यापारियों के साथ अन्याय है। इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ऑफ चंडीगढ़ ने इसे लेकर फाइनांस एवं एस्टेट सैके्रटरी विजय नामदेव राव जड़े को  लैटर लिखा है। लैटर में एसोसिएशन ने कहा है कि नए प्रस्ताव को फाइनल करने से पहले प्रशासन को सभी हितधारकों के साथ बैठक करके उनकी राय लेनी चाहिए। कहा कि बिल्डिंग की मार्कीट वैल्यू से 10 प्रतिशत से अधिक पैनल्टी नहीं होनी चाहिए, जबकि नए प्रस्ताव के अनुसार बिल्डिंग की मार्कीट वैल्यू से 20 प्रतिशत तक से अधिक  पैनल्टी नहीं होगी।

 

 
पैनल्टी लगाने से पहले 30 दिन का समय देने की मांग की
 इस पैनल्टी में वार्षिक 5 प्रतिशत तक वृद्धि करना प्रस्तावित है, जबकि इसे व्यापारी अन्यायपूर्ण बता रहे हैं। उनका कहना है कि पैनल्टी  में वार्षिक वृद्धि 3 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए। लैटर में पैनल्टी लगाने से पहले 30 दिन का समय देने की मांग की गई है, जिसे रूल्स में शामिल किया जाना चाहिए।
इस संबंध में एसोसिएशन के प्रधान पंकज खन्ना ने कहा कि पहले तो प्रस्ताव फाइनल करने से पहले प्रशासन को चाहिए कि सभी हितधारकों के साथ बात की जाए। उन्होंने कहा कि 30 दिन सुझाव व आपत्तियां मांगी गई हंै, जो काफी नहीं हंै। लोगों को सुझाव के लिए 90 दिन देने चाहिए। उन्होंने कहा कि यह लोगों से जुड़ा मामला है और सभी इस पर अपने सुझाव देना चाहते हंै। अधिक पैनल्टी के चलते इंडस्ट्रीयल एरिया के कारोबारी भी काफी परेशान हैं, जिनके मामलों की अलग-अलग स्तर पर सुनवाई चल रही है। 

 


8 हजार रुपए प्रति दिन के हिसाब से चार्जेज तय किए
उन्होंने पुराने केसों की भी ऑरिजनल एक्ट की पैनल्टी के हिसाब से ही निपटारा करने की मांग की है। बता दें कि नए प्रस्ताव में छोटी और  बड़ी सभी तरह की वायलेशन के लिए अब फिक्स 2 लाख रुपए की पैनल्टी का प्रावधान है। अगर वायलेशन जारी रखी जाती है और इसे बिल्डिंग मालिक हटाता नहीं है  तो आगे 8 हजार रुपए प्रति दिन के हिसाब से चाॢजस तय किए गए हैं। 2007 में प्रशासन ने मिसयूज और बिल्डिंग वायलेशन को लेकर पैनल्टी को 10 रुपए से बढ़ाकर  500 रुपए प्रति स्क्वेयर फुट प्रति महीने कर दी थी। जिसके बाद ही शहर के अधिकतर व्यापारियों और उद्योगपतियों को करोड़ों रुपए के नोटिस भेजे गए, जिनको लेकर अब अलग-अलग स्तर पर सुनवाई चल रही है।  

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